'जवान' के 3 सबसे धमाकेदार एक्शन सीन, जिन्होंने सिनेमा हॉल्स में भूचाल ला दिया
साल 2023 में शाहरुख की दो एक्शन फिल्में आईं, दोनों ने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ बिज़नेस किया. 'जवान' के तीन एक्शन सीन्स इस सक्सेस की वजह बयान करते हैं.

अगर आपने Jawan नहीं देखी तो ये स्टोरी मत पढिए. मतलब पढिए क्योंकि हमारे लिए नंबर्स भी ज़रूरी है. लेकिन फिल्म देखकर आने के बाद. ताकि ये शब्द मात्र शब्द ना रहें, बल्कि अनुभव की शक्ल ले लें. Shah Rukh Khan ने The Romantics में कहा था कि वो हमेशा से एक्शन हीरो बनना चाहते थे. नब्बे के दशक में ये कसर पूरी नहीं हो सकी. और वो हर मां के बेटे और हर लड़की जिससे प्यार करे, वैसे हीरो बन गए. करियर के इस पायदान पर शाहरुख सिर्फ शरीफ, प्यारे लड़के वाले रोल नहीं करना चाहते. ही इज़ लाइक, ‘अपन को चाहिए फुल एक्शन’. ‘पठान’ में उन्होंने ट्रक के ऊपर लड़ने से लेकर लड़खड़ाते घर में मुक्केबाज़ी की.
अब ‘जवान’ आई है. यहां वो स्लो मोशन में उड़-उड़कर लड़ रहे हैं. आवाज़ में बेस बढ़ाकर बम की तरह डायलॉग ड्रॉप कर रहे हैं. ‘जवान’ में उनकी तमाम उछलकूद के बीच मुझे तीन एक्शन सीन सबसे यादगार लगे. उन्हीं के बारे में बात करते हैं.
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#1. इंट्रो सीन - मेरी राय में इसे शाहरुख के करियर के सबसे सॉलिड एक्शन सीन्स में गिना जाएगा. इस सीन पर बड़े-बड़े अक्षरों में हीरो लिखा हुआ है. मददगार, भले लोगों पर अत्याचार हो रहा है. औरतों की चोटियां खींचकर उन्हें मोटरसाइकिल से घसीटा जा रहा है. बच्चों से खिलवाड़ किया जा रहा है. उनके सामने उनके मां बाप को गोलियों से भून दिया गया. क्रूरता की हद पार करते हुए उनके नाज़ुक, नन्हें हाथों में बंदूक थमा दी गई. इस चीख-चिल्लाहट के बीच एक कराह गूंज उठती है. आसमान की ओर देख एक बुजुर्ग भगवान को पुकारता है.
‘हे भगवान, हमारी मदद करो. हमें बचा लो.’ कमरे में पट्टियों से ढका हीरो बेसुध पड़ा है. उसकी उंगलियों में हरकत होती है. आंखें फड़फड़ाती हैं. अचानक से एक भाला आकर गुंडे की छाती के आरपार हो जाता है. बाहर वहशीपन दिखा रहे गुंडे रुकते हैं. आसमान में कुछ है. ज़मीन पर उसके साये का कद बढ़ता जा रहा है. नज़र ऊपर जाती है. पट्टियों से ढका हीरो भाले के साथ छलांग मारता है. कुछ देर बाद उस हीरो के अलावा कोई खड़ा नहीं दिखता. वो एक सवाल के साथ खड़ा है – ‘मैं कौन हूं?’ कमाल का सीन.
#2. इंटरवल ब्लॉक – मास मसाले वाली फिल्मों में एक फॉर्मूला होता है. इंटरवल दमदार नोट पर शुरू करना है. ‘विक्रम’ का इंटरवल ब्लॉक भीषण मुक्के की तरह था. चौंकाने वाला. ‘जवान’ का इंटरवल ब्लॉक भी इसके सबसे बेस्ट सीन्स में से है. आज़ाद (शाहरुख का बेटे वाला कैरेक्टर) की लाइफ में सब बढ़िया लगने लगता है. तभी हालात उलट हो जाते हैं. अब वो विलन की कैद में है. उसे बांधकर मारा जा रहा है. विलेन उसकी आंखों के सामने उसकी पत्नी को गोली मार देता है. वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता.
फिर आता है बाप. हीरो का बाप. आप एंटीसिपेट करते हो कि ‘बेटे को हाथ लगाने से पहले बाप से बात कर’ वाला डायलॉग बस उसकी ज़ुबान से छूटने ही वाला है. लेकिन वो इसके अलावा बाकी तोड़फोड़ मचाता है. विलन के भाई को निपटा देता है. लड़ते-लड़ते सिगार का कश खींचने की जगह उसे ही मुंह के अंदर खींच लेता है. पूरे स्वैग के साथ लड़ता है. कमर से बेल्ट उतारकर ‘बेल्टे ही बेल्ट’ कर डालता है. उठा पटक मचाने के बाद अपने बेटे के पास आता है. उसे यानी खुद को हैंडसम बुलाता है. उसे कंधे पर धरकर बाहर का रास्ता नापता है.
#3. क्लाइमैक्स सीन – ये सबसे बेस्ट सीन्स में से एक नहीं. फिर भी इसे लिस्ट में रखने की एक वजह है. फिल्म में एक सीन है, जहां आज़ाद का प्लान काम नहीं करता. और फिर विक्रम राठौड़ की धांसू एंट्री होती है. हवा में नोट उड़ रहे हैं. विक्रम के चेहरे से टकरा रहे हैं. बैकग्राउंड में ‘जवान प्रीव्यू थीम’ से किंग खान वाली लाइन सुनाई पड़ती है. खैर अभी बात क्लाइमैक्स वाले सीन की. दोनों शाहरुख एक साथ फ्रेम में आते हैं. काली से लड़ने के लिए. एक्शन होता है. जुगाड़ दौड़ाया जाता है. जीत हीरो की ही होती है.
एक्शन सीन के लिहाज़ से ये रोंगटे खड़े कर देने वाला नहीं. इसका बेस्ट पार्ट है दो शाहरुख और कैसे उनकी स्टारपावर को भुनाया गया.
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