9 जुलाई 2016 (Updated: 9 जुलाई 2016, 09:01 AM IST) कॉमेंट्स
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डायरेक्टर क्यू की नई फ़िल्म. 'ब्राह्मण नमन' नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ होने वाली पहली इंडियन फ़िल्म. साथ ही क्यू की सबसे आसानी से हासिल की जा सकने वाली फ़िल्म. क्यू यानी कौशिक की फ़िल्में अपने सेंट्रल आईडिया की वजह से आसानी से नहीं मिल पातीं. हालांकि क्यू ने फ़िल्म 'लव इन इंडिया' से इम्पैक्ट डालना शुरू किया लेकिन इनके बारे में बात होना शुरू हुई फ़िल्म 'गांडू' से. उनकी फिल्मों की मुख्य थीम सेक्स होती है. 'ब्राह्मण नमन' भी इससे अछूती नहीं है. हालांकि क्यू की पुरानी फिल्में किसी पोर्न फ़िल्म से बित्ते भर के फ़ासले पर ही खड़ी होती हैं, 'ब्राह्मण नमन' इस मामले में कुछ अलग है. नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ किया जाना उनके इस फ़ैसले को जस्टिफाई करता है.
फ़िल्म है तीन लड़कों के बारे में. जिनका मुखिया है नमन. ब्राह्मण, ऊंची जाति का अहंकार, जाति के नाम पर भेदभाव करने वाला, सेक्सिस्ट, दारूबाज और सेक्स के पीछे पागल. ये आखिरी वाली बात उसके ग्रुप में कॉमन है. तीनों लड़के क्विज़ में चैम्पियन हैं. और बातें ऐसी करते हैं मानो सामान्य ज्ञान की तमाम मैग्ज़ीनों के रिवाइज्ड एडीशन रोज़ मुंह-जुबानी निकालते हों. उन्हें शेक्सपियर के कोट्स से लेकर जॉन स्टब्स और एडवर्ड हॉपर की एक-एक पेंटिंग्स रटी हुई हैं. इनकी बातों में सेक्स में डूबे हुए डबल मीनिंग 'इंटेलिजेंट' जोक्स हैं. जिसे वो इन्हें एक बेहद स्ट्रेट फ़ेस के साथ कहते हैं. सेक्स जोक्स होने के बावजूद उन्हें इंटेलिजेंट इसलिए कहा जायेगा क्यूंकि उनमें ऐसे रेफरेंसेस जुड़े हुए होते हैं जिन्हें आम बोलचाल में इस्तेमाल नहीं किया जाता. उसके लिए आपको हद दर्जे का पढ़ाकू और एक हद तक रट्टू तोता होना पड़ेगा.
मगर ये तीनों जहां मात खाते हैं, वो है सेक्स. इन्हें इस बात का गिला है कि ये अभी भी वर्जिन हैं. न ही कोई लड़की इनके आस-पास फटकती है. जबकि इनके आस पास के लड़कों पर वो काफ़ी 'मेहरबान' रहती हैं. वो भी तब जब उन लड़कों को इनके जितना ज्ञान भी नहीं है. और इसी चक्कर में इनके रात और दिन सेक्स के ख़यालों में खोये रहते हैं. भांत-भांत की अश्लील बातें इन सभी के जीवन का हिस्सा बन जाती हैं. और इसी कारण तीनों के क्विज़ चैम्पियन होने के बावजूद फ़िल्म की थीम सेक्स बन जाती है.
फिल्म का असली चेहरा हैं शशांक अरोड़ा. नमन बने हुए. शशांक को हम तितली से जानते हैं. एक ऐसा चेहरा जिससे आंखें हटाने में कुछ ताकत लगानी पड़ती है. शशांक की सबसे अच्छी बात ये है कि इन्होंने अपने तितली के कंबल को पूरी तरह से हटा कर खुद को नई तरह से पेश किया है. दोनों कैरेक्टर्स में ज़मीन आसमान का फ़र्क है और उस फ़र्क को दिखाने में शायद ही कोई कसर छोड़ी गई हो. नमन का कैरेक्टर एक बेहद ठरकी लड़के का कैरेक्टर है जो सोशली बेहद ऑकवर्ड है. उसके हाव-भाव से ऐसा लगता है जैसे 'कोई मिल गया' का रोहित खूब पढ़ाई करके काबिल बन गया है लेकिन रहता अब भी वैसे ही है. साथ ही फिल्म में चौंकाने आते हैं सिद्धार्थ माल्या. विजय माल्या के बेटे. उन्हें लेकर भी कई डबल मीनिंग जोक्स मारे गए हैं जिसमें 'रॉयल चैलेन्ज' वाला जोक हमेशा याद रहने वाले जोक्स में से एक है. इसके साथ ही यूट्यूब पर टाइम गुज़ारने वालों को बिस्वा कल्यान रथ भी दिखेंगे. एक शेखी बघारने वाले लड़के के रूप में.
क्यू ने अपने जाने-पहचाने ढीठपने वाले अंदाज़ में इस फ़िल्म को बनाया है. पूरी फिल्म के दौरान आपको सेक्स रिलेटेड मटीरियल मिलता रहेगा. बातों में नहीं तो विज़ुअल्स के ज़रिए. फ़िर वो चाहे जांघें दिखाती स्कर्ट पहने सड़क पर चलती लड़की हो, उस लड़की के बारे में नमन के मन में आते ख़याल हों, पोर्न मैगज़ीन में छपी तस्वीरें हों, या हस्तमैथुन करने के तरीके ही हों. फिल्म का ओपेनिंग सीक्वेंस ही आपको एक अनिश्चित कुलबुलाहट से भर देने वाला है. आप नमन को फ्रिज के दरवाजे की मदद से हस्तमैथुन करते हुए पाएंगे. और वहीं से फिल्म के 'नॉट-अ-रेगुलर-सेक्स-कॉमेडी' होने का पता चल जाता है. फिल्म किस वक़्त को दिखा रही है ये कहीं भी साफ़-साफ़ नहीं दिखाया गया है लेकिन कपड़ों, हेयरस्टाइल, गानों और यहां तक कि नोटों को देखकर लेट 80 के दशक की फीलिंग आती है. फ़िल्म के डायलॉग और म्यूज़िक अंग्रेजी में ही हैं. पूरी फ़िल्म में जो एक बात नोटिस में आती है वो है अजीबोगरीब फ़्रेम्स. कैमरा क्रेडिट्स में खुद क्यू का भी नाम देखने को मिलता है. पूरी फ़िल्म में जगह-जगह वाइड ऐंगल टेढ़े-मेढ़े फ़्रेम्स देखने को मिलते हैं जो कि फिल्म को न केवल टाईट बना देते हैं बल्कि साथ ही एक 'ट्रिपी' लुक भी देते हैं. 'फियर एंड लोदिंग इन वेगस' के प्रेमी इस बात से पूरी तरह कनेक्ट कर सकेंगे.
इससे मिलते-जुलते स्टोरी लाइन पर फिल्में आती रही हैं. हाल ही में आई हंटर इससे काफ़ी मिलती हुई थी लेकिन चूंकि उसे थियेटर में रिलीज़ होना था इसलिए वो इस हद तक 'नंगी' और रॉ नहीं थी. समझाने के लिए इसे हम एक गर्म दोपहर में अमेरिकन पाई का इंजीनियरिंग कॉलेज के हॉस्टल का वर्ज़न कहें तो शायद सटीक बैठेगा.
https://www.youtube.com/watch?v=_4LER3S-t-E