'आदिपुरुष' ट्रेलर की 5 खास बातें
टीज़र में सैफ के लुक पर भारी बवाल कटा था. लोगों का मानना था कि रावण किसी मुग़ल आंक्रांता जैसा दिख रहा है. ट्रेलर में मेकर्स ने सैफ का पूरा लुक दिखाया ही नहीं.
Prabhas की Adipurush का दनदनाता हुआ ट्रेलर आ गया है. मामला टीज़र से कहीं बेहतर लग रहा है. हालांकि VFX की शिकायत बरकरार रहने की संभावनाएं हैं. भगवा पर ज़ोर है. Saif Ali Khan का लुक छुपाकर रखा गया है. ये हो गया आपका क्विक रिव्यू. अब इस ट्रेलर पर विस्तार से बात करते हैं.
1) 'रामायण' की कहानी सबको पता है. ऐसे में सारा खेल ये था कि मेकर्स उस कहानी को कैसे दिखाते हैं. पर्सपेक्टिव क्या रहता है. ऐसे में 'आदिपुरुष' की कहानी हमें भगवान हनुमान के नज़रिए से देखने को मिलती है. वो फिल्म के सूत्रधार हैं. फिल्म में हनुमान का रोल देवदत्त नागे ने किया है.
2) टीज़र से लोगों की सबसे बड़ी शिकायत ये थी कि फिल्म का VFX बहुत बेकार लग रहा है. टीवी पर बच्चों का कोई कार्टून शो देखने जैसा. मेकर्स ने कहा कि हम बदलाव करेंगे. फिल्म की रिलीज़ आगे खिसकाई गई. 100 करोड़ रुपए एक्स्ट्रा बजट दिया गया. बावजूद इसके ट्रेलर में कुछ खास सुधार देखने को नहीं मिलता. युद्ध वाले जितने भी सीक्वेंस हैं, वो बहुत कंप्यूटरीकृत लग रहे हैं. दूसरी शिकायत ये है कि एक्टर्स के चेहरे पर बहुत रंगाई-पुताई दिख रही है. जिसकी वजह से वो रियल होते हुए भी बनावटी दिख रहे हैं. खासकर प्रभास. इन्होंने भगवान राम से प्रेरित 'राघव' नाम का किरदार निभाया है.
3) सैफ अली खान ने फिल्म में लंकेश का रोल किया है. जो कि रावण पर आधारित है. जब टीज़र आया था, तो सैफ के लुक पर भारी बवाल कटा था. लोगो ने कहा कि बाल-दाढ़ी कतई सेट लग रही है. कुछ लोगों का ये भी मानना था कि रावण किसी मुग़ल आंक्रांता जैसा क्यों दिख रहा है. मेकर्स ने ट्रेलर में गेम कर दिया है. उन्होंने सैफ का पूरा लुक दिखाया ही नहीं. शुरुआत में सीता की किडनैपिंग वाला सीन आता है. मगर इसमें रावण ने भिक्षु का वेष धरा हुआ था. अगली बार सैफ का किरदार ट्रेलर के आखिर में दिखता है. मगर इस बार उसकी बैक और आधा चेहरा ही नज़र आता है. बेसिकली दाढ़ी-मूंछ वाला हिस्सा दिखता ही नहीं है.
4) अगर लुक वाली बात को अलग कर दें, तो सैफ अली खान की परफॉरमेंस से उम्मीदें रहेंगी. उनकी जो झलक देखने को मिली है, उसका ट्रीटमेंट बिल्कुल विलन वाला है. आत्ममुग्ध आदमी है, जो खुद के बारे में थर्ड पर्सन में बात कर रहा है. उसके पास सबकुछ है. मगर उसे राक्षस ही माना जाता है. इसलिए वो लक्ष्मी को पाकर 'नारायण' होना चाहता है. इसमें उसकी कुंठा भी नज़र आती है. सैफ ने 'तान्हाजी' में भी नेगेटिव रोल किया था. और VFX से लैस फिल्म होने के बावजूद उनका काम जबरदस्त रहा था. उनसे वैसी ही कुछ उम्मीद 'आदिपुरुष' में भी रहेगी .
5) निजी तौर पर 'आदिपुरुष' से हमारी सबसे बड़ी शिकायत संवादों को लेकर है. बहुत खर्चा करके स्टार्स से भरी पिक्चरें बनाई जा रही हैं. मगर लेखन को लेकर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का रवैया बहुत निराश करने वाला है. या फिर उनके चुनाव को लेकर. 'आदिपुरुष' के पूरे ट्रेलर में एक भी डायलॉग सुनकर कहीं कुछ महसूस नहीं होता. मैं जुड़ाव ही नहीं कर पाया. ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि संवाद क्लिष्ट या शुद्ध हिंदी में लिखे गए. बल्कि इसलिए क्योंकि उसमें वजन नहीं है. जब आप किसी एपिक पर फिल्म बना रहे हैं, तो सबकुछ उसी स्तर का होना चाहिए. यहां आपका सारा फोकस दिखावट पर है. लिखावट का क्या!
कुल जमा बात ये है कि 'आदिपुरुष' को सिर्फ सिनेमा और एंटरटेनमेंट की तरह देखा जाना चाहिए. उससे ज़्यादा कुछ नहीं.