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ओवैसी ने कभी नहीं कहा, "चाय वाले, इतना मारूंगा कि कान से खून निकलने लगेगा"

असल में क्या कहा था जिसे लोगों ने 'मारना' समझा?

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मुबारक
4 दिसंबर 2018 (Updated: 4 दिसंबर 2018, 11:50 AM IST) कॉमेंट्स
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अकबरुदुद्दीन ओवैसी. AIMIM के फायरब्रांड नेता. पंद्रह मिनट वाले ओवैसी के नाम से मशहूर. एक बार फिर से ख़बरों में हैं. उनका एक और बयान वायरल हो रहा है. बयान भी और उसमें एक्स्ट्रा लगाया गया तड़का भी. फेसबुक, ट्विटर पर रैंडम सर्च करने भर से आपको ओवैसी साहब का एक महावायरल स्टेटमेंट मिल जाएगा. कई मीडिया हाउसेस तो इसपर ख़बरें भी कर चुके हैं. बयान के मुताबिक़ अकबरुद्दीन ओवैसी ने नरेंद्र मोदी से कहा,
"चाय वाले, इतना मारूंगा कि कान से खून निकलने लगेगा."
कितनी ऑफेंसिव बात! सुनते ही किसी भी समझदार इंसान का मन वितृष्णा से भर जाए. वो बोले, 'क्या बकवास है यार!' हकीकत में भी ये बकवास ही है. अकबरुद्दीन ओवैसी ने ऐसा कहा ही नहीं है. अपनी उस लंबी तक़रीर में उन्होंने बहुत कुछ बोला है, सिवाय इस एक बात के.
एक नमूना ये रहा,
ऐसी बहुत सी पोस्ट्स आपको फेसबुक पर मिल जाएंगी.
ऐसी बहुत सी पोस्ट्स आपको फेसबुक पर मिल जाएंगी.

ओवैसी का बयान कुछ यूं था,
"चाय वाले, हमें मत छेड़, चाय-चाय चिल्लाते हो, याद रखो इतना बोलूंगा-इतना बोलूंगा कि कान में से पीप निकलने लगेगा, खून निकलने लगेगा."
आप खुद देख लीजिए वीडियो:

बेसिकली बोलने की बात थी, मारने की नहीं. जिसे झूठ की खेती करने वाले ले उड़े और मिर्च-मसाला झोंक कर परोस दिए.
साइबेरिया में जब तापमान बहुत नीचे गिर जाता है, वहां के पंछी कुछ समय के लिए अपना मुल्क छोड़ देते हैं. भारत में ऐसा इंसानों को करना चाहिए. ख़ास तौर से चुनावी मौसम में. चुनावी रुत में इंडिया में भी बहुत कुछ तेज़ी से नीचे गिरता है. जैसे राजनीति का स्तर, भाषाई मर्यादा और बेसिक नैतिकता का सेंसेक्स. हालात कुछ ऐसे हैं कि चुनावों से जस्ट पहले के एक-दो महीने तमाम समंजस भारतीयों का मंगल ग्रह पर जाकर रहने की सलाह देने का मन करता है.
akbaruddin-owaisi

अनर्गल बयानबाज़ी भी एक पैटर्न से होती है अपने यहां.
# पहले कोई एक नेता वाहियात बयान देता है. समर्थक एक मैडल की तरह उसे प्रदर्शनी में रख देते हैं. # उसके जवाब में दूसरी तरफ से और भी घटिया बयान आता है. इस बार दूसरी तरफ की जनता लहालोट हो जाती है. # कभी-कभी इस बाईलेटरल मुकाबले को जनता ट्राइएंगुलर भी बना देती है. अपनी तरफ से मसाला झोंक कर झूठ का गुब्बारा आसमान में छोड़ देती है.
ताज़ा मामले में ऐसा ही कुछ हुआ है.
तेलंगाना में पहले योगी आदित्यनाथ ने एक बेतुका बयान दिया. कहा कि अगर हम सत्ता में आए ओवैसी को हैदराबाद के निजाम की तरह देश छोड़कर भागना पड़ेगा. क्यों साहब! क्यों भागे कोई भारतीय नागरिक अपना मुल्क, अपनी ज़मीन छोड़कर? आप सत्ता में ख़ुशी से आएं. जो जनता आपको सत्ता में लाए, उसके लिए आप काम करें. अपना काम छोड़कर किसी को भगाने में आपको इतना इंटरेस्ट क्यों है? वो कीजिए न जिसके लिए आपको चुना गया है.
योगी आदित्यनाथ.
योगी आदित्यनाथ.

उधर जवाबी हमले में ओवैसी साहब ने भले ही मारने वाली बात न की हो, सुर तो उनका भी हद दर्जे का ऑफेंसिव था. चाहे योगी आदित्यनाथ के कपड़ों पर टिप्पणी हो या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बार-बार चाय वाला कहना. अकबरुद्दीन ओवैसी को भी ये समझ लेना चाहिए कि मंच से सिर्फ दहाड़कर जनता का या उनकी ज़ुबान में कौम का कोई भला नहीं होने वाला. पहले ही उनकी एक वाहियात स्पीच में इस मुल्क की रगों में पर्याप्त ज़हर भर रखा है. वो ही झिल नहीं रहा.
अब रही बात उन अंधे समर्थकों की जो हर कान ले उड़ने वाली अफवाह पर कौवे के पीछे दौड़ लगाते हैं. झूठी ख़बरें न सिर्फ खुद कंज़्यूम करते हैं बल्कि उन्हें वायरल करके गंदी राजनीति करने वालों के हाथ मज़बूत करते हैं. या तो इस समझदार बनिए, इस सर्कस का हिस्सा बनने से इंकार कीजिए या मंगल ग्रह पर जाकर रहिए. फैसला आपका. नमस्ते.


वीडियो:

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