अब मांझी ने NDA में तेवर दिखाए, 15 सीटें मांगी, बोले- नहीं मिली तो 100 पर चुनाव लड़ेंगे
Jitan Ram Manjhi ने Hindustani Awam Morcha(Secular) को राज्य स्तरीय दल का दर्जा दिलाए जाने के लिए संभावित रास्तों पर बात की है.

हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्यूलर) के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने बिहार विधानसभा चुनाव में 15 सीटों पर दावा ठोक दिया है. उनका मानना है कि उनकी पार्टी की स्थापना के 10 साल बाद भी राज्य स्तरीय दल का दर्जा हासिल न कर पाना, अपमानजनक है. इसलिए बिहार चुनाव, 2025 उनकी पार्टी के लिए करो या मरो की स्थिति है. ऐसे में उन्होंने अपनी पार्टी के लिए एनडीए गठबंधन में कम से कम 15 सीट दिए जाने की मांग की है. उन्होंने साफ किया कि ऐसा न करने पर उनकी पार्टी अकेले मैदान में उतरेगी और 100 सीटों तक पर चुनाव लड़ सकती है.
केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि उनका मकसद किसी भी हाल में राज्य स्तरीय दल पार्टी की मान्यता हासिल करना है. इसके लिए जरूरी है कि पार्टी को कम से कम आठ सीटों पर जीत हासिल हो या कुल मतों का छह प्रतिशत वोट मिले. व्यावहारिक तौर ऐसे तभी संभव है, जब HAM को एनडीए गठबंधन 15 सीटें दे. क्योंकि सारी लड़ी हुई सीटों पर जीत तो संभव नहीं होता.
जीतनराम मांझी ने दावा किया कि हर विधानसभा क्षेत्र में उनके 10-15 हजार वोटर मौजूद हैं और इस आधार पर वो चुनाव में अकेले भी छह प्रतिशत वोट हासिल कर लेंगे. उन्होंने एनडीए में अपनी ताकत को लेकर भी बड़ा दावा किया. कहा कि उनकी पार्टी बिना पैसा खर्च किए भीड़ जुटा लेती है. जबकि दूसरी पार्टियां पैसे के दम पर भीड़ बुलाती है. उनका कहना था कि ये बात एनडीए के नेता भी जानते हैं.
जीतनराम मांझी के इस बयान के बाद सवाल उठे कि क्या एनडीए गठबंधन टूट जाएगा. इसका जवाब देते हुए खुद जीतनराम ने ही बाद में कहा,
हमने एक बात कह दी है, हमारे पास दो विकल्प हैं. हम एनडीए के साथ हैं और हमें पूरा विश्वास है कि हमें जितनी सीटें चाहिए उतनी मिलेंगी. पहला विकल्प है कि हमें निर्धारित संख्या में सीटें मिलें. और दूसरा विकल्प 100 सीटों पर चुनाव लड़ना हो सकता है, जो कि अंतिम विकल्प है और ऐसा होने की संभावना नहीं है.
बताते चलें, साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसे लेकर सभी पार्टियों सीटों के लिए अलग-अलग तरह से शक्ति-प्रदर्शन कर रही हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में जीतन राम मांझी की 'हम' को पांच सीटें मिली थीं. जिसमें से चार पर उन्होंने जीत दर्ज की थी. उनके बयान से साफ है कि सीट बंटवारे को लेकर एनडीए की राह आसान नहीं होने वाली है. क्योंकि चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा भी सीटों को लेकर समझौते के मूड में नहीं दिख रहे हैं.
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