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बीजेपी-कांग्रेस के बीच गुजरात में एक सीट सपा भी जीत गई

कांधलभाई जाडेजा सपा से विधायक बने हैं.

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कुतियाणा से विधायक कांधलभाई जाडेजा और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव.(फोटो- आजतक)
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सौरभ
8 दिसंबर 2022 (Updated: 8 दिसंबर 2022, 20:58 IST)
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गुजरात में एक ऐसी सीट है जो ना तो बीजेपी ने जीती, ना कांग्रेस और ना ही आम आदमी पार्टी ने. आप सोच रहे होंगे कि इसमें नई बात क्या है. निर्दलीय तो हर जीतते हैं. लेकिन बात ये है कि यहां निर्दलीय भी नहीं जीते हैं. गुजरात की कुतियाना सीट पर जीत दर्ज की है समाजवादी पार्टी के कांधलभाई जाडेजा ने.

कुतियाना में कांधलभाई ने बीजेपी की ढ़ेली बेन को 26,712 वोटों से हरा दिया है. कांधलभाई को 60,744 वोट मिले. दूसरे नंबर पर रहीं ढ़ेली बेन को 34 हजार वोट मिले. कांग्रेस के भूरा भाई ओडदरा 9 हजार वोट भी नहीं जुटा पाए.

कौन हैं कांधलभाई जाडेजा?

कांधलभाई इस सीट पर लगातार दो बार से जीतते रहे है. इससे पहले वो शरद पवार की पार्टी से NCP से के टिकट पर चुनाव लड़ते थे. लेकिन इस बार कांग्रेस और NCP के बीच गठबंधन हुआ और कुतियाना की सीट कांग्रेस के खाते में गए. यही वजह रही कि कांधलभाई ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और गुजरात में अखिलेश यादव की पार्टी का खाता खुल गया.

कांधलभाई जाडेजा का करेक्टर बहुत इंट्रस्टिंग है. मावा खाने के शौकीन है. डायरो (गीत संगीत का कार्यक्रम) में कई बार बेफिक्र अंदाज में लाखों रुपये उड़ाते नजर आते हैं.

कांधलभाई की छवि आपराधिक प्रवृत्ति की रही है. बताया जाता है कि जाडेजा के पिता की भी हत्या की गई थी. आरोप है कि हत्या का बदला लेने के लिए उनकी मांसंतोकबेन ने 14 लोगों की हत्या करवा दी थी.

सीट का इतिहास

इस सीट से कांधलभाई जाडेजा की मांग संतोक बेन 1990 में विधायक रह चुकी हैं. उन्हें गॉडमदर के नाम से जाना जाता है. उनके ऊपर फिल्म भी बन चुकी है.
इस सीट पर बीजेपी ने भी दो बार जीत दर्ज की है. मगर पिछली दो बार कांधल भाई जाडेजा अपने रसूख के दम पर जीतते आ रहे हैं.

कुतियाना में कांग्रेस के उम्मीदवार भूरा भाई आडोदरा भी काफी चर्चित रहे हैं. गरीब परिवेश से आने वाले भूरा भाई ने रिक्शा भी चलाया है. लेकिन अपनी गरीबी का असर उन्होंने अपने बच्चों पर नहीं पड़ने दिया. उन्होंने अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा दी. उनकी बेटी पायलट हैं. और इस चुनाव में कनाडा से आकर उन्होंने अपने पिता के लिए प्रचार भी किया.

वीडियो: गुजरात चुनाव के नतीजों से पहले ही राष्ट्रीय पार्टी बन गई AAP? वायरल पोस्टर कितना सही?

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