मां के विरोधी के एजेंट बने थे उपेंद्र कुशवाहा के बेटे, उसकी जमानत जब्त हो गई, खुद मंत्री बन गए
Bihar की नई कैबिनेट में Upendra Kushwaha के बेटे Deepak Prakash को मंत्री बनाया गया है. Sasaram सीट से दीपक की मां Snehlata जीती हैं, लेकिन इस सीट पर दीपक एक निर्दलीय उम्मीदवार के काउंटिंग एजेंट थे.

राष्ट्रीय लोक मोर्चा (NDA) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश का बिहार के नए मंत्रिमंडल में मंत्री बनना जितना रोचक था, चुनाव में उनकी भूमिका भी उतनी ही दिलचस्प रही. दीपक सासाराम विधानसभा सीट पर एक निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान के काउंटिंग एजेंट थे. जबकि दीपक की मां स्नेहलता इसी सीट पर जीतकर विधायक बनी हैं.
इंडिया टुडे से जुड़े शशि भूषण कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव में दीपक अपनी मां के सामने चुनाव लड़ रहे एक निर्दलीय उम्मीदवार के काउंटिंग एजेंट थे. अब यह सवाल उठता है कि ऐसा क्यों था? फिलहाल इसका जवाब अभी तक सामने नहीं आया है.
हालांकि, निर्दलीय लड़ रहे रामायण पासवान की जमानत जरूर जब्त हो गई. उन्हें केवल 327 वोट मिले. जबकि दीपक खुद मंत्री बन गए. उनकी मां स्नेहलता RLM के टिकट पर मैदान में थीं. उन्होंने 1,05,006 वोट लेकर जीत हासिल की.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नई सरकार में दीपक प्रकाश को RLM कोटे से कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. उन्हें पंचायती राज मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. उपेंद्र कुशवाहा खुद राज्यसभा सांसद हैं. अब उनके बेटे दीपक बिहार सरकार में मंत्री है, जबकि पत्नी स्नेहलता सासाराम से विधायक चुनी गई हैं.

नई कैबिनेट में दीपक प्रकाश को तो मंत्री पद मिल गया. हालांकि, दीपक जिस निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान के काउंटिंग एजेंट बने थे, उन्हें सिर्फ 327 वोट ही मिल पाए. वोटों की संख्या इतनी कम थी कि उनकी जमानत भी जब्त हो गई.
चुनाव आयोग के जारी पहचान पत्र में भी यह दर्ज है कि दीपक प्रकाश निर्दलीय उम्मीदवार रामायण पासवान के काउंटिंग एजेंट थे. चुनाव में दीपक जिनके काउंटिंग एजेंट थे, वे तो पिछड़ गए, लेकिन खुद मंत्री पद तक पहुंच गए.
उन्होंने गुरुवार, 20 नवंबर को मंत्री पद की शपथ ली. चुनाव में काउंटिंग एजेंट का काम बेहद संवेदनशील होता है. किसी उम्मीदवार के वोटों की निगरानी से लेकर मतगणना के समय टेबल पर मौजूद रहने तक काउंटिंग एजेंट चुनावी प्रक्रिया का अहम हिस्सा होता है.
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