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'छावा' में औरंगज़ेब बने अक्षय खन्ना की कहानी, जिनकी एक फिल्म ने राष्ट्रपति को रुला दिया था

Akshaye Khanna को मीम कल्चर में Jeetu Videocon के किरदार से भी पहचाना जाता है. हालांकि उनको ये किरदार देने वाला आदमी अक्षय की किस फिल्म के फ्लॉप होने से डिप्रेशन में चला गया था.

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अक्षय खन्ना ने जब 'बॉर्डर' साइन की, तब लोगों ने उन्हें बेवकूफ क्यों कहा.
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यमन
20 फ़रवरी 2025 (Published: 07:10 PM IST) कॉमेंट्स
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Vicky Kaushal की हालिया रिलीज़ Chhaava ने बॉक्स ऑफिस पर गदर मचाया हुआ है. सिनेमाघर से वीडियोज़ आ रहे हैं जहां लोग फिल्म देखकर इमोशनल हो रहे हैं. एक वीडियो आया जहां किसी शख्स ने Aurangzeb को देखकर सिनेमाघर का पर्दा तक फाड़ डाला. मतलब औरंगज़ेब बने Akshaye Khanna ने पर्दा फाड़ टाइप काम किया है लेकिन उस बात को लिटरली नहीं लेना था. फिल्म में उन्हें सीमित फुटेज दिया गया. उसके बावजूद उनका काम निखर कर आया. सोशल मीडिया इस बात से भरा हुआ है कि कैसे वो इस जेनरेशन के बेस्ट एक्टर हैं. लोग अक्षय को नए सिरे से डिस्कवर कर रहे हैं. 

दूसरी ओर मुमकिन है कि अक्षय इस तमाम चर्चा से दूर हों. अपने अलीबाग वाले घर में सुस्ता रहे हों. स्क्वॉश खेल रहे हों. उसकी थकान उतारने के लिए ग्रीन टी की चुस्कियां ले रहे हों. अक्षय कैसा महसूस कर रहे हैं, कैसे रिएक्ट कर रहे होंगे, इसका ठोस जवाब किसी के पास नहीं है. यही वजह है कि एक बाद Shah Rukh Khan ने अक्षय के लिया कहा था, “उनके बारे में एक विचित्र सा रहस्य है जो उनकी एक्टिंग में प्रतिबिंबित होता है”

‘छावा’ की बम्पर कामयाबी के बहाने हमने अक्षय खन्ना को फिर से जानने की कोशिश की. उनके करियर और उसके किस्सों के गलियारों में उतरे. उनसे जुड़े कुछ सुने-कमसुने और अनसुने किस्से निकालें. यहां आपको वो किस्से नहीं मिलेंगे जिन्हें अनंत बार दोहराया जा चुका है कि कैसे ‘दिल चाहता है’ में वो पहले आमिर वाला रोल करने वाले थे. या कैसे करीना को उन पर क्रश था. यहां आप जानेंगे कि उनकी फिल्म देखकर राष्ट्रपति रोने क्यों लगे. एक टाई की वजह से कैसे वो ऐश्वर्या और अनिल कपूर का शूट छोड़ने वाले थे. पढ़ते जाइए-     

# “अक्षय को हिंदी नहीं आती थी” 

बचपन में अक्षय का पढ़ाई में मन नहीं लगता था. वो याद करते हैं कि जब पिता के साथ उनकी फिल्म के किसी सेट पर जाते तो वो एक यादगार अनुभव में तब्दील होता. उनसे जितने भी इंटरव्यूज़ में क्लीशे सवाल (टिपिकल, घिसा-घिसाया) पूछा कि आप एक्टर क्यों बने. तो इस पर अक्षय का साफ, सिम्पल जवाब रहता – क्योंकि मैं इसके अलावा कुछ और नहीं कर सकता था. मुझे कुछ और नहीं आता. पिता की तरह अक्षय को भी फिल्मों में आना था. ये इच्छा इतनी प्रबल थी कि उन्होंने जानबूझकर जूनियर कॉलेज में फर्स्ट ईयर की परीक्षा छोड़ दी. मन में आभास था कि परीक्षा की कोई तैयारी नहीं है. अगर इम्तिहान में बैठे तो बुरी तरह फेल होंगे. तब उम्र रही होगी करीब 17 साल. खुद को मनाया कि अब एक्टिंग ही करनी है. लेकिन डर हाथ पसारे इंतज़ार कर रहा था, कि घरवालों को कैसे बताया जाए. 

दिल में व्याप्त हुए इस भय के चलते अक्षय शब्दों को अपनी ज़ुबान तक नहीं ला पा रहे थे. फिर एक दिन घरवालों से आखिरकार बात कर ही ली गई. वो नाराज़ हुए, बिगड़े. ठेस भी पहुंची. उनका मानना था कि तुम अभी इस इंडस्ट्री के लिए बहुत छोटे हो. अक्षय ने अपना पक्ष रखा, किसी तरह मनाया और घरवालों के पास राज़ी होने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा. पिता विनोद खन्ना ने बेटे की पहली फिल्म को प्रोड्यूस करने का फैसला किया. डायरेक्टर की तलाश शुरू हुई. पंकज पराशर पर जाकर सुई रुकी. 

Himalay Putra
‘हिमालय पुत्र’ में अक्षय खन्ना और अंजला जावेरी.

पंकज एक इंटरव्यू में बताते हैं कि विनोद खन्ना ने उनके सामने कुछ शर्तें रखीं. पहली तो ये एक लव स्टोरी होगी. दूसरा इसकी कहानी हनी ईरानी लिखेंगी और तीसरा कि अनु मलिक म्यूज़िक बनाएंगे. पंकज को कोई आपत्ति नहीं थी. उन्होंने अक्षय से मिलने की इच्छा जताई. यहां उनके सामने पहली चुनौती आई. वो बताते हैं कि अक्षय की हिंदी दुरुस्त नहीं थी. सिद्धार्थ कनन को दिए इंटरव्यू में पंकज बताते हैं,
उनकी हिंदी अच्छी नहीं थी. वो ज़्यादा हिंदी नहीं बोलते थे. उनके विचार अंग्रेज़ी में होते पर वो एक नैचुरल एक्टर थे. पहले दिन जब हमने उन्हें पढ़ने के लिए डायलॉग दिया तब मुझे ये देखकर खुशी हुई कि वो एक एक्टर हैं. वो सिर्फ 19 साल के थे और उन्होंने अच्छा काम किया. 

‘हिमालय पुत्र’ के नाम से अक्षय की ये डेब्यू फिल्म रिलीज़ हुई. विनोद खन्ना ने फिल्म का बड़ा प्रीमियर रखा. वो पहली फिल्म से ही बेटे अक्षय को स्टार बनाना चाहते थे. मगर ऐसा नहीं हो सका क्योंकि ‘हिमालय पुत्र’ बॉक्स ऑफिस पर धड़ाम से जा गिरी थी.

# “तुम बेवकूफ हो जो ‘बॉर्डर’ कर रहे हो”

अगर किस्मत जैसी कोई चीज़ होती है तो एक मामले में अक्षय लकी रहे. अपने डेब्यू वाले साल में ही उन्होंने फिल्मी दुनिया के दोनों ध्रुव देख लिए. उनकी पहली फिल्म ‘हिमालय पुत्र’ 1997 में रिलीज़ हुई. ये बॉक्स ऑफिस पर बिल्कुल भी नहीं चली. हालांकि ‘हिमालय पुत्र’ पर काम करने के दौरान ही अक्षय एक मल्टी-स्टारर फिल्म की शूटिंग भी कर रहे थे. जे.पी. दत्ता 1971 के भारत और पाकिस्तान युद्ध पर केंद्रित एक फिल्म बना रहे थे. इसका टाइटल था ‘बॉर्डर’. सनी देओल, सुनील शेट्टी और जैकी श्रॉफ जैसे एक्टर्स इस फिल्म का हिस्सा थे. ‘बॉर्डर’ में लेफ्टिनेंट धर्मवीर का एक किरदार था जिसके लिए जे.पी. दत्ता को किसी यंग एक्टर की ज़रूरत थी. 

पहले वो सलमान खान के पास गए. सलमान ने किसी वजह से मना कर दिया. फिर अक्षय खन्ना से पहले पॉपुलर हुए AK, यानी आमिर खान और अक्षय कुमार को ये रोल ऑफर किया गया. आमिर उन दिनों इंद्र कुमार की फिल्म ‘इश्क’ के लिए शूट कर रहे थे. डेट्स की वजह से वहां बात नहीं बनी. दूसरी ओर अक्षय भी हामी नहीं भर पाए. उसके बाद जे.पी. दत्ता पहुंचे अजय देवगन के पास. पुराने आर्टिकल्स में पढ़ने को मिलता है कि अजय एक बात को लेकर चिंतित थे, कि ये एक मल्टी-स्टारर फिल्म है और उन्हें लीड रोल लायक स्पेस नहीं मिलेगी. इस बात का हवाला देकर उन्होंने भी ‘बॉर्डर’ को मना कर दिया. अंत में ये रोल पहुंचा अक्षय खन्ना के पास. अक्षय इस रोल में जो नयापन, जो रॉनेस लाए वो शायद कोई बड़ा स्टार नहीं ला पाता. यही फिल्म के हित में कारगर भी साबित हुआ.

अक्षय बताते हैं कि उनके आसपास के लोग ये फिल्म करने से खुश नहीं थे. अक्षय एक पुराने इंटरव्यू में कहते हैं,

कई बार लोग कुछ फैसलों को रिस्क की तरह देखते हैं. मैं 'बॉर्डर' में एक न्यूकमर था और मेरे आसपास इतने बड़े सुपरस्टार्स थे. मुझसे काफी लोगों ने कहा कि इतने बड़े स्टार्स के साथ स्क्रीन शेयर करना बेवकूफी होगी.

अक्षय ने ऐसे सभी परामर्शों को अनसुना किया. ‘हिमालय पुत्र’ देखकर कई क्रिटिक्स का कहना था कि अक्षय का भविष्य खतरे में है. कुछ महीनों बाद ‘बॉर्डर’ आई और उन्हें अपनी राय बदलनी पड़ गई. उस समय फिल्मों को एक साथ पूरे देश में रिलीज़ नहीं किया जाता था. फिल्मों के राइट्स टेरिटरी के हिसाब से बिकते थे. ‘बॉर्डर’ की हर टेरिटरी के राइट्स करीब 1.5 करोड़ रुपये में बिके थे. फिल्म ने हर टेरिटरी से 10 करोड़ रुपये से ज़्यादा की कमाई की थी.

# फिल्म फ्लॉप हुई और डायरेक्टर डिप्रेशन में चले गए

साल 2003 में एक हिंदी फिल्म आई थी. ‘हंगामा’ के नाम से. प्रियदर्शन फिल्म के डायरेक्टर थे. कास्ट में परेश रावल, अक्षय खन्ना, आफताब शिवदसानी और रिमी सेन जैसे नाम थे. इस फिल्म में अक्षय ने जीतू नाम के लड़के का रोल किया था. माता-पिता की बात मानने वाला आज्ञाकारी बेटा. अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए पिता से पैसे मांगता है. पिता नहीं मानते. ऊपर से खीजकर कहते हैं कि चाहे चोरी कर लो, पर मैं पैसे नहीं दूंगा. जीतू यही करता है. वो ‘दूसरों की जय से पहले खुद की जय करें’ के सिद्धांत का पालन करते हुए अपने ही घर में चोरी कर डालता है. इलेक्ट्रॉनिक शोरूम खोलता है. यहां से उसके नाम जीतू के आगे वीडियोकॉन जुड़ता है. 

लेकिन जीतू सिर्फ कोई उद्योगपति नहीं बनना चाहता. वो रज कर प्यार करना चाहता है. तभी राधेश्याम तिवारी के सामने ललकारते हुए कहता है, “हमारे प्यार को दौलत के तराजू में मत तोलो, राधेश्याम तिवारी”. पूंजीवादी राधेश्याम तिवारी उसे ‘हट भिखारी’ कहकर चुप करा देता है. जीतू उस फ्रेम से बाहर निकल जाता है, ताकि हमेशा के लिए जनता के मानस पटल में दर्ज हो सके. खैर ‘हंगामा’ ऐसी फिल्म बनी जिसने मीम कल्चर में खूब प्यार पाया. जीतू वीडियोकॉन भैया में भैया सरीखे फिगर बन गए. हालांकि ये पहला मौका नहीं था जब प्रियदर्शन और अक्षय खन्ना ने साथ में काम किया हो. 

इन दोनों की साथ में पहली थी ‘डोली सजा के रखना’. साल 1998 में आई थी. इस फिल्म का गाना ‘किस्सा हम लिखेंगे’ महा-पॉपुलर हुआ. ये तमिल एक्ट्रेस ज्योतिका की पहली हिंदी फिल्म भी थी. प्रियदर्शन को इस फिल्म से बहुत उम्मीद थी. लेकिन ये बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई. प्रियदर्शन का मनोबल टूट गया. वो एक पुराने इंटरव्यू में याद करते हैं, 

मुझे यकीन था कि ‘डोली सजा के रखना’ चलेगी, लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो मैं डिप्रेशन में चला गया. 

# ‘प्रेम अगन’, फरदीन खान और ‘रेस’

अक्षय से एक साल बाद फरदीन खान ने सिनेमा में डेब्यू किया. उनकी पहली फिल्म ‘प्रेम अगन’ थी. ‘तेज़ाबी’ डायलॉग वाली फिल्म जिनका इस्तेमाल आज मीम्स में होता है. फरदीन के पिता फिरोज़ खान इस फिल्म के डायरेक्टर थे. हालांकि वो पहले अक्षय खन्ना के साथ इस फिल्म को बनाना चाहते थे. अक्षय और ममता कुलकर्णी को साइन भी कर लिया गया. लेकिन किसी वजह से फिल्म अटक गई. इस दौरान फिरोज़ ने अपनी अगली फिल्म 'जांनशीं' पर काम शुरू कर दिया. यहां भी वो अक्षय और ममता को ही लेना चाहते थे. उस फिल्म पर काम शुरू होने ही वाला था कि फरदीन ने पिता के सामने एक्टर बनने की इच्छा रखी. अब 'जांनशीं' को रोक दिया गया. नए सिरे से 'प्रेम अगन' को शुरू किया गया. लीड रोल में फरदीन खान और मेघना कोठारी थे. ये इन दोनों की ही पहली फिल्म थी.  

‘प्रेम अगन’ में भले ही फरदीन ने अक्षय को रिप्लेस किया था, लेकिन कुछ साल बाद इसका ठीक उल्टा हुआ. अब्बास-मुस्तन ‘रेस’ नाम की फिल्म बना रहे थे. फिल्म में रणवीर और राजीव नाम के दो भाई थे. रणवीर के रोल के लिए सैफ अली खान को फाइनल किया गया. राजीव के रोल के लिए मेकर्स फरदीन के पास पहुंचे. फरदीन मान गए. हालांकि वो उस दौरान साजिद खान की ‘हे बेबी’ पर भी काम कर रहे थे. अक्षय कुमार की डेट्स की वजह से ‘हे बेबी’ रुकी हुई थी. अक्षय कुमार की डेट्स मिलते ही मेकर्स तुरंत शूट करना चाहते थे. अब फरदीन असमंजस में थे. ‘रेस’ और ‘हे बेबी’ की शूटिंग क्लैश होने वाली थी. वो एक ही फिल्म कर सकते थे. उन्होंने ‘हे बेबी’ को चुना. अब ‘रेस’ के मेकर्स को दूसरा एक्टर ढूंढना था.

उन्हें अक्षय खन्ना का नाम ध्यान आया. अक्षय उस दौरान ‘नकाब’ नाम की फिल्म कर रहे थे. इसे अब्बास-मुस्तन ही बना रहे थे. सेट पर उन्हें कहानी सुनाई गई और अक्षय ‘रेस’ करने के लिए राज़ी हो गए. ये उनके करियर की बड़ी फिल्म साबित हुई. बॉलीवुड हंगामा के मुताबिक ‘रेस’ ने दुनियाभर में 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा का कलेक्शन किया था.

# नेक टाई की वजह से शूट छोड़ने को तैयार हो गए

अक्षय खन्ना के करियर के शुरुआती दौर से ज़्यादा इंटरव्यूज़ नहीं मिलते. उनके अधिकांश इंटरव्यू साल 2016 के बाद के है जब उन्होंने ‘डिशूम’ से कमबैक किया था. उन्होंने माना कि उन्हें मीडिया से ज़्यादा बातचीत करनी चाहिए थी, क्योंकि वो उनकी फिल्म को प्रमोट करने का ज़रिया ही है. हालांकि उनके जितने भी पुराने इंटरव्यू मिलते हैं, उनमें से ज़्यादातर अंग्रेज़ी भाषी इंटरव्यूज़ में एक शब्द का बार-बार इस्तेमाल होते दिखता है. वो शब्द है Candour. ईमानदारी से और स्पष्टता से बात कहने वाले इंसान के लिए ये शब्द इस्तेमाल होता आया है. 

जर्नलिस्ट और फिल्ममेकर खालिद मोहम्मद ने अक्षय पर एक प्रोफाइल लिखी थी. वहां एक किस्सा बताया. ‘ताल’ रिलीज़ होने वाली थी. उससे पहले फिल्म के एक्टर्स ऐश्वर्या राय, अनिल कपूर और अक्षय खन्ना के साथ फिल्मफेयर मैगज़ीन का कवर फोटोशूट होना था. खालिद याद करते हैं कि अक्षय उस समय बहुत बेचैन थे. दरअसल उनकी जैकेट के साथ जो मैच करने वाली नेक टाई आई थीं, वो उन्हें पसंद नहीं आ रही थीं. अक्षय इस हद तक नाराज़ हो गए कि शूट छोड़कर जा रहे थे. तब किसी तरह सुभाष घई ने उन्हें मनाया और शूट पूरा किया गया. 

# गांधी के बेटे को देख राष्ट्रपति रोने लगे

अक्षय के बड़े भाई राहुल खन्ना ने उनसे पहले फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था. उनकी फिल्मोग्राफी में ज़्यादातर आर्ट या ऑफ बीट फिल्मों के नाम दर्ज हुए. अक्षय ने आर्ट और कमर्शियल सिनेमा के बीच एक बैलेंस बनाकर रखा. जिस साल उनकी ‘नकाब’ जैसी टिपिकल थ्रिलर फिल्म रिलीज हुई, उसी साल ‘गांधी माय फादर’ आई. ये उनके सबसे मकबूल कामों में से एक है. ये मोहनदास गांधी और उनके सबसे बड़े बेटे हरीलाल के जटिल रिश्ते पर आधारित थी. दुनियाभर ने उस इंसान को एक महात्मा की तरह देखा, लेकिन उनका अपना बेटा किस रोशनी में पिता को देखता था, ये फिल्म का प्लॉट था. ‘गांधी माय फादर’ को अनिल कपूर ने प्रोड्यूस किया था. अनिल और अक्षय ने ‘ताल’ में भी साथ काम किया था. तभी से दोनों की अच्छी दोस्ती थी. 

फिल्म का प्रीमियर दक्षिण अफ्रीका में रखा गया. यही वो धरती थी जहां गांधी ने खुद को खोजा. नेल्सन मंडेला भी फिल्म के प्रीमियर में शामिल होने वाले थे. लेकिन तबियत की वजह से नहीं आ सके. मगर वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति Thabo Mbeki ने पूरी फिल्म देखी. अक्षय बताते हैं कि फिल्म देखते हुए राष्ट्रपति लगातार रो रहे थे.

# “ये ऐसा था जैसे पियानिस्ट ने उंगलियां खो दी”

अक्षय खन्ना ने 19 साल की उम्र में डेब्यू किया था. ये ऐसी उम्र थी जहां आपके सामने जीतने के लिए पूरी दुनिया है और हारने को कुछ नहीं. लेकिन अक्षय को इसी उम्र में बड़ी चोट लगी. उनकी Premature Balding शुरू हो गई. यानी समय से पहले बाल झड़ने लगे. वो उस इंडस्ट्री का हिस्सा थे जहां सबसे पहले आपका चेहरा बिकता है. अक्षय के साथ ये हो रहा था मगर उन्होंने इसे छुपाने की कोशिश नहीं की. साल 2020 में Mid-Day को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इस दौर पर बात की थी. अक्षय ने बताया था,

ये मेरे साथ बहुत कम उम्र में होने लगा. ये मेरे लिए ऐसा था जैसे किसी पियानिस्ट ने अपनी उंगलियां खो दी हों. तब मुझे ऐसा ही महसूस होता था. ये वैसा ही था कि आप सुबह उठे हों और अखबार में छपा कुछ भी नज़र नहीं आ रहा, आप खुद से कहें कि मुझे चश्मे की ज़रूरत है. इसका आप पर गहरा असर पड़ता है. आपका दिल टूट जाता है. क्योंकि एक एक्टर होने के नाते आप जैसे दिखते हैं, वो बहुत मायने रखता है. 19-20 साल की उम्र में जब ऐसा होता है तो लगता है जैसे दुनिया खत्म हो गई हो. ये मानसिक रूप से आपको खत्म कर सकता है.

इससे मेरे आत्मविश्वास को भी चोट पहुंची थी. उस समय मुझे ऐसा नहीं लगता था लेकिन इसने मुझ पर गहरा असर छोड़ा है.

अक्षय खन्ना को लेकर लोगों के दिमाग में कई तरह के आइडिया बने रहते हैं. कोई पूछता है कि शर्मीले हैं, इसलिए मीडिया में नहीं आते. अक्षय कहते हैं कि ऐसा नहीं है, वो खुद को एक्स्ट्रोवर्ट की बिरादरी में गिनते हैं. किसी की शिकायत रहती है कि अक्षय इतनी कम फिल्में क्यों करते हैं. उस पर अक्षय ने एक बार कहा था कि हल्के काम से परेशान हो गए थे. अच्छा काम मिलेगा तो वो करता रहेगा. ‘छावा’ में उनका काम बहुत पसंद किया जा रहा है. उम्मीद है कि वो स्क्रीन पर और भी ज़्यादा नज़र आते रहेंगे.                  
                        
 

वीडियो: 'दिल चाहता है'में पहले कॉमेडी करने वाले थे अक्षय खन्ना

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