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मनोज ने नाम में मुंतशिर जोड़ा, पिता को लगा बेटा मुसलमान हो गया

Manoj Muntashir Shukla ने रेडियो पर एक शेर सुना और उस शेर में इस्तेमाल हुआ शब्द मुंतशिर अपने नाम में जोड़ लिया. फिर उनके पिता जो किया, सुनने जैसा है.

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manoj muntashir shukla
मनोज मुंतशिर पहले शुक्ला हुआ करते थे
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अनुभव बाजपेयी
15 नवंबर 2023 (Updated: 15 नवंबर 2023, 18:50 IST)
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मनोज मुंतशिर ने जब अपने नाम के आगे शुक्ला जोड़ा, तो बहुत बवाल हुआ. इस पर उन्होंने हमारे प्रोग्राम 'बैठकी' में बात की. आप क्लिक करके यहां पढ़ सकते हैं. उन्होंने जब अपने नाम के आगे मुंतशिर जोड़ा था, तब भी खूब हंगामा हुआ था. उनके पिता को लगा था कि बेटे ने नाम नहीं, बल्कि धर्म बदल लिया है. उन्होंने नेमप्लेट लगाने आए व्यक्ति को बहुत हड़काया था.

मनोज ने मुंतशिर अपने नाम में लगा लिया था. 'मुंतशिर' उन्होंने कहां से पिक किया, ये आगे बताते हैं. अभी आते हैं, पिता जी के गुस्से पर. उनके पिता किसान और पुरोहित हैं. मनोज मुंतशिर के गौरीगंज (पैतृक निवास) वाले घर का रिनोवेशन चल रहा था. घर में नेमप्लेट लगनी थी. मनोज ने पापा की परमीशन लेकर अपना भी नाम तख्ती पर डलवा लिया. तख्ती लग गई. किसी ने कुछ ध्यान नहीं दिया. उस पर मनोज के नाम के साथ शुक्ला की जगह मुंतशिर लिखा था. वो नए-नए मुंतशिर हुए थे.

शुरू के दो-तीन दिन तो किसी ने ध्यान नहीं दिया. लेकिन एक सुबह अचानक दातून करते हुए, पिता की नजर पड़ी. पहले तो वो पेंटर रामफेर पर गुस्साए कि नाम गलत लिख दिया है. लेकिन जब मनोज ने कहा कि मेरा ही नाम मुंतशिर है तो घर में अगले दो-तीन दिन सन्नाटा रहा. किसी ने किसी से बात नहीं की. पिता को लगा कि बेटा मुसलमान हो गया. उन्हें पेननेम के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. मनोज ने उन्हें समझाया, फिर धीरे-धीरे मामला शांत हुआ.

मनोज मुंतशिर को अपने नाम में 'शुक्ला' लगाने की ज़रूरत क्यों पड़ी?

अब बता देते हैं कि मनोज के नाम में मुंतशिर कहां से आया. 21 की उम्र थी तब उनकी. मनोज कहते हैं:

साल 1997 में गौरीगंज में ठण्ड की एक शाम थी. सात बजे का वक्त था, वो चाय की तलाश में भटक रहे थे, दूर सिगड़ी जलती दिखी तो पहुंच गए. चाय वाले का नाम बबलू था, वहीं रेडियो पर मुशायरा चल रहा था, मनोज ने कहा, आवाज बढ़ाओ, मुशायरे में शेर पढ़ा जा रहा था, "मुंतशिर हम हैं तो रुख्सारों पे शबनम क्यूं है,  आइने टूटते रहते हैं तुम्हें ग़म क्यूं है.

मनोज को पेन नेम की तलाश थी, पहला शब्द उनके कानों में अटक गया, उन्हें मुंतशिर का अर्थ पता था, नाम के साथ राइम कर रहा था, इसलिए बन गए, मनोज मुंतशिर.

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