पंजाब की पड़ताल करती अमनदीप संधू की किताब पंजाब: जर्नीज़ थ्रू फॉल्ट लाइन्स
यह किताब पंजाब के 'कल, आज और कल' के बारे में है.
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अमनदीप संधू की इस किताब का रिव्यु आशुतोष कुमार ठाकुर ने किया है.
2019 में अमनदीप संधू की एक किताब आयी थी - पंजाब जर्नीज थ्रू फाल्ट लाइन्स. हरित क्रांति, सिखइज़्म, और अपना आधा हिस्सा पाकिस्तान में गंवा देने वाले इस राज्य के बारे में बात करती ये किताब लोगों द्वारा सराही गयी थी. आशुतोष कुमार ठाकुर ने इस किताब का रिव्यु लिखा है. आशुतोष मूलतः बिहार के मधुबनी से हैं और उनकी पढ़ाई-लिखाई BHU वाराणसी से हुई है. फिलहाल आशुतोष बैंगलोर में एक मैनेजमेंट कंसलटेंट के तौर पर काम कर रहे हैं. आइये पढ़ते हैं 'पंजाब जर्नीज़ थ्रू फॉल्ट लाइन्स' पर उनकी समीक्षा.
तीन साल की पड़ताल का नतीजा है ये किताब
2015 में अमनदीप संधू ने एक यात्रा शुरू की जो 'पंजाब के मामलों के बारे में अपनी समझ को मजबूत करने' का प्रयास करती है. एक ऐसी पड़ताल जो तीन साल तक चली. एक ऐसी भूमि की खोज की, जो उनके द्वारा की गई कल्पना की तरह कुछ भी नहीं थी, और उन कहानियों की तरह भी नहीं जो उन्होंने सुनी थीं. इस क्रम में उन्होंने पाया कि वो जमीन जिसकी उन्होंने कल्पना की थी, यथार्थ से काफ़ी दूर थी. बकौल छायाकार सतपाल दानिश कुछ यों है,"अगर तुम पंजाब को समझना चाहते हो, तो लाशें गिनते जाओ".किताब की शुरुआती पन्ने कुछ ऐसे ही खुलते हैं. पंजाब ऐतिहासिक रूप से बहुसांस्कृतिक केंद्र, मानवता का पक्षधर, शासन करने वाले और बसने वाले लोगों का घर, राजनीति का एक महत्वपूर्ण केंद्र, प्रसिद्ध साहित्यकारों और संगीतकरों की भूमि रहा है. पंजाब के बारे में यह पुस्तक आपको वह सब कुछ बताएगी जो आप जानना चाहते हैं. लेखक ने पंजाब के कई ऐसे अनकहे पहलुओं को शामिल किया है, जिससे अधिकांश लोग अभी तक अनजान हैं. पुस्तक, 'पंजाब- जर्नीज थ्रू फाल्ट लाईन्स' के लेखक अपने अन्वेषण और खोज की कहानियों को सोलह अध्यायों में वर्गीकृत करते हैं. इनमें से प्रत्येक खंड एक साफ़ आईने की तरह हैं, जिसके माध्यम से स्थायी समस्या और वर्तमान स्थिति, दोनों देखी जा सकती है और इसके ऐतिहासिक संदर्भ और अप्राप्य को भी समझा जा सकता है. इसका प्रत्येक खंड उस सहायक नदी की तरह है जो एक दूसरों में समाहित हो निरन्तर बहती है. अमनदीप बताते हैं कि कैसे, देश के विभाजन, हरित क्रांति, राज्य के विभाजन, ऑपरेशन ब्लू स्टार और उग्रवाद और अब नशीले दवाओं और प्रवासन के आख्यानों के माध्यम से पंजाब में जो कुछ हुआ है, वह विस्मयकारी है. किताब को पढ़ते हुए अनवरत एक उदासी और बेचैनी बनी रही. कुछ इस तरह कि हर वह जगह जो किताब में किसी घटना, किसी विवरण या किसी विचार को व्यक्त करने के लिये लिखी गई है, वहां के लोग रोज अनुभव करते होंगे, लेकिन यह जो परते हैं वह हमारे सामने नहीं खुलतीं. अपने अर्जित भाषा शिल्प से, इस पूरे कथा यात्रा को, लेखक अपनी यादों से जुड़े पंजाब को बहुत साहस और संजीदगी से सामने लाते हैं. और हम पाठक उनकी इस यात्रा में, उनके अपने जड़ों की पुनरप्राप्ति के जद्दोहद में एक भावात्मक राग स्थापित कर पंजाब से जुड़ते हैं. ये न केवल हमारे भीतर संवेदना भरता है, बल्कि उनके भावनाओं की भी अनुभूति कराता है. आप पढ़ते समय, अमनदीप के साथ पंजाब के भीतर ही एक ऐसी जगह की यात्रा कर रहे होते हैं जिनकी कथा-व्यथा अन्वेषित करना अभी भी शेष है. अमनदीप उन घटनाओं का जिक्र भर करते हुए उसके आधार पर जो वितान रचते हैं, जो वैचारिक दस्तावेज हमारे समक्ष प्रस्तुत करते हैं, वह आज के समय की आवश्यकता है. यह वास्तव में अगाढ़ श्रम से लिखी गयी पुस्तक है. जैसे-जैसे आप इसके अध्यायों को पढ़ते जायेंगे, आपको पंजाब से भावनात्मक लगाव होता जायेगा.