The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Entertainment
  • Film Review Sanju starring Ranbir Kapoor, Dia Mirza, Anushka Sharma, Paresh Rawal and Manisha Koirala directed by Rajkumar Hirani

फ़िल्म रिव्यू : संजू

रणबीर कपूर, परेश रावल, विकी कौशल की फ़िल्म जिसे बनाया है राजू हीरानी ने.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
केतन बुकरैत
29 जून 2018 (Updated: 30 जून 2018, 09:42 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
एक फ़िल्म ऐक्टर है. उसका एक बेटा है. वो भी फ़िल्म ऐक्टर ही है. इस 'रिश्तेदारी' पर एक फ़िल्म बनी है. नाम है - संजू. और ये संजू का रिव्यू है.
राजकुमार हीरानी. बतौर डायरेक्टर, पांचवीं फ़िल्म. इससे पहले उनके खाते में मुन्नाभाई एमबीबीएस, लगे रहो मुन्नाभाई, थ्री इडियट्स और पीके नाम की फ़िल्में हैं. ये सभी शानदार फ़िल्में थीं. संजू इस लीग में एकदम वैसे ही दिखाई पड़ती है जैसे इंग्लैंड दौरे पर भुवनेश्वर कुमार और इशांत शर्मा के टीम में होने के बाद स्टुअर्ट बिन्नी गेंद लेकर दौड़ पड़ा था.
ऐसा नहीं है कि फ़िल्म बेकार है. फ़िल्म उस ऊंचाई को नहीं छू पाई है जहां तक राजू हीरानी ने पहुंचने की आदत हमें डलवा दी है. ये वैसा ही है कि घर में मां के हाथ का शानदार खाना खाने के बाद एक-आध दिन किसी अच्छे होटल का औसत खाना आहार नाली से नीचे उतारना पड़ जाए.
संजू की कहानी संजय दत्त की पहली फ़िल्म रॉकी से शुरू होती है और कई मोड़ लेते हुए उनके आतंकवादी न होने का फ़ैसला आ जाने पर ख़त्म होती है. इस पूरे दौरान उनकी लाइफ़ जितने भी सही-गलत रास्तों पर चलती है, उनकी कहानी बुहत ही सावधानीपूर्वक दिखाई गई है. संजय दत्त और सुनील दत्त, यानी बाप बेटे की कहानी पर ख़ासा जोर दिया गया है और एक तरह से देखा जाए तो फ़िल्म पूरी तरह से उसके ही इर्द गिर्द घूमती है. मान्यता दत्त का काम बस "संजू" कहना और अनुष्का शर्मा (जो कि एक लेखिका हैं) को संजू की बायोग्राफी लिखने के लिए कन्विंस करने का है. संजय दत्त के जीवन में जो कुछ भी अच्छा हुआ, उसकी बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी उनका दोस्त कमली ले सकता है. उसके रोल में गुजराती बोलते हुए विकी कौशल दिखेंगे. ये रोल भी खूब याद रखा जाएगा. कमली के डायलॉग्स लफ्फ़ाड़ो के दिमाग में घूमेंगे. संजय दत्त के फ़िल्मी करियर की शुरुआत बेहद दुखद और फ़िल्मी रही. उनकी पहली फ़िल्म रॉकी के तीन दिन पहले ही उनकी मां नरगिस चल बसीं. वो अपने बेटे की पहली फ़िल्म देखना चाहती थीं. मनीषा कोइराला रुपी नरगिस दत्त ने कम स्क्रीन टाइम के बावजूद, जहां हो सका समा बांधा.
नर्गिस की ही तरह मनीषा भी कैंसर पेशेंट रह चुकी हैं. उन्हें ओवेरियन कैंसर था.
नर्गिस की ही तरह मनीषा भी कैंसर पेशेंट रह चुकी हैं. उन्हें ओवेरियन कैंसर था.

फ़िल्म के असली हीरो रणबीर कपूर ने शानदार कम किया है. संजय दत्त की कितनी ही फुटेज देख कर उन्होंने इस फ़िल्म की तैयारी की होगी, या खुद संजय दत्त के साथ उन्होंने कितना ही वक़्त बिताया होगा, सभी कुछ फलीभूत होता दिखा है. संजय दत्त की बॉडी लैंग्वेज, उनका रंग-ढंग जितना हो सका है, रणबीर कपूर ने उसे स्क्रीन पर ला पटका है. कई जगहों पर संजय दत्त और फ़िल्मी संजू के बीच की लकीर बेहद महीन होती दिखी है. इसके अलावा एक नाम और है जिसने काफ़ी भार पाने कंधों पर ढोया है - परेश रावल. संजय दत्त के बाप सुनील दत्त की भूमिका में. एक समय ऐसा भी आता है जब फ़िल्म के हीरो वो खुद बन जाते हुए मालूम देते हैं और संजू अर्थात रणबीर कपूर किनारे आ जाते हैं.
फिल्म के मेकर्स का कहना है कि उनके दोस्त का जो रोल विकी कौशल कर रहे हैं, वो उनके करीबी दोस्तों को मिलाकर बनाया गया है. यूएस में रहने व वाले परेश नाम के एक शख्स संजय के खासे करीबी माने जाते हैं.
फिल्म के मेकर्स का कहना है कि उनके दोस्त का जो रोल विकी कौशल कर रहे हैं, वो उनके करीबी दोस्तों को मिलाकर बनाया गया है. यूएस में रहने व वाले परेश नाम के एक शख्स संजय के खासे करीबी माने जाते हैं.

फ़िल्म में संजय दत्त की ज़िन्दगी के बहुत सारे फैक्ट्स किनारे रख दिए गए हैं. ये सच है कि एक पचास पार के आदमी की ज़िन्दगी के सभी अकाउंट्स को तीन घंटे की फ़िल्म में नहीं घुसाया जा सकता है मगर माधुरी दीक्षित, पाली हिल के बंगले की फ़ायरिंग और बाल ठाकरे के चैप्टर को किनारे रखना उतनी ही बड़ी गलती है जितनी बड़ी गलती मैंने ग्यारहवीं में कैलक्युलस पर ध्यान न दे कर की थी. एक समय के बाद फ़िल्म बम्बई में हुए बम ब्लास्ट और संजय दत्त की गाड़ी में रक्खी एके 56 असॉल्ट रायफ़ल पर आ जाती है. फिर सब कुछ इसी के इर्द गिर्द घूमने लगता है. यहां से ये समझ में आने लगता है कि संजय दत्त को कोर्ट के बाद अब हर दूसरी जगह से बाइज्ज़त बरी करवाने की कोशिश की गई है. इस कोशिश में ढेर सारे इमोशन, ड्रामा का इस्तेमाल किया गया है. कई जगह पर रुलाया गया है. इस मामले में राजू हीरानी और अभिजात जोशी की जोड़ी ने पूरी तरह से नंबर कमाए हैं. ये काम हमेशा से ही इनका यूएसपी रहा है.
संजू को इस फ़िल्म से ढेर सारा फायदा होने वाला है. एक लहर उठेगी जो की उनके फेवर में काम करेगी. अफवाहों और कुछ भी छाप-बोल देने के दौर में संजय दत्त के बारे में जो कुछ भी कहा गया है उसमें से काफ़ी कुछ क्लियर भी होगा. इसी क्रम में इस फ़िल्म में पत्रकारिता पर कुछ सवाल उठाये गए हैं जो कि बेहद वाजिब हैं. इस फ़िल्म के बाद किसी भी खबर की हेडिंग में अगर प्रश्नवाचक चिन्ह मिलेगा तो आप इस फ़िल्म से मिले सबक को ज़रूर ध्यान में रखेंगे. कई जगहों पर पत्रकारों पर बहुत ही अच्छे तंज़ कसे गए हैं जो कि निहायती ज़रूरी हैं. फ़िल्म के अंत में एक गाना है जिसे देखना न भूलें. अर्थात फ़िल्म ख़तम होते ही भागने की जल्दबाजी से बचें. इस गाने को एक थप्पड़ समझिये जो हम सभी (खबर 'बनाने' वाले और उसका उपभोग करने वाले) को नींद से जगाने के लिए ज़रूरी है. इसे लिखा है लल्लनटॉप के दोस्त पुनीत शर्मा ने.
puneet sharma
फ़िल्म के गानों के लेखक पुनीत शर्मा के साथ बाबा और 'संजू'. ये गेट-अप और सेट-अप एक सीक्रेट है जो फ़िल्म देखने पर मालूम पड़ जाएगा.

संजू एक बढ़िया एंटरटेनमेंट देने वाली फ़िल्म है. संजय दत्त की ज़िन्दगी में इतने सारे रंग रहे और इसी वजह से ये संभव भी हो सका और यकीनन यही वजह रही होगी कि इस आदमी के जीवन पर फ़िल्म बनाने की सोची भी गई. फ़िल्म खासे पैसे कमाएगी. सिनेमा हॉल्स भरे रहेंगे. रेस थ्री की छीछालेदर में अगर आपने सर घुसाया था तो उसके हैंगोवर से ये फ़िल्म आपको निकाल सकती है.
बाकी बातें, मिलने पर. तब तक - "मैं बढ़िया... तू भी बढ़िया... पर मैं आज़ाद हूं चिड़िया..."


 Also Read

लव स्टोरीज़ से बोर हो चुके दर्शकों के लिए पेश है ‘लस्ट स्टोरीज़’!
अपनी इस फिल्म से सनी लियोनी सलमान खान की बराबरी कर लेंगी
क्या है संजय दत्त की इस अगली पोलिटिकल थ्रिलर की कहानी?
‘रेस 3’ का ट्रेलर देखकर लगता है, ये ‘टाइगर ज़िंदा है’ से एक कदम आगे की फिल्म है
‘गो गोवा गॉन’ वाले कृष्णा डीके की वेब सीरीज, ‘द फैमिली मैन’ की 6 खास बातें
जिसके नाम पर सलमान का नाम ‘टाइगर’ पड़ा, उसका रोल अर्जुन कपूर करने जा रहे हैं

Advertisement

Advertisement

()