'धुरंधर' के राक्षस रहमान डकैत की असली कहानी, जिससे पूरा कराची कांपता था!
रहमान डकैत वो हैवान था जिसने अपनी मां की हत्या कर के उनके शव को पंखे से लटका दिया था.

Aditya Dhar की फिल्म Dhurandhar ने हर तरफ हल्ला काट रखा है. जो लोग कुछ दिन पहले तक Kantara वाली कन्ट्रोवर्सी पर Ranveer Singh को ट्रोल कर रहे थे, वो आज उनके स्वघोषित फैन हो रखे हैं. इंटरनेट के हर कोने में फिल्म ने किसी-न-किसी रूप में अपनी जगह बना ली है. कोई कहानी को डाइसेक्ट करने की कोशिश कर रहा है, कोई ये अनुमान लगा रहा है कि Dhurandhar 2 में क्या होने वाला है, तो कोई रणवीर के किरदार हम्ज़ा के वास्तविक दुनिया से तार ढूंढ रहा है. लेकिन इन सभी के बीच सबसे ज़्यादा चर्चा एक शख्स की हो रही है. वो हैं Akshaye Khanna. ‘शेर-ए-बलोच’ गाने पर स्वैग से एंट्री करते हुए अक्षय की क्लिप भयंकर वायरल है. लोग उनकी परफॉरमेंस को शेयर कर अंडररेटेड लैजेंड जैसे खिताब से नवाज़ रहे हैं.
हालांकि ‘धुरंधर’ के बाद सिर्फ अक्षय खन्ना की पॉपुलैरिटी में ही इज़ाफ़ा नहीं हुआ. उनके साथ-साथ Rehman Dakait भी एक ट्रेंडिंग कीवर्ड बन चुका है. ये वही आदमी है जिसका रोल ‘धुरंधर’ में अक्षय ने किया था. फिल्म में वो बेहद भयानक, वहशी और वीभत्स किस्म का आदमी था. किसी ने कहा कि मेकर्स ने कम ही दिखाया, जबकि रहमान किसी राक्षस से कम नहीं था. वहीं चौधरी असलम की पत्नी नोरीन असलम ऐसा नहीं मानतीं. उनका कहना है कि रहमान डकैत इतना बड़ा गैंगस्टर नहीं था जितना फिल्म में दिखाया गया. ये रहमान डकैत कौन था, इसकी कहानी क्या थी, ऐसे ही पहलुओं को जानने-समझने की कोशिश करते हैं.
रहमान डकैत की कहानी कराची के ल्यारी से शुरू होती है. ल्यारी की जिस हवा में रहमान डकैत ने अपनी पहली सांस ली, तब तक उसमें खून की गंध घुल चुकी थी. लोकल गैंगस्टर अपना वर्चस्व बनाने में जुटे थे. चाकू टकराते, सड़क पर चीत्कार उठता, फिर अचानक से सारी आवाज़ें गुल हो जातीं. सन्नाटा पसर जाता. एक ही आवाज़ इस सन्नाटे को चीरती, लाश की ज़मीन से घसीटकर ले जाने की आवाज़. ल्यारी हमेशा से ऐसा नहीं था. एक उस ल्यारी के बारे में भी पढ़ने को मिलता है जहां के लड़कों पर फुटबॉल का जुनून सवार था. ये क्रेज़ इतना गहरा था कि छतों पर ब्राज़ील के झंडे लहराते थे. वक्त बदला. हवा खराब हुई. गैंगस्टर और अंडरवर्ल्ड अपनी जगह बनाने लगे.
फिर आया नाइंटीज़. ल्यारी का परिचय होता है इकबाल से, जिसे बाबू डकैत के नाम से भी जाना जाता था. बाबू एक पढ़ा-लिखा गैंगस्टर था. बाबू डकैत ने शहर में अपना ड्रग्स का धंधा शुरू किया. अपना नेटवर्क इतना मज़बूत किया कि पुलिस भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती थी. बाबू डकैत अपनी कहानी में हीरो था. लेकिन उसका एक विलन भी था. उसका नाम था दादल. बाबू ने उसे मार डाला. दादल की मौत ने सब कुछ बदल के रख दिया. एक खालीपन आया. आगे चलकर उस जगह को उसका बीटा सरदार अब्दुल रहमान बलोच भरने वाला था. ये वही शख्स था जो रहमान डकैत के नाम से पहचाना जाता है.
जावेद अख्तर ने फिल्म ‘मजबूर’ में एक डायलॉग लिखा था. एक शख्स प्राण से पूछता है, ‘चोरों के भी उसूल होते हैं?’ इस पर जवाब मिलता है – ‘चोरों के ही तो उसूल होते हैं’. लेकिन रहमान डकैत ऐसा नहीं था. उसकी किताब में उसूल, मॉरलिटी जैसे शब्दों के लिए जगह नहीं थी. रहमान ने अपने जीवन का सबसे पहला अपराध महज़ 13 साल की उम्र में किया था. किसी छोटी-सी बात पर अनबन हुई और उसने सामने वाले शख्स को चाकू मार दिया. इस घटना ने उसे आदमी से राक्षस नहीं बनाया. वो घटना तब हुई जब उसे अपनी मां पर शक हुआ. रहमान को लगता था कि उसकी मां का अफेयर किसी दूसरे आदमी से चल रहा है. उसने अपने शक को मिटाने की कोशिश नहीं की. अंदर के हैवान को बाहर निकाला और बेदर्दी से अपनी मां को मौत के घाट उतार दिया. वो सिर्फ इतने पर ही नहीं रुका. रहमान ने अपनी मां के शक को पंखे से लटका दिया. इस घटना से पूरे ल्यारी में दहशत छा गई. लोग दबी आवाज़ में कहने लगे कि जो अपनी मां के साथ ऐसा कर सकता है वो कैसा आदमी होगा.
रहमान ने ऐसा अपराध किया, उसके बावजूद आपको लोग मिलेंगे जो उसे किसी मसीहा से कम नहीं मानते. इंटरनेट पर ऐसे कई वीडियोज़ मौजूद हैं जहां लोग उसकी तारीफ़ों में कसीदे पढ़ रहे हैं. उसकी वजह है कि रहमान डकैत बाहरी दुनिया के सामने खुद को फ़रिश्ते की तरह पेश करता है. वो लोगों का इलाज करवाता, गरीब लड़कियों की शादी का खर्च उठाता, किसी को कोई ज़रूरत होती तो रहमान के दरवाज़े खुले मिलते. बेसिकली ऐसा कर के रहमान पब्लिक सपोर्ट अर्जित कर रहा था. ताकि उसका बचाव सिस्टम से होता रहे.
ये पढ़ने को मिलता है कि रहमान के राज में वहां ड्रग्स और चोरी पूरी तरह से बंद थी. अगर किसी घर के लड़के ने चोरी की तो उसके घरवालों को वॉर्निंग दी जाती. अगर वो नहीं मानता तो दूसरी वॉर्निंग भेजी जाती है. इतने पर भी कोई नहीं मानता तो फिर उस शख्स की लाश ही घर पहुंचती. रहमान डकैत एक तरह से अपनी ही सरकार चला रहा था. पावर गेम में रहमान ऊपर चढ़ता जा रहा था. दूसरी ओर उसके दुश्मन हाजी लालू का बेटा अरशद पप्पू भी जोरों-शोरों से अपनी तैयारी कर रहा था. इस जंग में पहला हमला पप्पू ने किया. उसने कब्रिस्तान जाकर रहमान के पिता दादल की कब्र को तोड़ा. ये सीधे तौर पर रहमान को एक मैसेज था.
रहमान गुस्से से पागल हुए जा रहा था. लेकिन पप्पू झुकने वालों में से नहीं था. उसने एक दिन रहमान के चाचा को घेर लिया. उन्हें गोलियों से भून दिया. लेकिन उससे पहली उनकी चीखें रहमान डकैत तक पहुंचाई. रहमान बदले की आग में जले जा रहा था. लेकिन इस कहानी पर इतनी जल्दी पूर्ण विराम लगने वाला नहीं था. एक नए किरदार की एंट्री होती है. उनका नाम था SP चौधरी असलम. चौधरी असलम एनकाउंटर स्पेशलिस्ट थे. चौधरी असलम कितने खतरनाक थे, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगा लीजिए कि उन्हें कई मौकों पर अपने परिवार को गुप्त स्थान पर रखना पड़ता था. क्योंकि हमेशा उनकी जान खतरे में रहती. चौधरी असलम को एक ज़िम्मेदारी सौंपी गई. उन्हें ल्यारी की सड़कों से गैंगस्टर्स का सफाया करना था. चौधरी असलम जानते थे कि ये बहुत मुश्किल काम है, लेकिन वो ठान चुके थे कि रहमान को जेल की सलाखों के पीछे डालकर ही दम लेंगे. साल 2006 में उन्होंने रहमान को अरेस्ट भी कर लिया. लेकिन कुछ पुलिसवालों का ईमान चौधरी असलम का दुश्मन बन गया. रहमान ने कुछ पुलिस अधिकारियों को पांच करोड़ रुपये की रिश्वत दी और एकदम आराम से जेल से फरार हो गया.
इस घटना ने चौधरी असलम की ईगो पर गहरी चोट मारी. उन्होंने मन पक्का कर लिया, कि अब वो रहमान को गिरफ्तार नहीं करेंगे. बल्कि सीधे उसका एनकाउंटर करेंगे. कहानी कुछ साल आगे बढ़ी. साल था 2009. अगस्त का महीना. खबर आती है कि चौधरी असलम ने एक ऑपरेशन शुरू किया है. पांच घंटे बाद बदल छंटे और खबर आई कि रहमान डकैत को मार दिया गया है. रहमान सिर्फ ल्यारी के लिए ही अहम नहीं था, बल्कि पाकिस्तान की पॉलिटिक्स के लिए भी एक अहम किरदार था. ये वही रहमान था जिसने साल 2007 में एयरपोर्ट पर ब्लास्ट के बाद बेनज़ीर भुट्टो को सुरक्षित पहुंचाया था. वो खुद उनकी गाड़ी ड्राइव कर रहा था. उस रहमान का अंत एक पुलिस एनकाउंटर में हुआ.
‘धुरंधर’ के अंत में भी दिखाया गया कि उसे मार दिया जाता है. हालांकि मेकर्स ने अपने हिसाब से क्रिएटिव लिबर्टी भी ली. मार्च 2026 में ‘धुरंधर 2’ आने वाली है. बताया जा रहा है कि उस फिल्म में भी फ्लैशबैक के ज़रिए रहमान डकैत की वापसी हो सकती है. इंटरनेट पर जिस तरह से अक्षय खन्ना का किरदार पॉपुलर हुआ है, ऐसे में ये मुमकिन भी हो सकता है. बाकी क्लेरिटी फिल्म आने पर ही मिलेगी.
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