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क्या सब्जी बेचने वाले के बेटे को बीजेपी विधायक बनवा पाई?

यूपी विधानसभा उपचुनाव : 11 सीटों में से 9 बीजेपी के पास थी, अब कितनी आ रही हैं?

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इस नतीजे से सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा लेकिन 2022 में होने वाले चुनाव से पहले इसे जनता का मूड क्या है ये पता चल रहा है.
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24 अक्तूबर 2019 (Updated: 24 अक्तूबर 2019, 13:37 IST)
Updated: 24 अक्तूबर 2019 13:37 IST
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महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ ही 21 अक्टूबर को लोकसभा की दो और विधानसभा की 51 सीटों के लिए उपचुनाव हुए थे. दो लोकसभा सीटों में एक सीट महाराष्ट्र की सतारा थी और दूसरी थी बिहार की समस्तीपुर. 51 विधानसभा सीटों में 11 सीटें यूपी की, 4 पंजाब की, 2 हिमाचल की, 3 सिक्किम की, 1 अरुणाचल प्रदेश की, 6 गुजरात की, 1 मेघालय की, 1 पुदुचेरी की,  2तमिलनाडु की, 5 केरल की, 1 तेलंगाना की और 1 ओडिशा की सीट थी. उत्तर प्रदेश की जिन 11 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, उनमें से 9 सीटें बीजेपी के पास थी, जबकि एक-एक सीटें सपा और बसपा के पास थीं. उपचुनाव में 46.66 प्रतिशत मतदान हुआ था. हम आपको एक-एक सीट का हाल बता रहे हैं. रामपुर: यह सीट समाजवादी पार्टी के पास थी. आजम खान यहां से विधायक थे. लेकिन उनके सांसद बन जाने के बाद ये सीट खाली हुई थी. उपचुनाव में आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा उम्मीदवार थीं. अंतिम नतीजे आए तो तंजीन फातिमा बीजेपी के भारत भूषण से 7716  वोटों से जीत चुकी थी. कांग्रेस उम्मीदवार अरशद अली गुड्डू तीसरे नंबर पर और बीएसपी उम्मीदवार जुबैर मसूद खान चौथे नंबर पर हैं. लखनऊ कैंट : 2017 के विधानसभा चुनाव में लखनऊ कैंट सीट से बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी ने जीत दर्ज की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में  रीता बहुगुणा जोशी प्रयागराज से सांसद चुनी गई थीं, जिसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए थे. अंतिम नतीजे आए तो बीजेपी के सुरेश तिवारी सपा के मेजर आशीष चतुर्वेदी से 35,428 वोटों से जीत गए हैं. इस सीट पर बीएसपी के अरुण द्विवेदी और कांग्रेस के दिलप्रीत सिंह ने चुनाव लड़ा था. यहां कांग्रेस तीसरे और बीएसपी चौथे नंबर पर है.जैदपुर : बाराबंकी की जैदपुर सीट पर 2017 में विधानसभा चुनाव हुए, तो बीजेपी के उपेंद्र रावत ने जीत दर्ज की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सिटिंग सांसद प्रियंका रावत का टिकट काटकर उपेंद्र रावत को दे दिया. उपेंद्र जीत गए तो सीट खाली हो गई. अब इस सीट पर उपचुनाव हुए. नतीजे आए तो सपा के गौरव रावत ने बीजेपी के अंबरीश को 4165 वोटों से हरा दिया. कांग्रेस उम्मीदवार तनुज पुनिया तीसरे नंबर पर हैं. बीएसपी उम्मीदवार अखिलेश चार नंबर पर चले गए हैं. गोविंदनगर : 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्यदेव पचौरी कानपुर के सांसद बन गए, जिसके बाद ये सीट खाली हो गई. इसके बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए. अंतिम नतीजों में बीजेपी के सुरेंद्र मैथानी ने कांग्रेस की करिश्मा ठाकुर को 21,244 वोटों से हरा दिया था. सपा के उम्मीदवार सम्राट विकास तीसरे नंबर पर हैं. वहीं बीएसपी के देवी प्रसाद तिवारी चौथे नंबर पर हैं. बढ़त बनाने वाले सुरेंद्र मैथानी 2014 के लोकसभा चुनाव से ही कानपुर उत्तर के जिला अध्यक्ष रहे हैं. 2014 का लोकसभा चुनाव हो, 2017 का विधानसभा चुनाव हो या फिर 2019 का लोकसभा चुनाव, तीनों में जीत दर्ज करवाने में सुरेंद्र मैथानी की अहम भूमिका रही है.प्रतापगढ़ सदर : यूपी में प्रतापगढ़ सदर से 2017 में बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल के संगमलाल गुप्ता ने जीत दर्ज की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने संगमलाल गुप्ता को अपना उम्मीदवार बना दिया और वो जीत गए. सीट खाली हुई तो उपचुनाव हुए. नतीजे आए तो बीजेपी-अपना दल के प्रत्याशी राजकुमार पाल 29,721 वोटों से जीत गए थे. सपा के बृजेश वर्मा पटेल दूसरे नंबर पर हैं. तीसरे नंबर पर है एआईएमआईएम के इसरार अहमद. कांग्रेस के नीरज त्रिपाठी चौथे नंबर पर हैं. मानिकपुर :  बांदा जिले की मानिकपुर सीट 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पास थी. इस सीट से आरके पटेल ने जीत दर्ज की थी. 2019 में आरके पटेल सांसद बन गए तो उपचुनाव हुए. अंतिम नतीजों में बीजेपी के आनंद शुक्ला ने सपा के निर्भय सिंह पटेल  को 12,840 वोटों से हरा दिया था. इस सीट पर बीएसपी ने राजनारायण को उम्मीदवार बनाया था, जो तीसरे नंबर पर हैं. कांग्रेस ने इस सीट से रंजना पांडेय को उम्मीदवार बनाया था, जो चौथे  नंबर पर हैं.बलहा : बहराइच की बलहा सीट सुरक्षित सीट है.  2017 के विधासभा चुनाव में यहां से बीजेपी के अक्षयवर लाल गौड ने जीत दर्ज की थी. 2019 के चुनाव में अक्षयवर लाल सांसद बन गए तो यहां पर उपचुनाव हुए. 21 अक्टूबर को रिजल्ट आए तो बीजेपी की सरोज सोनकर ने सपा की किरन भारती को 46,487 वोटों से हरा दिया था. बीएसपी ने रमेश चंद्र को उम्मीदवार बनाया था, जो तीसरे नंबर पर हैं. कांग्रेस ने मन्नू देवी को चुनावी मैदान में उतारा था. घोसी : मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट से 2017 में जीत दर्ज की थी फागू चौहान ने. बीजेपी ने उन्हें बिहार का राज्यपाल बना दिया, तो सीट पर उपचुनाव हुए. नतीजे आए तो इस सीट पर बीजेपी के विजय राजभर करीब 1773 वोटों से जीते हुए घोषित कर दिए गए. दूसरे नंबर पर हैं सुधाकर जो निर्दलीय उम्मीदवार हैं और उन्हें सपा का समर्थन हासिल है. बीएसपी के कयूम अंसारी तीसरे और कांग्रेस के राजमंगल यादव चौथे नंबर पर हैं. बीजेपी ने इस सीट से जिस विजय राजभर को उम्मीदवार बनाया था, उनके पिता सब्जी बेचते हैं. और अब यूपी की विधानसभा में इस बार सब्जी बेचने वाले का बेटा भी विधायक बनकर पहुंच गया है.जलालपुर : अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट पर 2017 में बीएसपी के रीतेश पांडेय ने जीत दर्ज की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में रीतेश बीएसपी के टिकट पर अंबेडकरनगर लोकसभा का चुनाव जीत गए. सीट खाली हुई तो उपचुनाव हुए. अंतिम नतीजे आए तो सपा के सुभाष राय 790 वोटों से चुनाव जीत गए थे. दूसरे नंबर पर आई हैं बीएसपी की छाया वर्मा.  बीजेपी के राजेश सिंह तीसरे नंबर पर हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के रविकांत चौथे नंबर पर हैं. कांग्रेस के सुनील मिश्रा पांचवे नंबर पर हैं. गंगोह : साल 2017 में सहारनपुर की गंगोह सीट से बीजेपी के प्रदीप चौधरी ने जीत दर्ज की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदीप चौधरी कैराना के सांसद बन गए थे. और फिर वहां उपचुनाव हुए. इस सीट पर बीजेपी ने कीरतपाल सिंह, सपा ने इंद्रसेन, बीएसपी ने इरशाद चौधरी और कांग्रेस ने नोमान मसूद को उम्मीदवार बनाया था. अंतिम नतीजों में बीजेपी के कीरतपाल सिंह ने कांग्रेस के नोमान मसूद को 5419 वोटों से मात दे दी. तीसरे नंबर पर आए समाजवादी पार्टी के इंदर सैनी. बीएपी के मोहम्मद इरशाद चौथी पोजिशन पर आए. इगलास : हाथरस की इगलास  सीट सुरक्षित सीट है. 2017 में इस सीट से बीजेपी के राजबीर सिंह दिलेर जीते थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में राजबीर सिंह सांसद बन गए थे, जिसके बाद वहां उपचुनाव हुआ था. इस सीट से बीजेपी के प्रत्याशी राजकुमार सहयोगी ने बीएसपी के अभय कुमार को 25,937 वोटों से हरा दिया है.  कांग्रेस के उमेश कुमार तीसरे नंबर पर हैं. सपा की सहयोगी पार्टी  राष्ट्रीय लोकदल ने इस सीट से सुमन दिवाकर को उम्मीदवार बनाया था, जिन्हें नोटा से भी कम वोट मिले. 

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