The Lallantop
Advertisement
  • Home
  • Election
  • election result 2025 live updates bihar vidhan sabha chunav parinam Role Of EVM In Elections

कैसे काम करती है EVM, कैसे चुने जाते हैं कैंडिडेट, जान लीजिए EVM की पूरी कहानी

Bihar Election Results 2025: EVM का ईजाद और इस्तेमाल कब शुरू हुआ, बैलट पेपर से कैसे अलग है EVM, पहली बार चुनावों में कब इस्तेमाल हुआ? EVM से जुड़े हर सवाल का जवाब मिलेगा यहां. पढ़िए पूरी खबर.

Advertisement
election result 2025 live updates bihar vidhan sabha chunav parinam Role Of EVM In Elections
फाइल फोटो- PTI
pic
रिदम कुमार
14 नवंबर 2025 (Updated: 14 नवंबर 2025, 07:01 AM IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

बिहार चुनाव के नतीजे आज यानी शुक्रवार 14 नंबर को साफ हो जाएंगे. चुनाव कोई भी पार्टी या गठबंधन जीते, लेकिन EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को कोसने की परंपरा जारी ही रहती है. हारने वाले प्रत्याशी अक्सर अपनी हार का ठीकरा इसी EVM पर फोड़ते हैं. ऐसे में हम आपको इस मशीन से जुड़ी 15 खास बातें बता रहे हैं. 

1. क्या होती है EVM?

EVM का मतलब है इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन. साधारण बैटरी पर चलने वाली एक ऐसी मशीन, जो मतदान के दौरान डाले गए वोटों को रिकॉर्ड करती है और वोटों की गिनती भी करती है.

2. EVM के कितने हिस्से होते हैं?

ये मशीन तीन हिस्सों से बनी होती है. एक होती है कंट्रोल यूनिट (CU), दूसरी बैलेटिंग यूनिट (BU). ये दोनों मशीनें पांच मीटर लंबी एक तार से जुड़ी होती हैं. और तीसरा हिस्सा होता है VVPAT. बैलेटिंग यूनिट वो हिस्सा होता है, जिसे वोटिंग कंपार्टमेंट के अंदर रखा जाता है और बैलेटिंग यूनिट को पोलिंग ऑफिसर के पास रखा जाता है.

3. बैलट पेपर से कैसे अलग है EVM? 

EVM से पहले जब बैलट पेपर के जरिए वोटिंग होती थी, तब इलेक्शन ऑफिसर वोटर को कागज का मतपत्र दिया करते थे. फिर वोटर, वोटिंग कंपार्टमेंट में जाकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के आगे मुहर लगा देते थे. फिर इस मतपत्र को मतपेटी में डाल दिया जाता था. लेकिन EVM की व्यवस्था में  कागज और मुहर का इस्तेमाल नहीं होता.

4. EVM का ईजाद और इस्तेमाल कब शुरू हुआ?

दुनिया के अलग-अलग देशों में कई तरह की वोटिंग मशीनें प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल की जाती रही हैं. हालांकि, उनका स्वरूप भारत में इस्तेमाल की जाने वाली EVM से अलग रहा है. भारत में इस्तेमाल होने वाली मशीन को डायरेक्ट रिकॉर्डिंग EVM (DRE) कहा जाता है.चुनाव आयोग के मुताबिक, भारत में वोटिंग के लिए मशीन इस्तेमाल करने का विचार सबसे पहले साल 1977 में सामने आया था.

तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त एस. एल. शकधर ने इन्हें इस्तेमाल करने की बात की थी. उस समय इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद को EVM डिजाइन और विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई थी.

यह भी पढ़ेंः बिहार चुनाव के नतीजों की सबसे विश्वसनीय कवरेज लाइव देखने के लिए क्लिक करें.

1979 में EVM का एक शुरुआती मॉडल विकसित किया गया, जिसे 6 अगस्त 1980 में चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के सामने प्रदर्शित किया. बाद में बेंगलुरु की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) को भी EVM विकसित करने के लिए चुना गया.

5. पहली बार चुनावों में कब इस्तेमाल हुआ?

भारत में चुनावों में पहली बार EVM का इस्तेमाल साल 1982 में हुआ था. केरल विधानसभा की पारूर सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान बैलेटिंग यूनिट और कंट्रोल यूनिट वाली EVM इस्तेमाल की गई. लेकिन इस मशीन के इस्तेमाल को लेकर कोई कानून न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने उस चुनाव को खारिज कर दिया था.

इसके बाद, साल 1989 में संसद ने लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन किया और चुनावों में EVM के इस्तेमाल का प्रावधान किया. इसके बाद भी इसके इस्तेमाल को लेकर आम सहमति बनी साल 1998 में. तब मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की 25 विधानसभा सीटों में हुए चुनाव में इसका इस्तेमाल हुआ. बाद में साल 1999 में 45 सीटों पर हुए चुनाव में भी EVM इस्तेमाल की गई. फरवरी 2000 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान 45 सीटों पर EVM का इस्तेमाल हुआ.

मई 2001 में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनावों में सभी सीटों में मतदान दर्ज करने के लिए EVM इस्तेमाल हुईं. उसके बाद से हुए हर विधानसभा चुनाव में EVM इस्तेमाल होती आ रही हैं. 2004 के आम चुनावों में सभी 543 संसदीय क्षेत्रों में मतदान के लिए 10 लाख से ज़्यादा EVM इस्तेमाल की गई थीं.

6. एक EVM से अधिकतम कितने वोट पड़ते हैं?

जब मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट पर 'बैलेट' बटन दबाते हैं. उसके बाद मतदाता बैलेटिंग यूनिट पर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के आगे लगा नीला बटन दबाकर अपना वोट दर्ज करते हैं. ये वोट कंट्रोल यूनिट में दर्ज हो जाता है. EVM अधिकतम 2,000 वोट रिकॉर्ड कर सकती है. लेकिन आम तौर पर इसका उपयोग केवल 1500 वोट रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है.

7. एक EVM में नोटा समेत 16 उम्मीदवार

एक बैलेटिंग यूनिट में नोटा समेत 16 उम्मीदवारों के नाम दर्ज किए जा सकते हैं. अगर उम्मीदवार अधिक हों तो एक्सट्रा बैलेटिंग यूनिट्स को कंट्रोल यूनिट से जोड़ा जा सकता है. चुनाव आयोग के अनुसार, ऐसी 24 बैलेटिंग यूनिट एकसाथ जोड़ी जा सकती हैं, जिससे नोटा समेत अधिकतम 384 उम्मीदवारों के लिए मतदान करवाया जा सकता है.

8. VVPAT क्या है?

EVM को लेकर कई पॉलिटिकल पार्टीज आपत्ति जताते रहे हैं. इन्हीं शंकाओं को दूर करने के इरादे से चुनाव आयोग एक नई व्यवस्था लेकर आया. जिसे वोटर वेरिफ़ायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) कहा जाता है. आम बोलचाल में इसे VVPAT भी कहा जाता है. ये EVM से जोड़ा गया एक ऐसा सिस्टम है, जिससे वोटर ये देख सकते हैं कि उनका वोट सही उम्मीदवार को पड़ा है या नहीं. 

EVM
EVM और VVPAT. (फाइल फोटो- PTI)

EVM की बैलेट यूनिट पर नीला बटन दबते ही बगल में रखी VVPAT मशीन में उम्मीदवार के नाम, क्रम और चुनाव चिह्न वाली एक पर्ची छपती है. सात सेकंड के लिए वो VVPAT मशीन में एक छोटे से ट्रांसपेरेंट हिस्से में नज़र आती है और फिर सीलबंद बक्से में गिर जाती है.

9. पहली बार VVPAT का इस्तेमाल कब हुआ ?

VVPAT वाली EVM का इस्तेमाल पहली बार साल 2013 में नगालैंड के नोकसेन विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव के दौरान किया गया था. अब हर चुनाव में VVPAT को इस्तेमाल किया जाता है और ये EVM का ही एक पार्ट है. पॉलिटिकल पार्टीज की शंकाओं का निदान करने के लिए एक व्यवस्था भी बनाई गई है. जिसके मुताबिक हर चुनाव क्षेत्र की किसी एक मशीन का रैंडम तरीके से सलेक्शन किया जाता है. फिर EVM मशीन के वोटों का मिलान, VVPAT पर्चियों के वोटों से किया जाता है. अगर कहीं पर मशीन में आ रहे वोटों के आंकड़े VVPAT की पर्चियों के आंकड़ों से अलग आते हैं तो VVPAT के आंकड़ों को प्रायोरिटी दी जाएगी.

10. कैसे पता चलेगा कि EVM काम कर रही है और मेरा वोट दर्ज हुआ है?

जैसे ही मतदाता अपनी पसंद के उम्मीदवार के क्रमांक, नाम और चुनाव चिह्न के सामने वाले VVPAT मशीन पर 'नीला बटन' दबाता है. उम्मीदवार के बटन के सामने लगी एलईडी लाल हो जाती है और VVPAT एक पर्ची छापता है. जिस पर चुने हुए उम्मीदवार का क्रमांक, नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है. ये पर्ची कटने और VVPAT के सीलबंद ड्रॉप बॉक्स में जमा होने से पहले लगभग 7 सेकंड तक दिखाई देती है. VVPAT मशीन से एक तेज़ बीप की आवाज़ वोट के रजिस्ट्रेशन की पुष्टि करती है. इस तरह, वोटर्स को ये विश्वास दिलाने के लिए ऑडियो और विजुअल दोनों माध्यम से ये संकेत मिलता है कि उसका वोट दर्ज हो गया है.

11. भारत में कौन-सी कंपनियां बनाती हैं EVM ?

EVM और VVPAT मशीनों को इंपोर्ट नहीं किया जाता. इन्हें भारत में ही डिज़ाइन किया गया है और यहीं इनका प्रोडक्शन होता है. इसके लिए दो सरकारी कंपनियां अधिकृत हैं. एक है भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), जो रक्षा मंत्रालय के तहत आती है. दूसरी कंपनी है इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) जो डिपार्टमेंट ऑफ़ एटॉमिक एनर्जी के तहत आती है. ये दोनों कंपनियां चुनाव आयोग की ओर से बनाई टेक्निकल एक्सपर्ट्स कमेटी (टीईसी) के मार्गदर्शन में काम करती है.

12. EVM की कीमत कितनी, क्या इनका इस्तेमाल महंगा है?

जैसा कि अब तक हम जान गए हैं, वोटिंग मशीन के तीन मुख्य हिस्से होते हैं. कंट्रोल यूनिट (CU), बैलेटिंग यूनिट (BU) और VVPAT. भारत सरकार की प्राइस नेगोशिएशन कमेटी इन हिस्सों के दाम तय करती है. चुनाव आयोग के मुताबिक, BU की कीमत है 7991 रुपए, CU की 9812 रुपए और सबसे महंगा हिस्सा है. VVPAT, जिसका दाम है 16,132 रुपए. एक EVM कम से कम 15 साल तक चलती है. इससे चुनाव प्रक्रिया सस्ती होने का भी दावा किया जाता है.

हालांकि, आलोचकों का कहना है कि चुनावों के बाद EVM को स्टोर करके इनकी लगातार हाईटेक निगरानी करने में भारी भरकम खर्च आता है. मगर चुनाव आयोग का कहना है कि भले ही शुरुआती निवेश कुछ ज्यादा लगता है, लेकिन हर चुनाव के लिए लाखों की संख्या में मतपत्र छापने, उन्हें ढोने, स्टोर करने में होने वाले खर्च से बचत होती है.

इसके अलावा चुनाव आयोग के मुताबिक, काउंटिंग के लिए ज्यादा स्टाफ की जरूरत नहीं पड़ती और उन्हें दिए जाने वाले पारिश्रमिक में कमी आने से निवेश की तुलना में कहीं ज़्यादा भरपाई हो जाती है.

13. बिना बिजली कैसे काम करती है EVM?

EVM और VVPAT को किसी बाहरी इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत नहीं होती है. EVM और VVPAT भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड / इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की ओर से तैयार की गई बैटरी/पावर.पैक से चलते हैं. EVM 7.5 वोल्ट के पावर-पैक पर और VVPAT 22.5 वोल्ट के पावर-पैक पर चलते हैं.

14. एक साथ चुनाव में क्या होता है EVM का रोल?

एक साथ चुनाव की स्थिति में मतदान केंद्र में EVM के दो अलग.अलग सेट की आवश्यकता होती है. एक लोकसभा चुनाव के लिए और दूसरी विधानसभा चुनाव के लिए.

15. क्या EVM से पूरा इलेक्शन प्रोसेस कंट्रोल होता है?

हां, चुनाव आयोग का मतदान प्रक्रिया पर पूरा नियंत्रण होता है. चुनाव अवधि के दौरान सभी चुनाव अधिकारी सीधे इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के निर्देशन, पर्यवेक्षण और नियंत्रण में कार्य करते हैं.

वीडियो: EVM की जगह बैलेट पेपर की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने ये कह दिया

Advertisement

Advertisement

()