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स्लैप डे मनाने वाले भी नहीं जानते होंगे थप्पड़ के दस रूप

लप्पड़-थप्पड़, फोहा-चमाट, कंटाप-टीप-लाफा. पड़ा तो होगा ही. पर फर्क पता है इनके बीच का?

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आशीष मिश्रा
16 फ़रवरी 2017 (Updated: 15 फ़रवरी 2017, 05:03 AM IST)
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वैलेंटाइन वाली भसड़ सिमटती है तो एक दिन आता है थप्पड़ का. चुंबन दिवस पर फैलने वाले, Hug day पर अलंकारों का बहुब्बुरा यूज करने वाले इस दिन जाने कहां लुका जाते हैं. पर हम नहीं लुकाए थे. थप्पड़ पर पूरी डीटेल लेके आए हैं. जब भी आप तक पहुंचे, आप उठाएं.  हां तो खाया तो बहुत होगा. पर बताने में लजाते हैं. कुछ की बुद्धि खुलती है बादाम खा के कुछ की थप्पड़ खा के. बिना थप्पड़ खाए महसूसिए थप्पड़ का स्वाद और थप्पड़ के दस अलग-अलग फ्लेवर.

1. झापड़ 

झापड़ थप्पड़ का वो रूप है जो मारा ही इस उद्देश्य से जाए कि सामने वाला कल्ला जाए. नैना से तरैना चू पड़े और आवाज भारी हो जाए. झापड़ की ख़ास बात कि वो रसीद किया जाता है.

2. फोहा

फोहा अपमानित करता है. हतप्रभ कर जाता है. आपने सोचा भी न हो और फ़ो से पड़ जाए. फोहा का मूल ही उसके शॉकिंग एलीमेंट में छिपा है.

3. चमाट

चमाट देना होता है. अक्सर चमाट दी नहीं जाती कहा जाता है कि अभी देंगे. चमाट चेतावनी है. चमाट का नाम आए तो समझिए सुधार की गुंजाइश है.

4. तमाचा

तमाचा जब मारा जाता है न तो आंख में चकमकी चमक जाती है. लगता है वन टेन का बल्ब जलकर बुता गया हो. कान में सुईंईंईंईंईंईंईं की आवाज़ आती है. एक किस्म की सम्पूर्णता का अहसास होता है. वैराग्य सा पनपता है. गालों पर उंगलियां उपट आती हैं.

5. कंटाप

कंटाप पड़ता है. कहीं पढ़ा था. कंटाप हिंसा की एक ऐसी विधा है जो गतिमान हाथ की ऊर्जा सम्पर्क में आने वाले गाल पर स्थानान्तरित करती है. गालों की धमनियों में रक्त का स्त्राव बढ़ा देती है. और ह्रदय में भय के भाव को तत्काल प्रभाव से जाग्रत करती है. पीड़ित के गालों पर कांग्रेसी चुनाव चिन्ह की लालिमा छोड़ जाती है.

6. लप्पड़

लप्पड़ ,थप्पड़ सा साउंड करे है पर थप्पड़ से भिन्न होवे है. लप्पड़ वो जो उल्टा पड़े. उल्टे हाथ से दिया जाए पर असर थप्पड़ सा करे.अगर आपने हासिल फिल्म देखी हो तो आपको वो महान संवाद जरूर याद रखना होगा 'मारें लप्पड़ बुद्धि खुल जाए.' साफ़ है लप्पड़ खाना दिमाग के लिए भी उत्प्रेरक का काम करता है.

7. थप्पड़

थप्पड़ को सारे देश में सहजता से स्वीकार किया गया है. हर गली, हर चौराहे कहीं भी. किसी को भी पड़ सकता है. थप्पड़ में बड़प्पन झलकता है. थप्पड़ जमाए जाते हैं. थप्पड़ की शान में सबसे बड़ी गुस्ताखी सोनाक्षी सिन्हा ने की थी जिसके बाद से ये तनी अंडररेटेड हो चला है.

8. टीप

टीप सर पर पड़ती है. याद होगा नाना पाटेकर का वो डायलॉग 'सिर पर मत मारा करो ...छोटा दिमाग होता है.' कहते थे. वो जो करने से मना करते थे न बस वही टीप पड़ना है.

9. लाफा

लाफा में क्या है कि मोमेंटम होता है. लाफा क्रिस्प सा होता है. क्षणिक होता है पर पड़ने के बाद क्षण भर को गाल पर ठहरता है. और किसी सूदखोर के क़र्ज़ सा उतरता है.

10. चांटा

चांटा तमाचे के बाद सबसे प्रचलित शब्द है. चांटा पड़े और गाल पर तीन धारियां न दिखने लगें तो वो चांटा नही होता. चांटे के साथ दुखद पहलू ये होता है कि वो कल्लाने के साथ-साथ चन्नाता भी है.

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