'हासिल' के ये 10 डायलॉग आपको इरफ़ान का वो ज़माना याद दिला देंगे
17 साल पहले रिलीज़ हुई इस फ़िल्म ने ज़लज़ला ला दिया था
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हासिल को सालों बाद भी याद रखा जाएगा इसके करारे डायलॉग की वजह से
मई का यही महीना था, तारीख़ थी 16 मई और साल था 2003. जब मल्टीप्लेक्स कल्चर से दूर खड़े सिंगल स्क्रीन सिनेमा घरों में एक फ़िल्म रिलीज़ हुई. नाम था 'हासिल'. अब के 'पान सिंह तोमर' वाले तिग्मांशु धूलिया ने तब के बम्बईया बॉलिवुड को दर्शन कराए इलाहाबाद के. पहली बार लोगों ने ठेठ इलाहाबादी में वो डायलॉग सुने जो उन्हें अपने आस-पास के लोगों से दिन रात सुनने को मिलते रहे थे.
हासिल के 17 सालों बाद तक इसके जानदार डायलॉग लोग-बाग़ गाहे-बगाहे बोलते रहते हैं. आइए आज सुनें वो 10 संवाद जिन्हें आज भी याद किया जाता है -
1# तुमको याद रखेंगे गुरु हम, आई लाइक आर्टिस्ट -रणविजय फ़िल्म – हासिल (16 मई 2003)
2# वो साले गुंडे हैं, सरकारी गुंडे हैं. हम क्रांतिकारी हैं, गुरिल्ला वार किया जाएगा
-रणविजय
फ़िल्म – हासिल (16 मई 2003)
3# छात्र नेता हैं, मारे साला सीटी दस हज़ार लौंडा इकठ्ठा हो जायेगा
-रणविजय
फ़िल्म – हासिल (16 मई 2003)
4# एक बात सुन लेओ पण्डित, तुमसे गोली वोली न चल्लई. मंतर फूंक के मार देओ साले…
-रणविजय
फ़िल्म – हासिल (16 मई 2003)
5# तो कम कर दिए जाओगे. दो मिनट का मौन होगा तोहरी याद में.
-गौरीशंकर पांडे
फ़िल्म – हासिल (16 मई 2003)
6# माईसेल्फ, बद्रीशंकर. आएम यंगर ब्रदर ऑफ़ करेंट प्रेसिडेंट ऑफ़ युन्बस्टी. इफ यू प्लीज़ यू कैन गिव मी वोट…आई कैन गिब यू…
-बद्री
फ़िल्म – हासिल (16 मई 2003)
7# ब्राह्मणों, जनेऊ की कसम खाओ, बद्री पाण्डे को ही वोट दोगे…
-बद्री
फ़िल्म – हासिल (16 मई 2003)
8# और तुम्हीं से चलवाएंगे गोली ...तुम्हीं चलाना
-गौरीशंकर पांडे
फ़िल्म – हासिल (16 मई 2003)
9# तुम इलेक्शन जीतने में इंट्रेस्टेड नहीं लगते हमको, सिर्फ़ इसी लड़की का वोट मिल जाए यही बहुत है तुम्हारे लिए
-गौरीशंकर पांडे
फ़िल्म – हासिल (16 मई 2003)
10# हम कपड़ा ओपड़ा सिलवा लिए, सुबह से पहन के बैठे हैं...अब का कहें उनको कि हमारी दुल्हन भाग गई
-रणविजय
फ़िल्म – हासिल (16 मई 2003)

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