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"बॉलीवुड फिल्में देखकर नहीं, एक जैपनीज़ फिल्म देखकर लगा कि मैं पिक्चर बनाऊंगा"

अनुराग कश्यप ने कहा, इन फिल्मों को देखने के बाद उन्हें अपने ऊपर भरोसा हुआ कि वो भी फिल्में बना सकते हैं.

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Anurag Kashyap
अनुराग कश्यप ने लल्लनटॉप से बातचीत में बताया कि अपनी लिखी कहानियों पर भरोसा उन्हें एक जैपनीज़ फिल्म देखकर हुआ.
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अंकिता जोशी
8 अक्तूबर 2025 (Updated: 8 अक्तूबर 2025, 10:52 PM IST)
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Anurag Kashyap वो फिल्ममेकर हैं, जिनके सिनेमा में अलग ही कसैलापन महसूस होता है. सच्चाई नज़र आती है. आम आदमी नज़र आता है. उसकी मामूली सी जिंदगी नज़र आती है. मगर ये सच दिखाने का, बेबाक फिल्में बनाने का साहस उन्हें कहां से मिला, ये कम ही लोग जानते हैं. विरले ही किसी को पता होगा कि स्कूल की मैगज़ीन में उनकी लिखी कहानियां कभी नहीं छपीं. वो पर्चों पर अपना दिल लेकर जाते, और हर बार रिजेक्ट होकर लौट आते. टीचर्स ने लताड़ लगाई. कहा कि तुम्हें कहानी कहने की तमीज़ ही नहीं है. इस लताड़ ने इस किस्सागो के आत्मविश्वास की धज्जियां उधेड़ दीं. अनुराग कहते हैं कि वो लताड़ उन्हें आज भी याद है. उसे वो कभी भूले ही नहीं. एक दौर था जब उन्होंने मान लिया था कि वो कभी अच्छी कहानी नहीं कह पाएंगे. मगर फिर कुछ ऐसा हुआ, जिसने निराशा के इस दलदल से उन्हें खींच निकाला. 

पिछले दिनों जब अनुराग Lallantop Cinema के ख़ास कार्यक्रम सिनेमा अड्डा में आए, तब उन्होंने ये पूरी यात्रा सुनाई. बताया कि रिजेक्शन से कन्विक्शन तक के इस सफ़र में उनकी ताक़त का स्रोत क्या था. उन्होंने कहा,

“जब तक मैं सिर्फ बॉलीवुड फिल्में देखता था, तब तक सिनेमा बनाने का ख़्याल भी दिमाग में नहीं आया था. स्कूल की टीचर की वो लताड़ कभी मेरे जेहन से गई ही नहीं. मुझे हमेशा कहानी लिखने के लिए लताड़ा गया. स्कूल की मैग्ज़ीन में मेरी कहानी कभी नहीं छपी. वो बात कभी दिल से गई ही नहीं कि जो मैं लिख रहा हूं उसमें कुछ दिक्कत है. जब मैंने उस तरह का सिनेमा देखा, खासतौर पर जब जैपनीज़ फिल्म ‘अ फ्यूजिटिव फ्रॉम द पास्ट’ और ‘बाइसिकल थीव्स’ देखी, तब खुद पर भरोसा हुआ. तब लगा, कि यार मैं जो लिख रहा हूं इसमें कोई दिक्कत नहीं है. ऐसा सिनेमा भी होता है. और फिर मेरी जो जर्नी शुरू हुई, सिनेमा देखने की वो जर्नी जो यहां से शुरू हुई. ब्लू रे से. फेस्टिवल्स से. सीडी से फिल्में देखना. बस इसी ने मुझे ताक़त दी.”

अनुराग ने बताया कि वर्ल्ड सिनेमा ने कैसे उनका नज़रिया बदल दिया. उन्होंने कहा,

“साल 2004 में जब मैं लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में गया, तब मैं हतप्रभ रह गया लोगों की फिल्में देखकर. खुद की फिल्म तो भूल ही गया. लोगों की फिल्में खूब देखीं मैंने. मैंने इतनी सच्चाई देखी दूसरों के सिनेमा में कि उसने मेरा नज़रिया ही बदल दिया.”

अनुराग के बॉडी ऑफ वर्क को थोड़े में समेटना मुश्किल है. मगर उनके हालिया काम की बात मुख़्तसर में करें, तो उनकी फिल्म ‘निशानची’ 19 सितंबर को रिलीज़ हुई. आने वाले समय में हम उन्हें ‘डकैत’ में एक्टिंग करते देखेंगे. उनकी फिल्में दुनिया के अलग-अलग फिल्म फेस्टिवल्स में सराही जाती रही हैं. इनमें से एक है ‘बंदर’, जिसकी स्क्रीनिंग टोरंटो इंटरनेशलन फिल्म फेस्ट 2025 में हुई. इसमें बॉबी देओल ने लीड रोल किया है. ऊपर जिस फिल्म को लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में ले जाने के बारे में अनुराग ने कहा था, वो ‘ब्लैक फ्राइडे’ है. इसमें पवन मल्होत्रा, के के मेनन, नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी और आदित्य श्रीवास्तव ने काम किया था. अनुराग से हुई ये पूरी बातचीत आप दी लल्लनटॉप के यूट्यूब चैनल और हमारी वेबसाइट पर देख सकते हैं.

वीडियो: अनुराग कश्यप ने शाहरुख खान के साथ अभी तक फिल्म क्यों नहीं बनाई? अनुराग कश्यप ने इंटरव्यू में बताया

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