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'सरफरोश' में काम कर नसीर ने क्यों कहा कि वो आमिर के साथ काम करना पसंद नहीं करते?

फिल्म में इंस्पेक्टर सलीम बने मुकेश ऋषि को मुस्लिम बनने में सबसे बड़ी दिक्कत ये लगी.

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फिल्म 'सरफरोश' के एक सीन में मुकेश ऋथि और आमिर खान.
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श्वेतांक
17 जून 2021 (Updated: 17 जून 2021, 02:19 PM IST)
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'इश्क' और 'राजा हिंदुस्तानी' की सफलता के बाद आमिर एक साथ तीन-चार फिल्मों पर काम कर रहे थे. ये फिल्में थीं दीपा मेहता की 'अर्थ', इंद्र कुमार की मन और धर्मेश दर्शन की 'मेला'. तब इंडस्ट्री ऐसे ही काम करती थी. तमाम बड़े एक्टर्स एक साथ कई फिल्मों की शूटिंग किया करते थे. मगर ये आमिर का स्टाइल नहीं था. वो ठहरकर, समय लेकर फिल्मों में काम करते थे. बॉक्स ऑफिस के प्रेशर में उन्हें ये सब करना पड़ रहा था. खैर, जब आमिर शूटिंग में व्यस्त रहते थे, तब उनके ऑफिस में स्क्रिप्टों का अंबार लग जाता. फुर्सत में आमिर वो स्क्रिप्ट पढ़ते और डायरेक्टर को नैरेशन के लिए बुलाते. क्योंकि वो डायरेक्टर के विज़न से उस फिल्म को समझना चाहते थे. सब कुछ एक प्रोसेस के तहत हो रहा था.


उन्हीं दिनों एक मशहूर ऐड फिल्ममेकर हुआ करते थे जॉन मैथ्यू. पूरा नाम जॉन मैथ्यू मत्थन. सालों तक ऐड फिल्ममेकिंग में काम कर चुके जॉन अब स्विच करना चाहते थे. वो फिल्म बनाना चाहते थे. किस बारे में फिल्म बनाएं? इस सवाल का जवाब ढूंढते-ढूंढते दो साल लग गए. उन्होंने इंडिया-पाकिस्तान के मसले पर बात करना चुना. अगले पांच साल रिसर्च और स्क्रिप्टिंग में चले गए. 1997 में स्क्रिप्ट तैयार हो गई. इस स्क्रिप्ट पर बनने वाली फिल्म के लिए जॉन की पहली पसंद आमिर खान थे. क्योंकि एक इवेंट के दौरान प्रह्लाद कक्कड़ ने इन दोनों को मिलवाया था. जॉन को आमिर अच्छे लगे थे.
आमिर तक बात पहुंचाई गई कि एक नए फिल्ममेकर नैरेशन देना चाहते हैं. महीनों बाद उन्हें आमिर को फिल्म सुनाने के लिए एक घंटे का अपॉइंटमेंट मिला. मगर जॉन ने कहा कि वो तीन घंटे से कम समय में अपनी स्क्रिप्ट नैरेट नहीं कर पाएंगे. वो मीटिंग कैंसिल कर जॉन को कुछ दिन बाद तीन घंटे का स्लॉट दिया गया. आमिर ने फिल्म सुनी. उन्हें पसंद आई. वो इसमें काम करने को तैयार हो गए. इस चीज़ ने जॉन की मुश्किलें बढ़ा दीं. क्योंकि तब उनके पास फिल्म को फाइनेंस करने के लिए कोई प्रोड्यूसर नहीं था.
इसी दौरान आमिर और जॉन की मुलाकात मनहोमन शेट्टी से हुई. शेट्टी, गोविंद निहलानी की फिल्में प्रोड्यूस करने के लिए जाने जाते थे. उन्होंने आमिर को आश्वासन दिया कि ये फिल्म पैसों की कमी से नहीं रुकेगी. 'सरफरोश' नाम से बन रही इस फिल्म पर काम शुरू हो गया.
फिल्म 'सरफरोश' की शूटिंग के दौरान आमिर खान और जॉन मैथ्यू.
फिल्म 'सरफरोश' की शूटिंग के दौरान आमिर खान और जॉन मैथ्यू.


पैसे कमाने के इरादे से बनी 'मन' और 'मेला' जैसी फिल्में पिट गईं. 'अर्थ' उस लॉट की इकलौती फिल्म रही, जिसे समीक्षकों ने पसंद किया और लोगों ने देखा. इस घटना के बाद आमिर का करियर बदलने लगा. उन्हें समझ आ गया कि वो क्वॉन्टिटी के चक्कर में क्वॉलिटी से समझौता कर रहे हैं. इसलिए अब वो एक समय पर एक ही फिल्म करते. और उसमें पूरी तरह इनवॉल्व हो जाते. ट्रांज़िशन के इस फेज़ से निकली पहली फिल्म थी 'सरफरोश'.
# जब आमिर की फिल्म में 139 सेकंड के रोल में दिखे नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी
आमिर की 'सरफरोश' नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी के करियर की पहली फिल्म थी. वो इस फिल्म में नहीं होने वाले थे. एक दिन फिल्म का इंटररोगेशन वाला सीन शूट होने वाला था. इसमें आतंकवादियों का रोल करने के लिए कुछ जूनियर आर्टिस्ट बुलाए गए थे. मगर शूटिंग वाले दिन एक एक्टर गोच्ची मार गया. 'सरफरोश' के सेट के आस पास नवाज भी काम की तलाश में भटक रहे थे. उस आतंकवादी का रोल नवाज को मिल गया. ये 139 सेकंड लंबा रोल था, जिसमें आमिर उनसे पूछताछ कर रहे हैं.
आमिर अपने प्रोडक्शन की 'पीपली लाइव' की कास्टिंग कर रहे थे. उन्होंने नवाज की कास्टिंग भी खुद ही की थी. मगर आमिर को नवाज याद नहीं थे. अगली बार आमिर और नवाज को 'तलाश' फिल्म में देखा गया. इसमें नवाज ने बाकायदा एक ज़रूरी किरदार निभाया था. 'तलाश' की शूटिंग दौरान नवाज ने आमिर को बताया कि वो दोनों तीसरी बार साथ काम कर रहे हैं. आमिर को बिल्कुल ध्यान नहीं था कि नवाज ने 'सरफरोश' में भी काम किया था. वो जानकर खुद हैरान हुए. फिर पूरी क्रू को बुलाकर अपना और नवाज का ये किस्सा सुनाया.
दरअसल 'सरफरोश' के भी फर्स्ट कट से नवाज वाला सीन एडिट हो गया था. टेस्ट स्क्रीनिंग नाम की एक प्रथा होती है. इसमें आम लोगों को बिना बैकग्राउंड स्कोर और प्रॉपर डबिंग के नई फिल्म दिखाई जाती है. ताकि पब्लिक का रिएक्शन नोटिस किया जा सके. इसके आधार पर फिल्म में कुछ ज़रूरी बदलाव भी किए जाते हैं. 'सरफरोश' की टेस्ट स्क्रीनिंग हुई. ये एक पुलिसिया फिल्म थी मगर इसमें उस तरह के मसाला सीन्स कम थे. फिल्म देखने के बाद कई लोगों ने ये बात कही. इस घटना के बाद फिल्म में तीन सीन जोड़ दिए गए. फिल्म से नवाज का जेल वाला सीन आप यहां देख सकते हैं-

फिल्म में जोड़ा गया पहला सीन वो था, जब आमिर का किरदार एक पुलिसवाले को थप्पड़ मारकर सुल्तान का पता लगाता है. सुल्तान का पता लगाकर उसके घर जाना और वहां उसकी मां से पूछताछ करना. ये दूसरा सीन था. और तीसरा सीन वो था, जिसमें नवाज समेत कुछ एक्टर्स नज़र आते हैं. वो जेल वाला इंटररोगेशन सीन.
# इंस्पेक्टर सलीम बने मुकेश ऋषि को मुस्लिम बनने में सबसे बड़ी दिक्कत क्या आई?
फिल्म में एक किरदार ऐसा था, जिसकी चहुंओर प्रशंसा हुई. मुकेश ऋषि का निभाया इंस्पेक्टर सलीम वाला किरदार. मुकेश ने अपने करियर में अब तक सिर्फ नेगेटिव रोल्स ही किए थे. वो आशुतोष गोवारिकर की आमिर स्टारर फिल्म 'बाज़ी' में काम कर रहे थे. जब मैथ्यू 'सरफरोश' बनाने जा रहे थे, तब आशुतोष ने उन्हें मुकेश ऋषि को कास्ट करने की सलाह दी. मुकेश जब मैथ्यू से मिलने गए, तो उन्हें ऑडिशन देने को कहा गया. मुकेश तब तक 40 फिल्मों में काम कर चुके थे. मगर उन्हें कभी ऑडिशन नहीं देना पड़ा. डायरेक्टर्स उनकी कद-काठी देखकर अपनी फिल्म में विलन के लिए कास्ट कर लेते थे. मुकेश को ऑडिशन वाली बात खल गई. उन्होंने तैयारी के लिए सात दिन का वक्त मांगा और वापस आ गए.
एक हफ्ते बाद वापस आए मुकेश ने अपने ऑडिशन से सबको इंप्रेस करके छोड़ दिया. उन्हें इंस्पेक्टर सलीम के रोल में ले लिया गया. मुकेश अपने करियर में पहली बार ऐसा किरदार निभा रहे थे, जो सिर्फ नाम से नहीं ईमान से मुस्लिम था. मुकेश ने अपने कैरेक्टर का सुर मिल गया था. मगर वो बार-बार एक ही जगह अटक रहे थे. जिस सीन में इंस्पेक्टर सलीम को नमाज़ पढ़ते दिखाया गया, उसे करने में मुकेश के पसीने छूट गए थे. रेडिफ को दिए एक इंटरव्यू में मुकेश बताते हैं कि उन्होंने मुसलमानों से जुड़ी तमाम चीज़ें अपने आस पास देखी थीं. मगर नमाज़ उन्होंने कभी नहीं पढ़ी थी. वो प्रैक्टिस करने के बावजूद ये सीन करने में असहज हो रहे थे. फाइनली मैथ्यू और स्क्रीनप्ले राइटर पथिक वत्स की देखरेख में इस सीन को पूरे परफेक्शन के साथ शूट किया गया.
फिल्म 'सरफरोश' के एक सीन में इंस्पेक्टर सलीम के किरदार में मुकेश ऋषि.
फिल्म 'सरफरोश' के एक सीन में इंस्पेक्टर सलीम का रोल करने वाले मुकेश ऋषि.


जाते-जाते आपको सरफरोश की मेकिंग के कुछ और बाते बताते हैं-
# 'सरफरोश' में आमिर खान और नसीरुद्दीन शाह ने साथ काम किया. आमिर और नसीर इससे पहले 1984 में आई केतन मेहता की फिल्म 'होली' में साथ काम कर चुके हैं. आमिर के साथ काम करने के अनुभव पर नसीर कहते हैं कि आमिर का दिमाग ठिकाने पर है. इसलिए वो सही चीज़ें सोचते हैं. ठीक काम करते हैं. वो बात अलग है कि नसीर उनके साथ काम करना पसंद नहीं करते.
'सरफरोश', नसीर और आमिर की एक साथ दूसरी फिल्म थी.
'सरफरोश', नसीर और आमिर की एक साथ दूसरी फिल्म थी.


# 'सरफरोश' कारगिल युद्ध से ठीक पहले रिलीज़ हुई थी. उम्मीद लगाई जा रही थी कि ये भी भारी-भरकम डायलॉग्स और एक्शन से लबरेज एक देशभक्ति फिल्म होगी. क्योंकि इंडिया और पाकिस्तान के बीच बड़ी टेंशन चल रही थी. मगर 'सरफरोश' बड़ी गंभीर और एंटी-वॉर फिल्म थी. इसे आमिर खान के करियर की लैंडमार्क फिल्मों में गिना जाता है. इसी फिल्म के बाद आमिर के करियर दशा-दिशा बदल गई.
# 'सरफरोश' के डायरेक्टर जॉन मैथ्यू ने सभी एक्टर्स को फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं दी थी. जब सोनाली बेंद्रे को फिल्म में कास्ट किया गया, तो सिर्फ वो चीजें बताई गईं जो सोनाली को करना था. आमिर और नसीर को एक फिल्म में देखकर किसी का एक्साइटेड और ताज्जूब होना लाजमी है. सोनाली ने पूछा कि नसीर क्या रोल कर रहे हैं. मैथ्यू ने बताया कि वो एक गज़ल सिंगर का रोल कर रहे हैं. सोनाली को खुद नहीं पता था कि नसीर फिल्म के विलन हैं.
सिर्फ एक्शन और एंटी-वॉर सेंटिमेंट ही नहीं, इस फिल्म में दिखाई गई लव स्टोरी को भी काफी फ्रेश माना गया.
सिर्फ एक्शन और एंटी-वॉर सेंटिमेंट ही नहीं, इस फिल्म में दिखाई गई लव स्टोरी को भी काफी फ्रेश माना गया.


# लंबे समय से 'सरफरोश' के सीक्वल की चर्चा चल रही है. अपने हालिया मीडिया इंटरैक्शन में जॉन मैथ्यू ने बताया कि उन्होंने 'सरफरोश 2' की स्क्रिप्ट के चार ड्राफ्ट लिख चुके हैं. मगर वो संतुष्ट नहीं हो पा रहे इसलिए पांचवें ड्राफ्ट पर काम कर रहे हैं. उनकी ये फिल्म CRPF के बारे में होगी. खबरें ये भी थीं कि सरफरोश के सीक्वल में आमिर खान की जगह जॉन अब्राहम होंगे. मगर मैथ्यू ने इन सभी अटकलों को खारिज़ कर दिया. उनका कहना है कि अभी वो स्क्रिप्टिंग वाले स्टेज पर हैं. कास्टिंग इसके बाद होगी.

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