The Lallantop
Advertisement

वो नेता, जिन्होंने 6 प्रधानमंत्रियों के साथ कैबिनेट मंत्री के तौर पर काम किया

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन हो गया.

Advertisement
Img The Lallantop
रामविलास पासवान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ. (फाइल फोटो- पीटीआई. )
pic
अनिरुद्ध
8 अक्तूबर 2020 (Updated: 8 अक्तूबर 2020, 17:19 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
विरोधी उन्हें 'मौसम वैज्ञानिक' कहते रहे. मतलब ये कि सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा, वो पहले ही भांप लेने वाले नेता. दिग्गज नेता रामविलास पासवान, जो बिहार की सियासत के रास्ते केंद्र तक पहुंचे. और साल 1969 से 2020 तक यानी 50 साल से ज्यादा रामविलास पासवान किसी न किसी पद पर रहे.
वे साल 69 में पहली बार विधायक बने थे. फिर 77 में हाजीपुर से सांसद बने. और मोरारजी भाई देसाई की जनता पार्टी सरकार का हिस्सा रहे. तब से गंगा में न जाने कितना पानी बह गया. मगर पासवान की सियासत के दरख्त न हिले, न डुले. मोदी सरकार में 30 मई, 2019 को उन्होंने दोबारा बतौर कैबिनेट मंत्री शपथ ली.
रामविलास पासवान के बारे में
1- पासवान ने अब तक 6 प्रधानमंत्रियों के साथ कैबिनेट मंत्री के तौर पर काम किया. 2- पासवान वीपी सिंह, एचडी देवेगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की कैबिनेट की शोभा बढ़ा चुके हैं. 3- साल 1969 से विधायक के तौर पर राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की. विधायक संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से बने. 4-साल 1975 में इमरजेंसी की घोषणा के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया. इमरजेंसी का पूरा वक्त जेल में बीता. 1977 में उन्हें जेल से रिहा किया गया. 5-1977 में जनता पार्टी की सदस्यता ली. फिर हाजीपुर लोकसभा सीट से रिकॉर्ड मत से जीतकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉड में अपना नाम दर्ज कराया. 6- राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. जनता पार्टी, लोकदल, जनता दल, समता पार्टी और जनता दल यू में रहने के बाद 28 नवंबर, 2000 को दिल्ली में लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया. 7-1989 में जीत के बाद वीपी सिंह की कैबिनेट में पहली बार शामिल किए गए. उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया. 8-एक दशक के भीतर ही वे एचडी देवगौड़ा और आईके गुजराल की सरकारों में रेल मंत्री और संचार मंत्री बने. 9-इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें कोयला मंत्री बनाया गया.
रामविलास पासवान. फाइल फोटो.
रामविलास पासवान. फाइल फोटो.

वाजपेयी सरकार से बाहर क्यों आए?
साल 2002 के गुजरात दंगों के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से रामविलास पासवान ने इस्तीफा दे दिया. कहा जाता है कि यहां भी पासवान का रणनीतिक दांव था. उनको सरकार में किनारे कर दिया गया था. मतलब ये कि वाजपेयी सरकार में उनकी पूछ-परख ज्यादा नहीं थी. इस वजह से करीब 6 महीने से वे सरकार से बाहर निकलने का मौका तलाश रहे थे. अचानक गुजरात में सांप्रदायिक दंगे हो गए. पासवान के लिए ये सरकार से बाहर निकलने का बेहतर मौका लगा. और वे इस्तीफा देकर शहीद की मुद्रा में इस्तीफा देकर बाहर आ गए.
कांग्रेस की तरफ क्यों गए?
एनडीए छोड़कर पासवान कांग्रेस की अगुवाई वाले यूपीए की ओर चले गए. उस वक्त राजनीति में अपनी अहमियत बनाए रखने के लिए ऐसा करना पासवान के लिए जरूरी थी. दो साल बाद ही कांग्रेस की अगुवाई में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. पासवान मनमोहन सरकार में रसायन और उर्वरक मंत्री बनाए गए. यूपीए-2 सरकार के दौर में कांग्रेस के साथ उनके रिश्ते बिगड़ गए. उसकी वजह ये थी कि 2009 के चुनाव में उनकी पार्टी चुनाव हार गई थी. उनका एक भी सांसद नहीं चुना गया था. पासवान खुद भी हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव हार गए थे. पर अगले ही साल लालू प्रसाद यादव ने उऩको राज्यसभा भेज दिया.
फिर से मोदी के पाले में क्यों गए?
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और नीतीश कुमार के बीच तनाव था. नीतीश, नरेंद्र मोदी के कड़े आलोचक थे. ऐसे में बिहार में मोदी को एक बड़े समर्थक की जरूरत थी. मोदी और शाह की जोड़ी ने पासवान को फौरन अपने साथ जोड़ लिया. एनडीए ने 2014 के चुनाव में बिहार में पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी को लड़ने के लिए 7 सीटें दीं. पासवान, उनके बेटे चिराग और भाई रामचंद्र को चुनाव में सफलता मिली. मोदी प्रधानमंत्री बने, तो पासवान को खाद्य और उपभोक्ता मामलों का मंत्री बनाया गया. पासवान मोदी के करीबी तब भी बने रहे, जब मोदी सरकार पर दलितों के उत्पीड़न के आरोप लगे. मंत्री के तौर पर पासवान ने जन वितरण प्रणाली में सुधार किया. दाल और चीनी के संकट का प्रभावी तरीके से समाधान किया.
2019 में मंत्री क्यों बनाए गए
पासवान 2019 में लोकसभा का चुनाव नहीं लड़े थे. चुनाव के ऐलान से पहले ही भाजपा नेतृत्व ने चुनाव न लड़ने के लिए मना लिया था. उनकी पार्टी को 6 लोकसभा सीटें चुनाव लड़ने के लिए दी गई थीं. उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवार चुनाव जीते हैं. पासवान के छोटे भाई और बिहार सरकार में मंत्री पशुपति कुमार पारस हाजीपुर से जीते. बेटा चिराग पासवान जमुई से सांसद बने.
कुछ और फैक्ट
1-पासवान का जन्म 5 जुलाई, 1946 को बिहार के खगड़िया जिले के शाहरबन्नी गांव में अनुसूचित जाति परिवार में हुआ था. 2-शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव में हुई. लॉ ग्रेजुएट और मास्टर ऑफ आर्ट्स किया. 3-छात्र राजनीति में सक्रिय रहे. फिर बिहार पुलिस में नौकरी की. 4-पहली शादी 1960 में खगड़िया की राजकुमारी देवी से हुई. 1981 में उन्होंने राजकुमारी को तलाक दे दिया. उनसे उनकी दो बेटियां हैं- उषा और आशा. 5-पासवान ने दूसरी शादी 1983 में अमृतसर की रहने वाली एयर होस्टेस और पंजाबी हिंदू रीना शर्मा से की. उनसे एक बेटा और बेटी है. बेटा चिराग पासवान भी राजनीति में हैं. 6-राजनारायण और जयप्रकाश नारायण को अपना आदर्श माना. छात्र जीवन में जेपी के समाजवादी आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.


वीडियोः जमुई के पूर्णा खैरा गांव के लोगों ने बताया, कागज़ पर खर्च हो गए बांध के दो करोड़ रुपये

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement