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जब लता मंगेशकर ने दुनिया से छुपकर, नाम बदलकर म्यूज़िक कम्पोज़ किया

कहानी उन चार फिल्मों की, जहां लता ने 'आनंदघन' नाम से संगीत दिया और कमाल का संगीत दिया.

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अपने करियर के शुरुआती दौर में गाना रिकॉर्ड करतीं लता मंगेशकर. दूसरी तस्वीर एक इवेंट की, जहां लता जी को सम्मानित किया जा रहा था.
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श्वेतांक
6 फ़रवरी 2022 (Updated: 6 फ़रवरी 2022, 03:38 PM IST)
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6 फरवरी की सुबह लता मंगेशकर का निधन हो गया. वो 92 साल की थीं. लता जी को अधिकतर लोग सिंगर के तौर पर जानते थे. क्योंकि उन्होंने अपने सात दशक लंबे करियर में 36 से ज़्यादा भाषाओं में हज़ारों गाने गाए. इनमें मराठी और हिंदी गानों की संख्या सबसे ज़्यादा रही. मगर इंट्रेस्टिंग बात ये कि उन्होंने अपने करियर में चार फिल्मों में बतौर म्यूज़िक कंपोज़र भी काम किया था. इन फिल्मों का संगीत उन्होंने 'आनंदघन' नाम से दिया था. 'आनंदघन' का अर्थ होता है खुशी के बादल. 2014 में वो मराठी सिंगर-कंपोज़र वैशाली सामंत के लिए एक गाना रिकॉर्ड कर रही थीं. तब उन्होंने उन फीमेल म्यूज़िक कंपोज़र्स के साथ काम करने का अपना अनुभव साझा किया. इस दौरान उन्होंने भारतीय सिनेमा की पहली महिला म्यूज़िक कंपोज़र सरस्वती देवी का ज़िक्र किया. फिर बात आई उषा खन्ना की, जिन्होंने मेल डॉमिनेटेड हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई. इसके बाद उन्होंने अपनी बहन मीना मंगेशकर के म्यूज़िक की बात की. इस सबके बीच लता ने चुटकी लेते हुए बताया कि इन सब म्यूज़िक कंपोज़र्स के अलावा उन्होंने सबसे ज़्यादा काम 'आनंदघन' के साथ किया है. 'आनंदघन', मंगेशकर का पेन नेम था. 60 के दशक में उन्होंने इसी नाम से 4 फिल्मों में म्यूज़िक दिया. कमाल की बात ये कि इन चारों ही फिल्मों को दिग्गज मराठी फिल्ममेकर भालजी पेंढारकर ने डायरेक्ट किया था. इन फिल्मों के गाने बहुत मशहूर हुए. आज हम आपको उन चार फिल्मों और उनके संगीत के बारे में बता रहे हैं. 1) मोहित्यांची मंजुळा टेक्निकली 1963 में आई 'मोहित्यांची मंजुळा' वो पहली मराठी फिल्म थी, जिसके लिए लता मंगेशकर ने 'आनंदघन' से नाम से म्यूज़िक कंपोज़ किया था. टेक्निकली शब्द का इस्तेमाल हमने इसलिए किया क्योंकि लता इससे पहले भी 1950 में आई मराठी फिल्म 'राम राम पाव्हण' के लिए अपने रियल नाम से म्यूज़िक बना चुकी थीं. दिनकर पाटिल डायरेक्टेड इस फिल्म के साथ-साथ इसका म्यूज़िक भी खूब पॉपुलर हुआ. इस फिल्म के लिए लता ने म्यूज़िक कंपोज़र और सिंगर C. Ramchandra से एक गाना रिकॉर्ड करवाया. 'माझ्या शेतात सोनंच' नाम के इस ड्यूएट सॉन्ग को सी. रामचंद्र ने मीना मंगेशकर के साथ मिलकर गाया था. वो गाना आप यहां सुनिए-
खैर, हम 'मोहित्यांची मंजुळा' की बात कर रहे थे, जो कि 'आनंदघन' का डेब्यू प्रोजेक्ट था. इस फिल्म में कुल चार गाने थे, जो लता ने खुद कंपोज़ किए और गाए थे. इन गानों में सिंगर का क्रेडिट तो उन्होंने लता मंगेशकर नाम से लिया, मगर फिल्म के म्यूज़िक कंपोज़र का क्रेडिट मिला 'आनंदघन' को. 'मोहित्यांची मंजुळा' से लता का बनाया और गाया एक चर्चित गाना 'निळ्या आभाळी' आप यहां सुन सकते हैं-
2) मराठा तितुका मेळवावा 1964 में आई ये फिल्म 'मराठा तितुका मेळवावा', 'आनंद घन' के करियर की बतौर म्यूज़िक कंपोज़र दूसरी फिल्म थी. ये एक वॉर फिल्म थी, जिसमें काशीनाथ घाणेकर और सुलोचना लाटकर ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं. इस फिल्म में कुल पांच गाने थे. मगर फिल्म को आशा भोसले के गाए 'रेशमाच्या रेघांनी' गाने के लिए याद रखा जाता. सिर्फ फिल्म ही नहीं, ये गाना आशा के करियर के भी सबसे चर्चित मराठी गानों में से एक है. 'रेशमाच्या रेघांनी' की पॉपुलैरिटी का अंदाज़ा इस बात से लगाइए कि आज भी इसके कवर वर्ज़न बनाए जाते हैं. ये वैसे तो एक सेंशुअल गाना था, जिसे लता मंगेशकर के जीनियस कंपोज़िशन के लिए जाना जाता है. इस फिल्म का एक गाना 'शूर आम्हीं सरदार' को लता मंगेशकर के भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने गाया था. खैर, पहले 'रेशमाच्या रेघांनी' का ओरिजिनल वर्ज़न सुनिए और फिर उसका कवर वर्ज़न-
उस गाने का कवर वर्ज़न यहां सुनिए-
3) साधी माणसं भालजी पेंढारकर डायरेक्टेड फिल्म 'साधी माणसं' 1965 में रिलीज़ हुई थी. ये फैमिली फिल्म है, जो परंपरा और प्रतिष्ठा जैसे कॉन्सेप्ट्स की बात करती है. ये बतौर म्यूज़िक कंपोज़र, लता मंगेशकर के करियर की सबसे सक्सेसफुल फिल्म साबित हुई. मगर यही वो फिल्म रही, जिसने लता मंगेशकर का सबसे बड़ा राज़ दुनिया को बता दिया. इस फिल्म के बाद दुनिया को पता चल गया कि लता मंगेशकर ही 'आनंदघन' हैं. 'साधी माणसं' को नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में बेस्ट मराठी फिल्म का अवॉर्ड मिला था. इसके अलावा फिल्म ने चार महाराष्ट्र स्टेट अवॉर्ड्स भी जीते. इसमें बेस्ट फिल्म के साथ-साथ 'आनंदघन' को मिला बेस्ट म्यूज़िक डायरेक्टर और लता मंगेशकर को मिला बेस्ट प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड भी शामिल था. जब दोनों अवॉर्ड्स लेने लता खुद स्टेज पर पहुंचीं, तो सबको 'आनंदघन' की सच्चाई पता चल गई. 'साधी माणसं' को 'आनंद घन' का सबसे शानदार काम माना जाता है. इस फिल्म के गाने 'राजाच्या रंग महाली' और 'माळ्याच्या मळ्यामंदी' खूब पसंद किए गए. मगर इस एल्बम का गाना 'ऐरणीच्या देवा तुला' सबसे सुंदर कंपोज़िशन साबित हुआ. क्योंकि इसके एक सेगमेंट में हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी ने कमाल कर दिया था. वो गाना आप यहां सुनिए और एंजॉय करिए-
4) तांबडी माती 1969 में आई तांबडी माती एल्बम में कुल 6 गाने थे. जिन्हें 'आनंदघन' ने कंपोज़ किया था और लता मंगेशकर ने गाया था. यानी लता ने इस एल्बम को कंपोज़ करने के साथ-साथ इसके सारे गाने भी खुद ही गाए थे. भालजी पेंढारकर डायरेक्टेड इस फिल्म में दादा कोंडके, ललिता पवार और आशा काळे जैसे एक्टर्स ने काम किया था. ये बतौर म्यूज़िक कंपोज़र लता मंगेशकर उर्फ 'आनंदघन' की आखिरी फिल्म साबित हुई. क्योंकि लता अपने सिंगिंग करियर में व्यस्त रहने लगीं और उन्हें म्यूज़िक कंपोज़ करने का समय मिलना बंद हो गया. लता पर तो इसका ज़्यादा असर नहीं पड़ा, मगर मराठी सिनेमा को 'आनंद घन' की कमी कुछ समय तक महसूस होती रही. बतौर म्यूज़िक कंपोज़र लता मंगेशकर की आखिरी फिल्म 'तांबडी माती' फिल्म का जूकबॉक्स आप यहां सुन सकते हैं-
लता मंगेशकर चाहती थीं कि वो भी शंकर-जयकिशन की जोड़ी की तरह अपने भाई हृदयनाथ के साथ मिलकर म्यूज़िक कंपोज़िशन करियर को आगे बढ़ाएं. मगर हृदयनाथ इस आइडिया को लेकर बहुत एक्साइटेड नहीं थे. इसलिए लता ने भी ये भी प्लान ड्रॉप कर दिया. पब्लिक को भले पता नहीं था कि लता मंगेशकर ही आनंदघन हैं, मगर फिल्ममेकर्स और संगीत से जुड़े लोगों को ये बात पता थी. लता मंगेशकर को हिंदी सिनेमा में भी म्यूज़िक कंपोज़ करने का मौका मिला था. जब ऋषिकेश मुखर्जी 'आनंद' बनाने जा रहे थे, तब उन्होंने लता से गुज़ारिश की कि वो उनकी फिल्म के लिए म्यूज़िक कंपोज़ करें. मगर लता ने पूरी विनम्रता से ऋषिकेश मुखर्जी को मना कर दिया. क्योंकि वो अपनी व्यस्तता की वजह से म्यूज़िक कंपोज़ करने की स्थिति में नहीं थीं. नसरीन मुन्नी कबीर की किताब 'Lata Mangeshkar, In Her Own Voice' में लता बताती हैं कि म्यूज़िक कंपोज़िशन से अलग होने का फैसला उन्होंने इसलिए लिया क्योंकि उन्हें गाने कंपोज़ करने का मन नहीं कर रहा था. बाद में जब 'आनंद' का म्यूज़िक हिट साबित हुआ, तब उन्होंने ऋषिकेश मुखर्जी से बात की. लता बताती हैं-

''मैंने कुछ समय बाद ऋषि दा से कहा कि मैं खुश हूं कि मैंने 'आनंद' का म्यूज़िक करने से मना कर दिया. क्योंकि सलिल चौधरी ने इस फिल्म के लिए बेहद खूबसूरत संगीत बनाया है.''


वीडियो देखें: इलाज कर रहे डॉक्टर ने लता मंगेशकर के मौत की क्या वजह बताई?

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