उपेंद्र कुशवाहा की रैली, एजेंडा चिराग और मांझी वाला, क्या बीजेपी-जेडीयू सीट पर मानेंगे?
राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद Upendra Kushwaha ने 3 अगस्त को एलान किया कि उनकी पार्टी 5 सितंबर को Patna के Miller Ground में एक बड़ी रैली आयोजित करेगी. इस रैली के जरिए उपेंद्र कुशवाहा अपनी सियासी शक्ति का प्रदर्शन करेंगे. लेकिन कुछ विश्लेषक इसका असल मकसद कुछ और मान रहे हैं.
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बिहार में चुनावी बिसात बिछने लगी है. एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर रस्साकशी तेज हो गई है. चिराग पासवान (Chirag Paswan) और जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के पैंतरे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. इस लड़ाई में अब उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) भी कूदते नजर आ रहे हैं. 5 सितंबर को पटना में एक रैली के जरिए कुशवाहा अपनी सियासी ताकत दिखाने जा रहे हैं.
राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमा) के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने 3 अगस्त को एलान किया कि उनकी पार्टी 5 सितंबर को पटना के मिलर ग्राउंड में एक बड़ी रैली आयोजित करेगी. उन्होंने बताया कि यह रैली पूरी तरह से संवैधानिक अधिकार और परिसीमन सुधारों को समर्पित रहेगी. इस रैली में राज्य के सभी जिलों से पार्टी के कार्यकर्ताओं का जुटान होने जा रहा है.
पांच सितंबर का दिन क्यों चुना?पांच सितंबर को बिहार में शोषित पीड़ितों के हक की आवाज बुलंद करने वाले कुशवाहा नेता शहीद जगदेव प्रसाद का शहादत दिवस है. इसी अवसर पर रालोमा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा संवैधानिक अधिकार और परिसीमन सुधार रैली करने जा रहे हैं. हालांकि राजनीतिक गलियारों में इस रैली को कुशवाहा वोटों की राजनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है. लेकिन उपेंद्र कुशवाहा इस बात से इनकार करते नजर आए. उन्होंने कहा,
पिछले 50 सालों से कांग्रेस की सरकार ने विधानसभा और लोकसभा परिसीमन पर काम नहीं किया. अगर यह समय पर होता तो आज बिहार में 40 की जगह 60 लोकसभा सीटें होतीं. यह एक तरह से बिहार की हकमारी है. इस अन्याय के विरोध में हमने संवैधानिक अधिकार, परिसीमन सुधार रैली निकालने का निर्णय किया है ताकि बिहार को उसका वाजिब हक मिलता रहे.
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क्या बीजेपी-जेडीयू सीट पर मानेंगे?उपेंद्र कुशवाहा भले ही रैली के चुनावी उद्देश्य से इनकार कर रहे हैं. लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक कुशवाहा चिराग पासवान और जीतनराम मांझी के रास्ते जाते दिख रहे हैं. यानी एनडीए में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए दबाव की राजनीति का सहारा. मौजूदा राजनीतिक हालात भी उनके पक्ष में है.
लोकसभा चुनाव में कुशवाहा वोटर्स की नाराजगी के चलते एनडीए को मगध शाहाबाद क्षेत्र में खासा नुकसान उठाना पड़ा था. ऐसे में गठबंधन उपेंद्र कुशवाहा को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकता. क्योंकि मगध और खासकर शाहाबाद इलाके में कुशवाहा वोटर्स पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है. तो अब देखना ये है कि क्या बीजेपी-जेडीयू कुशवाहा द्वारा मांगी जा रहीं विधानसभा सीटों की संख्या पर सहमत होंगे?
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