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"बैक स्टेज काम, सामान ढोना, चाय बनाना भी मंज़ूर था, मगर हर हाल में बस सिनेमा बनाना था"

अनुराग कश्यप ने दिन के 50 रुपए में बैकस्टेज काम भी किया, कहा- "मैं सिनेमा के प्यार में पागल था, दीवाना था."

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Anurag Kashyap, Anurag Kashyap young
अनुराग कश्यप ने दी लल्लनटॉप को दिए इंटरव्यू में बताया कि जब वो मुंबई पहुंचे तब उन्हें पता भी नहीं था कि फिल्ममेकिंग होती क्या है.
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अंकिता जोशी
9 अक्तूबर 2025 (Published: 08:35 PM IST)
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Anurag Kashyap जब करियर बनाने मुंबई पहुंचे, तब वो फिल्ममेकिंग की बारहखड़ी भी नहीं जानते थे. बस एक जुनून सवार था उनके सिर पर. एक सनक थी. कि करना तो बस यही है. न तो उनके पास कोई बैकअप प्लान था. न ही उन्होंने ये सोचा था कि मुंबई में कुछ न हो सका, तो क्या करेंगे. पिछले दिनों जब अनुराग The Lallantop के ख़ास कार्यक्रम सिनेमा अड्डा में आए, तब उन्होंने फिल्ममेकिंग के लिए उनके इस जुनून के बारे में तसल्ली से बात की. 

इस गुफ्तगू में उनकी आवाज़ कहीं लरज़ गई, तो कहीं अति उत्साह में आंखों की पुतलियां फैल गईं. एक अनजान शहर में फांके करने की कहानी जो अक्सर लोग रोते हुए सुनाते हैं, अनुराग किसी प्रेम कहानी की तरह सुना रहे थे. विजयगाथा की तरह बता रहे थे. इस गुफ्तगू में उन्होंने बताया कि चाहे बैक स्टेज काम करना पड़े या सेट पर सामान ढोना पड़े... उन्हें हर हाल में सिनेमा का हिस्सा बनना ही था. अनुराग ने कहा,

“बैकअप तो हमें किस्मत से हमारे मां-बाप ने दे रखा था. इतनी पढ़ाई कराई थी. मगर मुझे सिर्फ फिल्में ही करनी थीं. मैंने और कुछ नहीं सोचा था. कोई प्लान B नहीं था. टनल विज़न था मेरा. यही करना है किसी भी हालत में. न तो मैं फेम के लिए गया था. न सक्सेस के लिए गया था. न ही मैं पैसे के लिए फिल्मों में गया था. मैं बस सिनेमा के प्यार में पागल था. दीवाना था. और कुछ सूझता ही नहीं था. और कुछ था ही नहीं मेरे पास. बस यही जानता था. यही चाहता था.”

अनुराग ने बताया कि सिनेमा की दुनिया में आने की उनकी इच्छा कितनी तीव्र थी कि वो 50 रुपये में बैकस्टेज काम करने को भी तैयार थे. इस बारे में उन्होंने कहा,

“फिल्मों में जाने के लिए मुझे सब कुछ मंज़ूर था. बैक स्टेज काम करना. सामान ढोना. लोगों के लिए चाय बनाना भी मंज़ूर था. मगर बस किसी भी तरह सिनेमा का हिस्सा बनना था. यही सोचकर मैं पहुंच गया था बम्बई. पता भी नहीं था फिल्में कैसे बनती हैं. मुझे बस इतना पता था कि सिनेमा में जाना है. चाहे जैसे भी हो.”

अनुराग कश्यप के वर्कफ्रंट की बात करें, तो उन्होंने हिंदी सिनेमा को 'ब्लैक फ्रायडे', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'देव डी' और 'गुलाल' जैसी जबरदस्त फिल्में दी हैं. उनकी फिल्में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में भी सराही गई हैं. उनकी बनाई ‘केनेडी’ ने कई फिल्म फेस्टिवल्स में तारीफें बटोरीं. उनकी बनाई ‘निशांची’ पिछले दिनों थिएटर्स में रिलीज़ हुई थी. उनकी अगली फिल्म ‘बंदर’ टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई. इसकी इंडिया रिलीज़ डेट अभी अनाउंस नहीं की गई है. अनुराग से हुई ये पूरी बातचीत आप दी लल्लनटॉप के यूट्यूब चैनल और हमारी वेबसाइट पर देख सकते हैं.

वीडियो: अनुराग कश्यप ने शाहरुख खान के साथ अभी तक फिल्म क्यों नहीं बनाई? अनुराग कश्यप ने इंटरव्यू में बताया

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