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UP Elections 2022: प्रियंका गांधी का 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' अभियान क्यों फेल हो गया?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दिए थे.

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प्रियंका गांधी लड़ीं तो खूब लेकिन जनता के वोट नहीं मिले. (तस्वीर - PTI)
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सोम शेखर
12 मार्च 2022 (Updated: 14 मार्च 2022, 07:59 PM IST)
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हो गए हैं. भाजपा ने 255 सीटों के साथ एक अच्छा बहुमत हासिल कर लिया है. चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत खराब रहा. उसके खाते में सिर्फ दो सीटें आईं. फरेंद्र से विरेंद्र चौधरी और रामपुर ख़ास से अराधना मिश्रा मोना ही कांग्रेस की टिकट पर जीते. 2.3% वोट शेयर के साथ कांग्रेस एक बार फिर से सिंगल डिजिट पर सिमट गई.
कांग्रेस सचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को इस चुनाव में बड़ा फैक्टर माना जा रहा था. अपने 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' अभियान के लिए प्रियंका को खूब सराहना भी मिली. विमेन मैराथॉन और विमेन मेनिफेस्टो के बाद प्रियंका की सभाओं में भीड़ भी ख़ूब जुटी, लेकिन ये भीड़ वोट्स में ट्रांसलेट नहीं हुई. क्या रहे इसके संभावित कारण, प्रियंका ने क्या कहा, सब बताएंगे. क्यों फेल हो गईं प्रियंका? प्रियंका गांधी वाड्रा. कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी. कोरोना की पहली लहर में प्रवासियों के पलायन का मुद्दा हो, दूसरी लहर में इलाज के लिए मची मारामारी हो, हाथरस कांड या उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति का सवाल हो, प्रियंका ने हर जगह सरकार को घेरने की कोशिश की. उनकी प्रजेंस हर जगह दिखी. ख़बरें भी बनीं. केवल राज्य स्तर पर ही नहीं, राष्ट्रीय मुद्दों पर भी प्रियंका ने अपनी आवाज़ दर्ज कराई. आंदोलनों में हिस्सा लिया. चाहे वो नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ हो रहे प्रोटेस्ट्स हों या दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को आंदोलन हो. लखीमपुर खीरी कांड के दौरान भी प्रियंका एक्टिव रहीं. मृतकों के परिवार से मिलने निकल पड़ीं. पुलिस ने रोक लिया तो प्रियंका ने कहा - 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं.' वीडियो वायरल हो गया. प्रियंका का ये जवाब कांग्रेस का नारा बन गया.
प्रियंका ने 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' को एक नारे से एक अभियान बनाने की कोशिश की. विमेन मैराथॉन आयोजित कराई, महिलाओं के लिए एक अलग मेनिफेस्टो बनाया. विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारी बढ़ाने के लिए 40% सीट्स महिलाओं के लिए आरक्षित करने की घोषणा कर दी. राजनीतिक विशेषज्ञों ने कहा ये 'विमेन-वोट बैंक' को साधने का प्रयास है. लेकिन इस सब के बावजूद ये उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का अभी तक का सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा.
Women Vote Bank
इस चुनाव में भी महिला वोटर्स का टर्न-आउट पुरुष मतदाताओं के मुक़ाबले चार प्रतिशत ज़्यादा रहा

हाल के वोटिंग ट्रेंड्स बताते हैं कि महिलाएं स्वतंत्र रूप से मतदान कर अपनी एक स्वायत्त एजेंसी बना रही हैं. अपने परिवार के पुरुषों के प्रभाव में आकर वोट देने वाले कन्वेंशन के विरुद्ध जाकर, अपने नफ़े-नुक़सान के हिसाब से वोट दे रही हैं. इस चुनाव में भी महिला वोटर्स का टर्न-आउट पुरुष मतदाताओं के मुक़ाबले चार प्रतिशत ज़्यादा रहा. उत्तर प्रदेश में भाजपा की इस जीत का श्रेय इसी 'साइलेंट' वोट बैंक को दिया जा रहा है.
हमने इस वोटिंग पैटर्न को समझने के लिए बात की इंडिया टुडे से जुड़ीं मौसमी सिंह से. मौसमी सिंह लंबे समय से कांग्रेस को कवर कर रही हैं. उन्होंने बताया,
"देखिए ऑप्टिक्स के लेवल पर तो उनकी (प्रियंका गांधी की) राजनीति अच्छी थी, लेकिन वो धरातल पर नहीं थी. वो एक बड़े राजनीतिक परिवार से आती हैं, अच्छी वक्ता हैं, तो उनकी सभाओं में भीड़ आती है. उन्होंने सरकार को कई मुद्दों पर घेरा भी है, लेकिन उतना भर काफ़ी नहीं है. आपको संगठन स्तर पर काम करना होगा. अपने संगठन को कॉन्फिडेंस में लेना होगा. एक अच्छी तैयारी करनी होगी.
हां, जहां तक बात है कि लोग कह रहे, कांग्रेस को वैसे भी जीतना नहीं था, तो महिलाओं को देना बस दिखावा है. मैं इस बात से सहमत नहीं हूं. वो पुरुषों को भी टिकट देतीं, तो परिणाम में बहुत अंतर नहीं आता. लेकिन उन्होंने महिलाओं को टिकट देकर एक अलग उदाहरण कायम किया. राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने के तरफ़ ये एक अच्छा क़दम था. वो सेफ भी खेल सकती थीं, लेकिन उन्होंने ये रिस्क लिया."
हमने इंडिया टुडे की सुमना नंदी से भी बात की, जिन्होंने कांग्रेस की हार पर एक ऐनालिटिकल रिपोर्ट
तैयार की है. सुमना ने हमें बताया,
"देखिए, परसेप्शन लेवल पर ये एक अद्भुत कैंपेन था. लेकिन, मेरी समझ और अनुभव में वोटर अभी ऐसे सोचता नहीं है. उसकी थाली में रोटी आ रही है, उतना उसके लिए काफ़ी है. मैंने अपनी रिपोर्ट में भी यही लिखा है. जो बदलाव एक लंबे समय में होने हैं, दिख नहीं रहे हैं, लोग उन्हें सोचकर वोट नहीं देते.
जहां तक बात है महिला उम्मीदवारी की, वो कभी कांग्रेस के विरुद्ध नहीं जाएगी. कांग्रेस ने एक अच्छा कैंपेन बनाया, उसकी मेसेजिंग अच्छी की, लेकिन अभी ऐसे कैंपेन के लिए समय नहीं था."
प्रियंका ने क्या कहा? प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश के जनादेश पर ट्वीट किया. लिखा कि उनके कार्यकर्ताओं और नेताओं ने कड़ी मेहनत की, संगठन बनाया, लोगों के मुद्दों पर लड़ाई लड़ी. लेकिन वे अपनी मेहनत को वोट में तब्दील नहीं कर पाए. प्रियंका ने राजनीतिक फ़ायदे के लिए ऐसा किया, गुड कॉप प्ले करने के लिए या जो भी, वो हमें नहीं पता. लेकिन ये कदम चुनावी गणित बदलने वाला था. हालांकि, इसके वो परिणाम देखने को नहीं मिले, जिसकी उम्मीद कांग्रेस पार्टी और प्रियंका गांधी को थी.

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