मांझी और कुशवाहा तो नाराज़गी दिखा ही रहे थे, JDU ने BJP को बिना बताए ये गेम कर दिया!
बिहार चुनाव को लेकर सीट बंटवारे के बाद NDA में कुश्ती जारी है. उपेंद्र कुशवाहा और मांझी तो नाराज थे ही. इधर भाजपा से बातचीत के बीच में ही नीतीश कुमार ने पार्टी के नेताओं को सिंबल भी बांट दिए.

‘आज बादलों ने फिर साजिश की, जहां मेरा घर था वहीं बारिश की.’ उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में अकेले नहीं हैं जिनको ऐसी कविता सूझ रही है. ‘दुख-दर्द, पीड़ा-परेशानी’ हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी को भी है, जो 6 सीटें पाकर भाजपा को ‘नतीजा भुगतने का शाप’ दे रहे हैं. लेकिन असली खेल तो नीतीश कुमार की JDU ने किया है. एनडीए में अभी तक बस सीटें बंटी हैं. किसको कौन सी सीट मिली है, ये तय नहीं हुआ. बातचीत चल ही रही थी कि नीतीश कुमार ने अपने घर बुलाकर पार्टी के नेताओं को सिंबल बांटना शुरू कर दिया. खबर है कि अनंत सिंह, उमेश सिंह कुशवाहा समेत कई नेताओं को नीतीश ने सिंबल सौंप दिए हैं.
सवाल, NDA के भीतर इस चौतरफा ‘कबड्डी’ में दांव मारने की ऐसी होड़ है कि पता ही नहीं चल रहा कि मुकाबला महागठबंधन ‘से’ है या इनके अपने गठबंधन ‘में’ है? क्योंकि मान तो बीजेपी नेता भी नहीं रहे हैं. गिरिराज सिंह ने बिना नाम लिए चिराग को 'छेड़' दिया. पासवान 29 सीटें खींचकर संतुष्ट थे गिरिराज सिंह ने तंज कस दिया. अब सवाल ये उठ रहा है कि NDA में सीट बंटवारे का ऐलान तो हो गया लेकिन खींचतान अभी खत्म नहीं हुई है.
बिहार विधानसभा में भाजपा और जेडीयू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी जबकि चिराग पासवान की पार्टी LJP (R) को 29 सीटें दी गई हैं. जीतनराम मांझी की HAM और उपेंद्र कुशवाहा की RLM को 6-6 सीटें मिली हैं. लेकिन जबरदस्त माथापच्ची के बाद गठबंधन में सीट बंटवारा हो तो गया लेकिन इससे संतुष्ट कौन-कौन है, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया रहा.
चिराग की पार्टी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की 5 की 5 सीटों पर जीत का खूब ‘डंका’ बजाया. 100 परसेंट के स्ट्राइक रेट के स्कोर की दलील देकर सीटों को लेकर अपनी मांगें भी मनवा लीं. तो अब उन्हें भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आईना दिखा दिया कि स्ट्राइक रेट तो उनकी पार्टी के बराबर किसी का नहीं. एक्स पर अपनी पोस्ट में गिरिराज ने चिराग का नाम भले नहीं लिया. लेकिन भाजपा और जेडीयू का साल 2010 का स्ट्राइक रेट दिखाकर जवाब सीधा उन्हीं के पते पर भेज दिया है. उन्होंने लिखा,
आज मजबूत सीट लेकर स्ट्राइक रेट का झुनझुना बजा रहे हैं. ये होता है असली स्ट्राइक रेट. 2010 के बिहार चुनाव में एनडीए ने इतिहास रचा था. 243 में से जीती थीं 206 सीटें. जेडीयू ने 141 में से 115 सीटें जीतीं. स्ट्राइक रेट 81 प्रतिशत. बीजेपी ने 102 में से 91 सीटें जीतीं. स्ट्राइक रेट 89 प्रतिशत. इतनी प्रचंड जीत बिहार की राजनीति में फिर कभी नहीं दोहराई गई. तब भी धर्मेंद्र प्रधानजी प्रभारी थे आज भी प्रभारी हैं.
पहले आपको लगेगा कि गिरिराज सिंह ने किसी विरोधी दल के लिए ये पोस्ट लिखी है लेकिन जो लोग बिहार की राजनीति को देख-समझ रहे हैं, वो जानते हैं कि ‘100 फीसदी की स्ट्राइक रेट’ का दावा किसका था और ये ‘बाण’ किस पर मारा गया है.

सीट बंटवारे के बाद सबसे ज्यादा नाराजगी जिसकी दिख रही है वो उपेंद्र कुशवाहा हैं. वो तो इस दर्द में ‘कवि’ हो गए. 13 अक्टूबर को उन्होंने ‘एक्स’ पर एक कविता लिखी, जिसके बोल थे कि किसी ‘बादल’ ने उनके साथ साजिश कर दी और जहां पर उनका घर था, ‘बारिश’ वहीं पर कर दी. लेकिन कुशवाहा इतने पर भी खूब आशा से भरे हैं. उनकी कविता की अगली दो पंक्तियां यही दिखाती हैं, जिसमें वह कहते हैं,
अगर फलक को जिद है बिजलियां गिराने की,
तो हमें भी जिद है वहीं पर आशियां बसाने की.
ये भी हो सकता है कि कुशवाहा की तकलीफ ‘बारिश’ की न होकर ‘सूखे’ को लेकर हो. क्योंकि पहले भी कहा जा रहा था कि अगर चिराग सीट बंटवारे पर संतुष्ट नहीं होंगे तो कुशवाहा और जीतनराम मांझी की सीटें ही कटेंगीं. उनके हिस्से की बारिश ही चिराग पर बरसेगी. शायद यही हुआ हो.

तभी तो जीतनराम मांझी भी तकलीफ में हैं. सीट बंटवारे की घोषणा के बाद उनके जो पहले शब्द थे वो थे तो ये कि ‘आलाकमान ने जो निर्णय लिया वह सर आंखों पर है.’ लेकिन इसमें ‘लेकिन’ लगाकर वह एक वाक्य और जोड़ गए, जिसमें उनकी तकलीफ भी झलकती है. मांझी ने कहा
6 सीट देकर हमारे महत्व को कम आंका गया है. ऐसे में हो सकता है एनडीए को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़े.
आजतक के मुताबिक जीतनराम मांझी ने शुरुआत में 40 सीटों की डिमांड रखी थी. बाद में 20 और फिर अंत में 15 सीटों की मांग कर रहे थे. इस समय तक वह भी कविता करने लगे थे और दिनकर की भाषा में 'दो न्याय अगर तो आधा दो..' का पाठ करते ‘15 ग्राम’ यानी 15 सीटों की मांग कर रहे थे. हालांकि राष्ट्रीय लोक मोर्चा की तरह उन्हें भी 6 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा.
अब आते हैं अंतिम 'दांव-पेच' पर. जो 13 अक्टूबर की शाम को नीतीश कुमार ने चला है.
नीतीश ने बांटे सिंबलइंडिया टुडे से जुड़े शशि की रिपोर्ट के मुताबिक, एनडीए में पार्टियों को सीटों के नाम निर्धारित नहीं हुए थे, इससे पहले ही जेडीयू ने अपने कुछ उम्मीदवारों को सिंबल बांट दिया. सीएम नीतीश कुमार ने अपने आवास पर बुलाकर विधानसभा चुनाव के लिए नेताओं को सिंबल दे दिए. इस दौरान उनके साथ ललन सिंह और संजय झा भी मौजूद थे. रिपोर्ट के मुताबिक, जिन उम्मीदवारों को जेडीयू ने अब तक सिंबल दिया, उनमें प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा, मंत्री सुनील कुमार, जमालपुर से उम्मीदवार शैलेश कुमार, पूर्व मंत्री दामोदर रावत, मंत्री रत्नेश सादा और अनंत सिंह को सिंबल दिए गए हैं. हालांकि, अनंत सिंह CM आवास पर सिंबल लेने नहीं गए. यह काम उनके एक प्रतिनिधि ने किया.
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