The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Entertainment
  • less known facts and stories about revolutionary sukhdev and rajguru

एक ने तेजाब से हाथ जला लिया, दूसरा घर छोड़ भाग गया, आज उन्हें देश याद कर रहा है

शहीद दिवस है आज, पढ़िए सुखदेव और राजगुरु की जिंदगी से जुड़ी कुछ बातें.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
लल्लनटॉप
23 मार्च 2016 (Updated: 23 मार्च 2016, 09:00 PM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
23 मार्च, आज शहीद सिर्फ भगत सिंह नहीं हुए थे. सुखदेव और राजगुरु भी उनके साथ शहीद हुए थे. 23 मार्च, 1931 को इन्हें भगत सिंह के साथ लाहौर सेन्ट्रल जेल में फांसी पर झुलाया गया था. कहते हैं. फांसी के तख्ते पर चढ़ने के पहले जब तीनों ने फांसी के फंदे को चूमा तो जेल के वार्डन ने कहा था ‘‘इन लड़कों के दिमाग बिगड़े हुए हैं, ये पागल हैं’’ जवाब आया था. हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं.’’ हम कुछ बातें खोज लाए हैं उनकी जिंदगी की, जो आपको जाननी चाहिए. कुछ आप जानते होंगे. कुछ हम बताते हैं.

 सुखदेव

1.

सुखदेव, पूरा नाम सुखदेव थापर. 15 मई 1907 को लुधियाना में राम लाल थापर और रल्ली देवी के यहां पैदा हुए थे.

2.

सुखदेव तब 3 साल के थे, इनका छोटा भाई होने वाला था, उसके 3 महीने पहले इनके पिता नहीं रहे. शुरू-शुरू की पढ़ाई लुधियाना में हुई.बाद में ल्यालपुर में जा बसे. ल्यालपुर जिसे आज हम फैसलाबाद के नाम से जानते हैं.

3.

वहां सुखदेव के ताऊ रहते थे. लाला अचिन्त राम. वो आर्य समाज से प्रभावित थे. इसका असर सुखदेव पर भी पड़ा था, बचपन से ही उनने छुआछूत मानना बंद कर दिया था. वो अछूत कहे जाने वाले बच्चों को पढ़ाने लगे.

4.

उनके बचपन की एक बात है, जिसके बारे में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के एक कामरेड ने बताया था. सुखदेव ने एक बार अपने बाएं हाथ पर बने 'ऊँ' के गोदने पर तेजाब डाल लिया था. ऐसा उन्होंने अपनी सहन शक्ति को जानने के लिए किया था. फिर उसके निशानों को हटाने के लिए सुखदेव ने हाथ को मोमबत्ती से जला डाला था.

5.

इनके कॉलेज की पढ़ाई लाहौर नेशनल कॉलेज से हुई. यहीं इनकी मुलाकात भगत सिंह से हुई थी. ये हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के मेंबर थे. इन्होंने भगत सिंह, कॉमरेड रामचन्द्र एवं भगवती चरण बोहरा के साथ लाहौर में नौजवान भारत सभा का गठन किया था.

6.

लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए 1928 में ब्रिटिश ऑफिसर जे. पी साण्डर्स को मारने में इन्होंने भगत सिंह और राजगुरु के साथ-साथ थे.

7.

जब सेंट्रल एसेंबली में बम फेंका गया तो उसके लिए भगत सिंह फर्स्ट चॉइस नहीं थे. पुलिस पहले से ही उनकी तलाश में थी. लेकिन सुखदेव अड़ गए कि भगत सिंह ही बम फेंकेंगे. क्योंकि भगत सिंह लोगों में जागृति पैदा कर सकते हैं. सुखदेव की बात भगत सिंह ने भी मान ली. कहते हैं इसके बाद वो कमरे में जाकर फूट-फूटकर रोए थे, क्योंकि इनने अपने फैसले से अपने ही दोस्त को कुर्बानी के रास्ते पर भेज दिया था.

8.

भगत सिंह और सुखदेव में एक समानता है. दोनों एक ही साल पैदा हुए थे, और ये तो जगजाहिर है कि उनकी शहादत भी एक ही दिन हुई.

राजगुरु

1.

राजगुरु, पूरा नाम शिवराम हरि राजगुरु. 24 अगस्त 1908 में पुणे के खेड़ा में हुआ था. 6 साल की उम्र में पिता चल बसे. उसके बाद वो बनारस आ गए.

2.

राजगुरु को रघुनाथ के नाम से भी जानते थे. जब 14 साल के थे. एक बार अंग्रेजी में फेल हो गए थे. उनके बड़े भाई ने उन्हें सजा दी. और सजा थी कि राजगुरु को अपनी भाभी के सामने अंग्रेजी का एक पाठ पढ़ना था. ये सजा उनको अपनी बेइज्जती लगी. जेब में सिर्फ 11 पैसे थे, और बदन पर कपड़े. ऐसे ही घर से निकल गए. पढ़ाई के लिए पहले नासिक गए. फिर काशी जा पहुंचे.

3.

काशी में अपना काफी वक्त वो लाइब्रेरी में बिताते. या फिर भारत सेवा मंडल के द्वारा चलाए जा रहे जिम में कुश्ती सिखने में. कुछ महीने उन्होंने मार्शल आर्ट्स भी सीखा था.

4.

सुखदेव की तरह राजगुरु भी हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के मेंबर थे. पार्टी के मेंबर इनको 'शहादत का बेताब आशिक' बुलाते थे. क्योंकि ये देश के लिए जान देने के लिए हमेशा तैयार जो रहते थे.

5.

राजगुरु महात्मा गांधी के नॉन वायलेंस मूवमेंट में विश्वास नहीं रखते थे.

6.

राजगुरु भगत सिंह की पार्टी के निशानची थे, इनका निशाना एक नंबर का था. इनको पार्टी का 'गनमैन' कहा जाता था.

7.

1928 में राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव के साथ ब्रिटिश ऑफिसर जे.पी. साण्डर्स की हत्या में शामिल हुए थे. साण्डर्स की हत्या के बाद तीनों लाहौर चले आए थे. काफी मशक्कत के बाद सितंबर 1929 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था.

8.

अदालत में जब केस चल रहा था तब इनको ये तो पता ही था कि मुकदमे की नौटंकी चल रही है. ऐसे में इनने मजे लेने की ठानी. एक रोज राजगुरु ने जज को संस्कृत में ललकारा. जज चौंक क्या. पूछा 'टुम क्या कहता है हाय?' राजगुरु हँसे और भगत सिंह से कहा.यार भगत इसको अंग्रेजी में समझाओ. ये जाहिल हमारी भाषा क्या समझेंगे.

Advertisement