नेपोटिज़्म से निकले वो 13 स्टार किड्स जिन्होंने अपने दम पर झंडे गाड़े!
इस लिस्ट में मौजूद एक स्टार किड का डेब्यू अस्सी के दशक में हुआ था. वहीं एक और स्टार किड की फिल्म 2025 में आई है.

Nepotism. चार लोगों के बीच इस शब्द को उछालिए और देखिए कि सभी के पास कोई-न-कोई राय होगी. बाहर के लोग हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज़्म को किसी दुश्मन की तरह देखते हैं. लेकिन नेपोटिज़्म ने सिनेमा का नाश नहीं किया. उसने हिन्दी सिनेमा को कई कमाल के कलाकार भी दिए, स्टार दिए जो आज तक इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं. फिल्मी परिवारों से आने वाले कुछ ऐसे ही एक्टर्स के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने बलबूते पर अपना नाम बनाया, और स्टारडम का झंडा गाड़ा.
#1. सलमान खान
राइटर सलीम खान के सबसे बड़े बेटे. ‘बीवी हो तो ऐसी’ डेब्यू फिल्म रही. लेकिन ये सलमान की फिल्म नहीं थी. साल 1989 में आई ‘मैंने प्यार किया’ ने उन्हें फिल्मी दुनिया का हीरो बनाया. चॉकलेटी, स्वीट और शर्मिला लड़का. सलमान ने अगले कुछ साल तक इस इमेज का दामन पकड़कर रखा. फिर वो ईवॉल्व हुए. शर्ट उतारी और जी तोड़ एक्शन किया. अब तक एक्शन कर रहे हैं. बीते कुछ सालों में उनकी ‘सिकंदर’, ‘राधे’ और ‘किसी का भाई किसी की जान’ जैसी फिल्मों को भले ही पसंद नहीं किया गया, लेकिन उनके स्टारडम का कद ऐसा है कि हल्की से हल्की फिल्म भी 100 करोड़ रुपये के पार चली जाती है.
#2. आमिर खान
सलमान, शाहरुख और आमिर खान लगभग एक ही समय पर फिल्म इंडस्ट्री में आए. आज सलमान और शाहरुख के घर के बाहर फैन्स का हुजूम जमा होता है. आमिर के घर के बाहर भीड़ नहीं लगती. उसकी वजह है कि प्रोड्यूसर ताहिर हुसैन के बेटे आमिर खान ने मुश्किल राह पकड़ी. उन्होंने घनघोर कमर्शियल सिनेमा करने के साथ-साथ खुद को चैलेंज भी किया. अपनी ऑडियंस को चैलेंज किया कि वो मनोरंजन के नाम पर बेहतर सिनेमा की मांग करे. आमिर के लिए कहा जाता है कि वो ‘थिंकिंग क्लास’ के सुपरस्टार हैं. कहीं-न-कहीं आमिर भी इस टैग से अवगत थे और उन्होंने इसी को पुख्ता करने की कोशिश में काम भी किया. ‘रंग दे बसंती’, ‘तारे ज़मीन पर’, ‘सरफ़रोश’, ‘लगान’ और ‘3 इडियट्स’ जैसे नाम उनके कुछ बेहतरीन सिनेमा में से हैं.
#3. संजय दत्त
लैजेंड्स सुनील दत्त और नरगिस के छोटे बेटे. संजय दत्त की जीवनी में सिनेमा से ज़्यादा हिस्सा विवादों ने लिया. शुरुआती फिल्में कुछ खास चली नहीं. कई बार लगा कि अब करियर बर्बाद हो चुका है. करीबी दोस्तों ने विदेश में बसने की सलाह दी. चरमराए करियर को देख संजय इस सलाह पर विचार भी करने लगे. लेकिन वो विदेश नहीं गए. इंडिया में ही रहे. हर समय के सिनेमा के हिसाब से खुद को ढालने की कोशिश की. अपने लिए जगह बनाई. फिर चाहे वो नाइंटीज़ की ‘वास्तव’ हो या उससे अगले दशक में आई ‘मुन्नाभाई MBBS’, दोनों फिल्मों ने उनके फैनबेस को मज़बूत करने का ही काम किया. साल 2022 में आई KGF Chapter 2 के बाद से संजय दत्त लगातार साउथ में एक्टिव होकर काम कर रहे हैं. वहां वो यश, विजय और प्रभास जैसे स्टार्स के साथ विलेन बन चुके हैं.
#4. सैफ अली खान
सैफ अली खान के बेटे इब्राहीम अली खान ने ‘नादानियां’ से अपना डेब्यू किया. उस फिल्म के लिए उन्हें बहुत ट्रोल किया गया. इस बीच लोगों ने आज की जनता को सैफ का डेब्यू याद दिलाया. दिग्गज एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर के बेटे सैफ अली खान की शुरुआती कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली. फिल्मी मैगजीन ने दबी आवाज़ में छापा कि सैफ को एक्टिंग में कोई इंट्रेस्ट नहीं है. सैफ ने जवाब नहीं दिया. वो काम करते रहे. इसी क्रम में उन्होंने खुद को सिर्फ एक गुड लूकिंग बॉय नहीं रहने दिया. ‘ओमकारा’ के घिनौने लंगड़ा त्यागी बने, ‘गो गोवा गॉन’ के रशियन-दिल्ली वाले ज़ॉम्बी कैचर बने, सैफ ने साबित कर दिया कि आप उन्हें हल्के में नहीं ले सकते, और उन्हें उनके सुरनेम से जज नहीं कर सकते. उनके पास भी कहने को बहुत कुछ है.
#5. अजय देवगन
अजय देवगन के पिता वीरू देवगन नामी स्टंट डायरेक्टर थे. अजय की शुरुआती ट्रेनिंग अपने पिता के साथ ही हुई. फिर उन्होंने डायरेक्शन में असिस्ट किया. आगे ‘फूल और कांटे’ में दो बाइकों पर सवार होकर फिल्मी एंट्री ली. नब्बे के दशक में अजय ने मारधाड़ और बहुत ही टिपिकल किस्म की फिल्में की. छोटे शहरों की सिंगल स्क्रीन पर राज किया. लेकिन इस बीच वो सिनेमा के स्टूडेंट बने रहना नहीं भूले. हर ‘दिलजले’, ‘दिलवाले’ के जवाब में उनके पास ‘रेनकोट’, ‘युवा’, ‘कंपनी’, ‘तक्षक’ और ‘ओमकारा’ जैसे नाम हैं.
#6. बॉबी देओल
अगर कभी हिन्दी सिनेमा के सबसे तगड़े कमबैक की लिस्ट बनाई जाएगी तो उसमें बॉबी का नाम शीर्ष पर होगा. ‘बरसात’, ‘गुप्त’ और ‘सोल्जर’ जैसी फिल्मों ने उन्हें स्टार बनाया. बस वो इस स्टारडम से बाहर नहीं निकल सके. दौर बदला, पर बॉबी नहीं बदले. वो इस छवि को अपने बीते कल की परछाई की तरह नहीं देख पा रहे थे. झुंझलाहट हुई. खुद को शराब में डुबो दिया. बाहर निकले. किसी फीनिक्स की तरह. ‘क्लास ऑफ 83’ और ‘आश्रम’ जैसे प्रोजेक्ट्स से दिखाया कि छाती में जल रही आग अभी भी उतनी ही तेज़ है. ‘एनिमल’ ने उसमें घी डालने का ही काम किया. बॉबी ने आर्यन खान की डेब्यू सीरीज़ ‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ में मेन विलेन का रोल किया. उनका काम ऐसा था कि सोशल मीडिया के हर कोने में लॉर्ड बॉबी को सलामी दी जा रही है.
#7. ऋतिक रोशन
डायरेक्टर राकेश रोशन ने अपने बेटे ऋतिक को लॉन्च करने के लिए ‘कहो ना प्यार है’ बनाई. इस फिल्म ने धमाका मचा दिया. ट्रेड एक्स्पर्ट्स ने मान लिया कि नया स्टार आ चुका है. फिल्म मैगज़ीन लिखने लगीं कि अब तीनों खान का स्टारडम खतरे में हैं. ऋतिक को दूसरा शाहरुख बताया गया. लेकिन एक पक्ष को शक भी था, कि कहीं कुमार गौरव की तरह ऋतिक भी बस वन हिट वन्डर न बन जाएं. स्पॉइलर अलर्ट पर ऋतिक न तो दूसरे शाहरुख बने, और न ही वन हिट वन्डर रहे. वो ओरिजनल ऋतिक रोशन ही बने रहे. अपने बलबूते ‘कृष’ और ‘वॉर’ जैसी बड़ी फिल्में खड़ी की और उन्हें सफल भी बनाया.
#8. शाहिद कपूर
ऋतिक की तरह एक और एक्टर जो कमाल के डान्सर भी हैं. ज़ाहिर तौर पर तुलना भी हुई. लेकिन शाहिद इस गेम में नहीं फंसे. उनका फोकस क्लियर था. मन का काम किया, बॉक्स ऑफिस हिट्स दी और बात खत्म. शाहिद के पिता पंकज कपूर को लंबे समय तक एक सीरियस एक्टर की तरह देखा गया. शाहिद ने खुद को उस इमेज से दूर करने की कोशिश की और कामयाब भी हुए. ‘वाह लाइफ हो तो ऐसी’ जैसी फन फिल्म भी की, और ‘हैदर’ कर के ऑडियंस को चौंकाया भी. अपनी फिल्मोग्राफी में विशाल भारद्वाज, इम्तियाज़ आलिया और अभिषेक चौबे जैसे कमाल डायरेक्टर्स की फिल्में जोड़ी और डिलिवर भी किया.
#9. करीना कपूर
करीना की बड़ी बहन करिश्मा उनसे पहले फिल्मों में आ चुकी थीं. करिश्मा ने शाहरुख, आमिर, सलमान समेत तमाम बड़े स्टार्स के साथ काम किया. उसके बावजूद किसी भी पॉइंट पर करीना उनकी परछाई में दबकर नहीं रहीं. करीना के शुरुआती दौर के साथी कहते हैं कि वो बहुत कॉम्पीटेटिव थीं. अगर उन्होंने तय कर लिया कि ये फिल्म उन्हें करनी हैं तो वो हालात अपने पक्ष में लाने के लिए पुरजोर कोशिश करतीं. इसी रवैये की बदौलत वो मेल डॉमिनेटिड इंडस्ट्री में अपने पांव जमा पाईं. खुद को एक सुपरस्टार के रूप में स्थापित कर सकीं. बाकी करीना के काम की रेंज समझनी है तो ‘ओमकारा’, ‘चमेली’, ‘सत्याग्रह’, ‘उड़ता पंजाब’ और ‘जब वी मैट’ जैसी फिल्में देखिए.
#10. रणबीर कपूर
कपूर खानदान की चौथी जेनरेशन. अगर चार लोग घेरकर पांचवे को नेपोटिज़्म के नुकसान बता रहे होते हैं, तो पांचवा तुरुप के इक्के की तरह रणबीर कपूर का नाम उछालता है. रणबीर ने अपने करियर के शुरुआती सालों में ही ऑडियंस और क्रिटिक्स को इम्प्रेस कर लिया था. वो दिखा चुके थे कि ‘बचना ए हसीनों’ के साथ वो ‘रॉकेट सिंह’ को भी संभाल सकते हैं. हर ‘अजब प्रेम की गज़ब कहानी’ के लिए उनके पास ‘वेक अप सिड’ थी. स्टारडम का आंकलनकरने के लिए बॉक्स ऑफिस कलेक्शन भी एक बड़ा पैमाना है. रणबीर वहां थोड़ी देर से पहुंचे. लेकिन उनके अगले 10 साल का लाइनअप देखकर लग रहा है कि वो उस शिखर से नीचे नहीं उतरने वाले. उनके आने वाले प्रोजेक्ट्स में ‘लव एंड वॉर’, ‘रामायण’, ‘एनिमल पार्क’ और ‘धूम 4’ जैसे नाम शामिल हैं.
#11. आलिया भट्ट
आलिया भट्ट के पहले ऑडिशन से पहले पिता महेश भट्ट ने उन्हें अपने ऑफिस बुलाया. ऑफिस में कई लोगों के सालमने परफॉर्म करने को कहा. आलिया घबरा गईं. उन्हें पैनिक अटैक आ गया. आलिया के घुटने ज़मीन पर भले ही गिरे, लेकिन वहां टिके नहीं रहे. उन्होंने करण जौहर की ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ से डेब्यू किया. इससे पहले कि लोग अपने पूर्वाग्रह बेचते कि वो सिर्फ मसाला फिल्में ही कर सकती हैं, उतने में ‘हाइवे’ आ गई. उस फिल्म के बाद आलिया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. ‘राज़ी’, ‘गंगुबाई काठियावाडी’ और ‘जिगरा’ जैसी फिल्मों से अपने काम का लोहा ही मनवाया.
#12. श्रद्धा कपूर
श्रद्धा कपूर ने अपने करियर में कम फिल्में की हैं. लेकिन उन्हें हमेशा से इस बात को लेकर क्लैरिटी थी कि उन्हें कौन-सी फिल्मों से जुड़ना है. इस क्रम में उन्होंने ‘आशिकी 2’, ‘साहो’ और ‘बागी’ जैसी फिल्में की. अगर इस पॉइंट पर किसी को ये शक रहा कि श्रद्धा की फिल्में सिर्फ उनके नाम पर नहीं चल सकतीं, तो ऐसे शक को दूर करने के लिए ‘स्त्री’ आई. ‘स्त्री’ ने उन्हें एक बड़ी और सफल फ्रैन्चाइज़ का चेहरा बना दिया. उनकी फिल्म से शुरू हुई ये फ्रैन्चाइज़ आज अपने आप में एक यूनिवर्स बन चुकी है.
#13. अहान पांडे
अनन्या पांडे के कज़िन बीते कई सालों से अपने डेब्यू का इंतज़ार कर रहे हैं. कुछ बड़े मौके आए भी, लेकिन दिल पर पत्थर रखकर उन्हें जाने दिए. डेब्यू किया ‘सैयारा’ से. ये ऐसा डेब्यू था जिसके लिए बॉक्स ऑफिस तैयार नहीं था. ये अनीत पड्डा और अहान पांडे की पहली ही फिल्म थी. फिर भी फिल्म ने 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कलेक्शन किया. आखिरी बार ‘कहो ना प्यार है’ के वक्त किसी न्यूकमर की फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के रिकॉर्ड तोड़े थे. अब ‘सैयारा’ ने उसकी जगह ले ली. इस फिल्म के बाहर आने के बाद लोगों में उत्सुकता होने लगी कि अहान आगे क्या करने वाले हैं. अहान भी सोच-विचार कर के, अपना समय लेकर ही अगले प्रोजेक्ट्स चुन रहे हैं.
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