The Lallantop
Advertisement

बिक्रम सिंह मजीठिया: 'माझे दा जरनैल', जिसने सिद्धू का चैलेंज एक्सेप्ट कर लिया

6000 करोड़ रुपये के ड्रग्स केस में आरोपी बिक्रम मजीठिया का सियासी क्या है?

Advertisement
Img The Lallantop
Bikram Singh Majithia ने अपना पहला विधानसभा चुनाव साल 2007 में जीता. (फोटो: ट्विटर)
pic
मुरारी
3 फ़रवरी 2022 (Updated: 3 फ़रवरी 2022, 05:23 PM IST) कॉमेंट्स
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की चुनौती स्वीकार कर ली है. वो अब केवल अमृतसर पूर्व सीट से ही चुनाव लड़ेंगे. बकौल मजीठिया, उन्होंने ये फैसला सिद्धू को सबक सिखाने के लिए लिया है. इससे पहले वो अमृतसर पूर्व के साथ-साथ अपनी पारंपरिक मजीठा सीट से भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. अब वहां से उनकी पत्नी गनीव कौर चुनावी मैदान में होंगी.
हाल ही में मजीठिया को ड्रग्स तस्करी के मामले में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली. कोर्ट ने 6 हजार करोड़ रुपये के ड्रग्स तस्करी रैकेट में मजीठिया की गिरफ्तारी पर 23 फरवरी तक रोक लगा दी. हालांकि, पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया को 20 फरवरी के पंजाब में मतदान के बाद आत्मसमर्पण करना होगा. ड्रग्स तस्करी का ये मामला साल 2013 का है.
एक साल पहले ही बिक्रम सिंह मजीठिया ने मजीठा से दूसरी बार चुनाव जीता था. उनकी मुसीबत तब बढ़ी जब मामले के मुख्य आरोपी जगदीश भोला ने पूछताछ में उनका नाम लिया. ईडी ने भी मजीठिया से पूछताछ की थी. उनके खिलाफ NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया. गिरफ्तारी के आदेश जारी हुए. लुक आउट नोटिस भी जारी किया गया. दूसरी तरफ, अकाली दिल और बिक्रम सिंह मजीठिया इन आरोपों को निराधार बताते रहे हैं. उनके मुताबिक, ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं. 'माझे दा जरनैल' बिक्रम सिंह मजीठिया को 'माझे दा जरनैल' कहा जाता है. मजीठा पंजाब के माझा इलाके में ही पड़ता है. वो काफी ताकतवर परिवार से आते हैं. कहा जाता है कि मजीठिया के एक पूर्वज महाराजा रणजीत सिंह की सेना में जनरल थे. उनके परदादा सुंदर सिंह मजीठिया शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सबसे पहले अध्यक्ष रहे. मजीठिया परिवार ने साल 1935 में अपना पहला प्लेन खरीदा था. बिक्रम सिंह मजीठिया के दादा जवाहरलाल नेहरू की कैबिनेट में शामिल थे और उनके पास डेप्युटी डिफेंस मिनिस्टर का पोर्टफोलियो था. वहीं पिता सत्यजीत सिंह का बिजनेस दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पंजाब में फैला था.
बिक्रम सिंह मजीठिया के बड़े भाई ने जहां अपने पिता के रास्ते पर चलकर बिजनेस में ही खुद को स्थापित किया, वहीं मजीठिया ने राजनीति में हाथ आजमाया. साल 2007 में उन्होंने पहली बार मजीठा सीट से चुनाव लड़ा और जीत गए. उन्हें पंजाब कैबिनेट में जगह मिली. अकाली दल यूथ विंग की अध्यक्षता भी उन्हें दी गई. साल 2007 में बिक्रम सिंह मजीठिया की बहन हरसिमरत कौर ने उनके लिए चुनाव प्रचार किया.
बाएं से दाएं. बिक्रम सिंह मजीठिया, हरसिमतर कौर और सुखबीर बादल. (फोटो: ट्विटर)
बाएं से दाएं. बिक्रम सिंह मजीठिया, हरसिमतर कौर और सुखबीर बादल. (फोटो: ट्विटर)

अकाली दल के भीतर मजीठिया का कद धीरे-धीरे बढ़ता गया. विपक्ष को जवाब देने के लिए पार्टी पूरी तरह से मजीठिया पर ही आश्रित हो गई. दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़े मजीठिया भी विरोधियों को छकाने में माहिर हो गए थे. साल 2010 में अकाली दल ने दावा किया कि मजीठिया को देश विरोधी ताकतों से धमकियां मिल रही हैं. तत्कालीन यूपीए सरकार ने बिक्रम सिंह मजीठिया को जेड प्लस सिक्योरिटी दे दी.
साल 2012 के विधानसभा चुनाव में बिक्रम सिंह मजीठिया ने फिर से जीत हासिल की. अब ये साफ हो चुका था कि वो अकाली दल के एक बड़े नेता बन गए हैं. कयास ये भी लगाए गए कि एक दिन मजीठिया अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह को किनारे कर देंगे और पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे. इस बीच अकाली दल के कई दिग्गजों ने पार्टी छोड़ दी. ये कहते हुए कि पार्टी में मजीठिया का महत्व बहुत ज्यादा हो गया है. मजीठा में मजबूत पकड़ मजीठा में बिक्रम सिंह मजीठिया की पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब साल 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में अकाली दल ने सबसे बेकार चुनावी प्रदर्शन किया, तब भी मजीठिया ने आसानी से अपनी विधानसभा सीट निकाल ली. इससे पहले साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह अमृतसर सीट से आमने सामने थे. जेटली ने मजीठिया को अपना कैंपेन मैनेजर बनाया. अरुण जेटली की हार तो हुई, लेकिन मजीठा में उन्हें अमरिंदर सिंह से ज्यादा वोट मिले.
2014 के लोकसभा चुनावु प्रचार के दौरान बिक्रम सिंह मजीठिया और अरुण जेटली. (फोटो: ट्विटर)
2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान बिक्रम सिंह मजीठिया और अरुण जेटली. (फोटो: ट्विटर)

मजीठिया को काफी धार्मिक व्यक्ति कहा जाता है. वो शाकाहारी भी हैं. एक बार पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मजाक में कहा था कि मजीठिया के घर में जो कुत्ते पाले गए हैं, वो भी शाकाहारी हैं. अरुण जेटली के लिए चुनाव प्रचार करते हुए मजीठिया पर गुरु गोबिंद सिंह के एक दोहे को तोड़ने-मरोड़ने का आरोप लगा था. उन्होंने आरोप स्वीकार किया और फिर स्वर्ण मंदिर में बर्तन धोए.
ड्रग्स रैकेट के आरोपी बिक्रम सिंह मजीठिया अवमानना के भी कई मामले जीत चुके हैं. चुनावों में उनके खिलाफ विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने खूब बयानबाजी की. कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक ने सत्ता में आने पर मजीठिया को जेल में डालने की बात कही. इनमें से कई नेताओं के खिलाफ मजीठिया ने अवमानना का केस दायर किया. कई नेताओं ने बाद में उनसे माफी मांगी. इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का भी नाम शामिल है. मजीठिया का कहना है कि उनके खिलाफ ड्रग तस्करी का केस झूठा है और आखिर में उनकी ही जीत होगी.

Subscribe

to our Newsletter

NOTE: By entering your email ID, you authorise thelallantop.com to send newsletters to your email.

Advertisement