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साइंस फिक्शन फ़िल्में पसंद करते हैं, तो ये 5 फिल्में मिस न करना

इन सभी फिल्मों को चिल करते हुए नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं.

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नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही 5 साइंस फिक्शन फिल्में जो देखी जानी चाहिए.
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यमन
24 फ़रवरी 2023 (Updated: 24 फ़रवरी 2023, 03:42 PM IST) कॉमेंट्स
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आज फ्राइडे है. कल से शुरू हो जाएगा वीकेंड. आप में से कुछ के बाहर घूमने के प्लान होंगे. तो कुछ घर पर बैठकर चिल करेंगे. चाय का कप बनाकर, लैपटॉप को फुल चार्ज कर फिल्म देखने बैठेंगे. कौन सी फिल्म देखें, उसके लिए अपने किसी दोस्त को फोन करेंगे. कि यार कोई दिमाग घुमाने वाली फिल्म बताओ. आपके दोस्त को इतनी ज़हमत न उठानी पड़े, इसलिए उसका ये काम हम किए देते हैं. बताएंगे पांच टॉप की साइंस फिक्शन फिल्मों के बारे में. ऐसी फिल्में जिनको आप घर बैठे नेटफ्लिक्स पर देख सकते हैं. 

#1. पेपरिका (2006)
डायरेक्टर: सातोशी कॉन 
कास्ट: मेगुमी हायाशिबारा, टोरू एमोरी 

एक मशीन है जिसके ज़रिए थेरपिस्ट अपने मरीज़ों के सपनों को देख सकते हैं. ताकि उनका सही तरह से इलाज कर सकें. एक दिन ये मशीन चुरा ली जाती है. गलत हाथों में पड़ने पर ये लोगों के दिमाग पूरी तरह से खत्म कर सकती है. पेपरिका खुद एक थेरेपिस्ट है जो इस मशीन को वापस लाने का ज़िम्मा उठाती है. फिल्म का एनिमेशन देखते वक्त महसूस होगा कि आपका मन तैर रहा है. आंखों पर कोई नशा सवार हो रहा है. ‘पेपरिका’ को बनाने वाले सातोशी कॉन सिनेमा के प्रभावशाली डायरेक्टर्स में से रहे. ‘पेपरिका’ देखते वक्त आपको एहसास होगा कि नोलन की फिल्म ‘इंसेप्शन’ पर उसका कितना गहरा असर रहा. 

#2. ओक्जा (2017)
डायरेक्टर: बॉन्ग जून हो 
कास्ट: सियो हेयोन, जेक जिलेनहाल, टिल्डा स्विनटन   

ओक्जा एक बड़ा सूअर जैसा दिखने वाला जानवर है. साउथ कोरिया के पहाड़ों में रहता है. अकेला नहीं. उसका ध्यान रखती है एक छोटी बच्ची. फिर इंसानों को उसके बारे में पता चलता है. हर चीज़ से अपना मुनाफा बनाने वाले इंसानों को. वो ओक्जा को बंदी बनाकर उठा ले आते हैं. उसे कैसे बचाया जाएगा, ये फिल्म की ऊपर-ऊपर की कहानी है. इसके अंदर उतरकर वो बात करती है लालच की, पूंजीवाद की, और उन पर पार पाने वाले निस्वार्थ प्रेम की. ‘पैरासाइट’ के डायरेक्टर बॉन्ग जून हो ने इस फिल्म की कहानी लिखी और इसे बनाया भी है.

#3. कार्गो (2019)
डायरेक्टर: आरती कादव
कास्ट: विक्रांत मैसी, श्वेता त्रिपाठी 

साल 2027. इंसानों और राक्षसों की आपसी दुश्मनी को कम करने के लिए दोनों पक्ष साथ आते हैं. मिलकर साइंस से जुड़ी चीज़ों पर काम करना शुरू करते हैं. इनका सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है पृथ्वी पर मर चुके लोगों को पुनर्जन्म दिलाना. विक्रांत मैसी प्रहस्त नाम के राक्षस बने हैं और श्वेता त्रिपाठी ने युविष्का नाम की इंसान का किरदार किया है. फिल्म सिर्फ साइंस फिक्शन के नाम पर रची गई कोई दूसरी कहानी नहीं. इसकी अपनी फिलॉसफी है – कभी भी सब कुछ खत्म नही होता, हमेशा कुछ-न-कुछ बच ही जाता है. 

#4. द एडम प्रोजेक्ट (2022) 
डायरेक्टर: शॉन लीवाय  
कास्ट: रायन रेनोल्ड्स, मार्क रफेलो

फिल्म की कहानी शुरू होती है 2050 से. जहां एडम एक स्पेसक्राफ्ट में कहीं भागने की कोशिश कर रहा है. उसे रोकने के लिए कुछ लोग पीछे पड़े हैं. एडम की मंज़िल कोई जगह नहीं, बल्कि साल है. साल 2018. उसे वहां पहुंचकर कुछ बदलना है. बस गलती से वो पहुंच जाता है 2022 में. वहां उसे खुद का ही वर्जन मिलता है. 12 साल वाला एडम. दोनों एडम मिलते हैं, तो क्या होता है. साथ ही एडम का मिशन क्या है, ये सब आप फिल्म देखकर जानिए. ज़्यादातर साइंस फिक्शन या टेक्नोलॉजी केंद्रित फिल्मों से लोगों की शिकायत होती है कि वहां मानवीयता गायब है. यहां ऐसा नहीं है. ‘द एडम प्रोजेक्ट’ का सबसे मज़बूत पक्ष ही उसका इमोशनल साइड है. 

#5. द प्लेटफॉर्म (2019) 
डायरेक्टर: Galder Gaztelu-Urrutia
कास्ट: Ivan Massagué, Antonia San Juan

“तीन तरह के लोग होते हैं. एक सबसे ऊपर. दूसरे सबसे नीचे. और तीसरे... जो गिरते हैं”. फिल्म में एक किरदार ये लाइन कहता है. पूरी कहानी घटती है एक जेल में. जहां लोगों को तीन दर्जों में बांटा गया है. सबसे पहले ऊपर वाले खाएंगे. उनका छोड़ा हुआ दूसरे लेवल वालों को मिलेगा. अगर वहां से कुछ झूठन बची तो वो सबसे नीचे मौजूद लोगों तक जाएगी. ये फिल्म खाने को माध्यम बनाकर बहुत कुछ कहना चाहती है. बस उसे समझने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी, और हां खाना खाते वक्त मत देखिएगा.

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