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पंजाब की वे समस्याएं, जिनके आगे AAP की दिल्ली वाली दलीलें नहीं चलेंगी

AAP के आगे पंजाब में 'दिल्ली मॉडल' लागू करने की चुनौती होगी.

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(दाएं से बाएं) आप नेता भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल.
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धीरज मिश्रा
11 मार्च 2022 (Updated: 11 मार्च 2022, 12:35 PM IST) कॉमेंट्स
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पंजाब चुनाव में प्रचंड बहुमत लाकर आम आदमी पार्टी (AAP) ने एक नई इबारत लिख दी है. राज्य में कई दावेदार होने के बावजूद AAP 92 सीटें जीतने में कामयाब रही है. दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस को 18 सीटें और तीसरे नंबर पर रहे अकाली दल को तीन सीटें मिली हैं. ये स्थिति दिल्ली विधानसभा चुनाव जैसी ही दिखती है, जिसमें 70 में से 62 सीटों पर AAP ने ही जीत हासिल की थी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने 'दिल्ली मॉडल' के नाम पर चुनाव प्रचार किया और पंजाब की जनता के सामने कई बड़े वादे रखे. हालांकि इस प्रचंड जीत के साथ अब AAP के सामने बड़ी चुनौतियां आने वाली हैं, क्योंकि पंजाब और दिल्ली में काफी अंतर है.
भगवंत मान पंजाब के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. क्या वो अरविंद केजरीवाल की आभा से बाहर निकल पाएंगे? (फ़ोटो: Twitter/PTI)
भगवंत मान पंजाब के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं. क्या वो अरविंद केजरीवाल की आभा से बाहर निकल पाएंगे? (फ़ोटो: Twitter/PTI)

कैसी चुनौतियां?

दिल्ली पूरी तरह शहरी क्षेत्र है, जहां मतदाताओं की जरूरतें और समस्याएं बिल्कुल अलग हैं. वहीं पंजाब का अधिकतर क्षेत्र ग्रामीण है, जहां पार्टी को अलग तरह से डील करना पड़ेगा. दूसरे शब्दों में कहें तो पंजाब में 'दिल्ली मॉडल' की परीक्षा होनी अभी बाकी है.
पंजाब में सरकार बनाने के बाद पहली बार किसी राज्य की पुलिस AAP के अधीन होगी, इसलिए कानून-व्यवस्था बिगड़ने य़ा अपराधों के मामले में पार्टी 'पुलिस हमारे पास नहीं है' वाली दलील देकर बच नहीं पाएगी. AAP को राज्य में बेअदबी, शराब और खनन माफिया, ड्रग्स, बॉर्डर संबंधी संकट, भूजल, रोजगार, कृषि संकट जैसी कई बड़ी समस्याओं और मुद्दों से जूझना होगा.
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पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 परिणाम.

पंजाब में शिक्षा की स्थिति काफी दयनीय बनी हुई है. ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत कम हैं. वहां अस्पताल ग्रामीण क्षेत्रों से काफी दूर हैं. लोगों की उन तक पहुंच आसान नहीं है. स्टाफ और अन्य मेडिकल सुविधाओं की भी काफी कमी है. दिल्ली की AAP सरकार अपने स्वास्थ्य सुविधाओं का खूब बखान करती रही है. राजधानी में उसने मोहल्ला क्लीनिक और अस्पताल खोलकर स्वास्थ्य व्यवस्था की पहुंच बढ़ाने का दावा किया है. पंजाब में पार्टी के सामने यही बड़ी चुनौती होगी कि वो वहां किस तरह स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक कर पाएगी.
पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि से जुड़े कई मामले काफी जटिल बताए जाते हैं. कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) जैसी पार्टियां कई सालों तक सत्ता में रहने के बाद भी इन मामलों का समाधान नहीं कर पाईं. संभवत: ये एक बड़ी वजह है कि राज्य की जनता ने 'बदलाव' की आस में AAP को चुना है.
 

राज्य में कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर आरोप लगते थे कि वो बादल खेमे पर अलग-अलग मामलों में लगे आरोपों को लेकर नरमी बरतती थी. इससे ये धारणा बनी कि कांग्रेस और अकाली एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. राज्य भर में ये संदेश गूंज रहा था कि दो पार्टियां ही पिछले 70 सालों से शासन कर रही हैं, लेकिन मूलभूत परिवर्तन नहीं आया, इसलिए समय आ गया है कि किसी और पार्टी को मौका दिया जाए.
जाहिर है कि अब AAP सरकार को इस धारणा को सही साबित करना होगा और हाई-प्रोफाइल मामलों पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी.
इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को युवाओं और महिलाओं का काफी समर्थन मिला है, जो 'सिस्टम में बदलाव' चाहते हैं. AAP ने अपने चुनावी घोषणापत्र में महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये देने का वादा भी किया था. सरकार बनाने जा रही AAP से इस पूरे वोट बैंक की उम्मीदें काफी ज्यादा होंगी, जो परिवर्तन के लिए इंतजार कर रहा है.

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