The Lallantop
Advertisement

केवल DU में पाए जाते हैं ये 10 अजीबोगरीब टाइप के स्टूडेंट्स

ये इतने फाइन-ट्यून्ड आइटम होते हैं, कि इनका होना ही इनकी DU डिग्री है.

Advertisement
Img The Lallantop
फोटो - thelallantop
pic
प्रतीक्षा पीपी
11 जून 2016 (Updated: 14 मार्च 2018, 08:45 AM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
हम सबकी कॉलेज लाइफ को हमारे कैंपस ख़ास बनाते हैं. और ख़ास बनाते हैं उसमें रहने वाले अजीबोगरीब प्राणी. किसी को सारी क्लास बंक करने का, तो किसी को मास बंक के दिन भी क्लास पहुंच जाने का शौक होता है. कोई तो प्याज-लहसुन तक को हाथ नहीं लगाता, तो कोई कभी बिना दारु का हैंगओवर लिए क्लास में नहीं आता. लेकिन कुछ ख़ास तरह के प्राणी ऐसे हैं, जो सिर्फ दिल्ली यूनिवर्सिटी में पाए जाते हैं. हर दिन इनमें से एक, कई, या सारे लोग आपसे टकराते हैं. और अगर आप DU बेबी हैं, तो मुमकिन है आप भी इनमें से एक हों.

1. ब्रेड पकौड़े खाने वाले

ब्रेड पकौड़े इनकी फेवरेट डिश होती है. सुबह-दोपहर-शाम, ये दवा की तरह, नियमित रूप से ब्रेड पकौड़े खाते हैं. जैसे दाल-चावल हो. और अगर कोई ख़ास दिन हो, जैसे पास होने की ख़ुशी या खुद का बर्थडे, तो ये आलू वाले ब्रेड पकौड़े न खाकर पनीर वाले ब्रेड पकौड़े खा लेते हैं. 2 क्लास के बीच हुए आधे मिनट के ब्रेक में भी ये ब्रेड पकौड़े खाने का टाइम निकाल लेते हैं.

2. आई-कार्ड की फोटो कॉपी कराने वाले

इन्हें साल भर किसी न किसी चीज के लिए आई-कार्ड की कॉपी चाहिए होती है. कैंपस की फोटोकॉपी की दुकान पर ये जनता मिलती है. हर कोई लाइन में खड़ा धीरज के साथ अपना नंबर आने का वेट कर रहा होता है. उतने में एक भागती, हांफती आवाज पीछे से आती है, 'भैया इसकी आगे-पीछे कर दो.' लोगों के कन्धों के ऊपर से होते हुए, ये अपना मीटर भर लंबा हाथ जहाज की तरह फोटो कॉपी वाले के मुंह पर लैंड कराते हैं. हाथ में होता है आई-कार्ड, और 1 रूपये का सिक्का संग्लग्न.

3. बस-पास बनवाने वाले

ये बस से आते हैं. हालांकि बस से कई लोग आते हैं. लेकिन ये वो ख़ास लोग हैं जो बहुत दूर-दूर से बस से आते हैं. हर सेशन का आधा साल ये कॉलेज के ऑफिस के चक्कर लगाते बिता देते हैं. क्योंकि इन्हें चाहिए बस-पास. जिसके कागज़ पर ऑफिस वाली मैडम साइन नहीं कर रही होती हैं. वो साइन कर देती हैं तो चपरासी स्टैम्प नहीं लगा रहा होता. बस-पास इनके लिए वैसा होता है, जैसे ये क़त्ल के आरोपी हों, और इनका बस-पास वो सीक्रेट पेन ड्राइव हो जिसमें इनकी बेगुनाही का सबूत छिपा हो.

4. स्किनी जींस पहनने वाले

ये लड़कों की ख़ास केटेगरी है. ये टांगों से चिपकी हुई जींस पहनते हैं, फ्लोटर्स या हवाई चप्पलों के साथ. इनको अक्सर प्यार में धोखा हुआ होता है. ये अपने 'ब्रोज़' के साथ एक कोने में बैठे होते हैं. और अपनी हालत पर रो रहे होते हैं. इनकी प्लेलिस्ट में 'मेरे महबूब क़यामत होगी' टाइप के बेवफाई वाले गानों के रीमिक्स वर्जन होते हैं. आई रिपीट, ओरिजिनल नहीं, रीमिक्स.

5. वोट मांगने वाले

ये कुछ नहीं करते. पढ़ते नहीं. खेलते नहीं. आवारागर्दी नहीं करते. चुनाव भी नहीं लड़ते. ये सिर्फ वोट मांगते हैं. अपने भाइयों, अपने दोस्तों के लिए. 'हाय. मायसेल्फ गोरव. प्लिस वोट एन स्पोर्ट नवीन फ्रॉम NSUI'. आप इनकी जन्म कुंडली निकलवा लें, लेकिन पता नहीं लगा पाएंगे कि ये असल में किस डिपार्टमेंट के स्टूडेंट हैं.

6. MKT जाने वाले

ये वो नॉर्थ इंडियन हैं, जिनकी नॉर्थ-ईस्ट और कोलकाता के लोगों से नई-नई दोस्ती हुई है. इन्हें यूनिवर्सिटी अच्छी नहीं लगती. तो ये मजनू का टीला जाते हैं. इनके साथ आप कोई भी प्लान नहीं बना सकते, क्योंकि इन्हें MKT जाना होता है. इन्हें ऐसी लत होती है कि अगर एक दिन का गैप हो जाए, तो क्लास बंक मार कर चले जाते हैं. लेकिन जाते जरूर हैं.

7. गंजेड़ी दिखने वाले

ध्यान दीजिए, ये सिर्फ दिखते गंजेड़ी हैं. होने की गारंटी नहीं है. अक्सर ये झोले पहन कर आते हैं. जिन्हें टी शर्ट कहते हैं. बाल खुजलाते हैं. आप इनसे बात करते हैं तो ये चांद को ताक रहे होते हैं. या पेड़ों की पत्तियां गिन रहे होते हैं. आप उसी समय अंदाजा लगा सकते हैं कि ये अगली सुबह के पहले-पहले फेसबुक पर 18 घटिया कविताएं तो गिरा ही देंगे.

8. अंग्रेजी वाले

या तो ये अंग्रेजी के स्टूडेंट होते हैं. या पॉलिटिकल साइंस, फिलोसोफी, साइकोलॉजी और सोशियोलॉजी जैसे किसी टेढ़े सब्जेक्ट के इंग्लिश मीडियम वाले होते हैं. इन्हें लगता है यूनिवर्सिटी इनके इर्द-गिर्द घूमती है. ये फैबइंडिया के कपड़े पहनते हैं. और बातों-बातों में एक बार तो जता ही देते हैं कि इनका कुर्ता फैबइंडिया का है. भावना नाम की जो चिड़िया है, सबसे ज्यादा इन्हीं की आहत होती है.

9. धरना वाले

जैसे कुछ लोग केवल वोट मांगने के लिए जन्म लेते हैं, ये केवल धरना देने के लिए यूनिवर्सिटी ज्वाइन करते हैं. ये नज़र रखते हैं कि अगला धरना कब होना है. इनकी डफली, स्पीच और नारे तैयार रहते हैं. बस आपके एक फ़ोन की देर है, ये झट से धरना देने पहुंच जाते हैं. और इसके लिए ये पैसे भी नहीं लेते. बस एक स्लोगन पकड़े इनकी फोटो चार लोग फेसबुक पर शेयर कर दें, यही इनकी कमाई होती है.

10. स्पॉन्सर खोजने वाले

ये यूनिवर्सिटी में दाखिला लेते ही फलां सोसाइटी के हेड और फलानी मैगजीन के एडिटर बन जाते हैं. फिर इनका साल भर का काम केवल स्पॉन्सर खोजना होता है. फेस्ट को स्पॉन्सर दिलाने के लिए, दोस्त की गर्दन काटना तो कुछ भी नहीं, ये 21 मंदिरों में मन्नत मांगने से लेकर स्पॉन्सर कंपनी को ड्रैगन का खून चढ़ाने तक को तैयार रहते हैं.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement