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'कब तक हारते रहेंगे?' बिहार की हार पर निकला गुस्सा, अपनी ही पार्टी को 'नसीहत' देने लगे कांग्रेसी

बिहार में कांग्रेस की बुरी हार के बाद पार्टी के ही नेता नाराज हो गए हैं. शशि थरूर, तारिक अनवर, कृपानंद पाठक, मुमताज पटेल जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के चुनाव लड़ने के तरीकों तक पर सवाल उठाए हैं.

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Congress Massive Defeat in Bihar Assembly Elections Leaders Blame Election Commission
बिहार में हार पर कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के भविष्य पर चिंता जाहिर की है (फाइल फोटो)
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रिदम कुमार
15 नवंबर 2025 (Published: 02:12 PM IST)
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए 243 में से 202 सीटें जीत लीं. दूसरी ओर महागठबंधन सिर्फ 35 सीटों पर सिमट गया. इसमें भी कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटें ही मिलीं. इतने बड़े अंतर वाली हार पर शशि थरूर, तारिक अनवर, कृपानंद पाठक, मुमताज पटेल जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने गहरी चिंता और नाराजगी जताई है. उन्होंने पार्टी के चुनाव लड़ने के तरीकों तक पर सवाल उठाए हैं.

तारिक अनवर क्या बोले

कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में माना कि महागठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच तालमेल नहीं था. उन्होंने हार के लिए बिहार में काम कर रहे नेताओं कृष्णा अल्लावरु, शकील अहमद खान और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को जिम्मेदार बताया. साथ ही हार के लिए टिकटों के बंटवारे पर भी सवाल उठाया. अनवर ने कहा, 

अल्लावरु, कुमार और खान ने अपनी भूमिका उस तरह नहीं निभाई जैसी उन्हें निभानी चाहिए थी. अगर उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया होता, तो ये नतीजे नहीं होते.

तारिक अनवर ने कहा कि टिकटों के बंटवारे के लिए फॉर्मूला होना चाहिए था. उन्हें टिकट बिलकुल नहीं दिया जाना चाहिए था जो 2020 में बड़े अंतर से हारे थे. लेकिन इसका पालन नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि आलाकमान इस पर आत्ममंथन करेगी. कारणों का अध्ययन करके पार्टी को दोबारा से खड़ा किया जाएगा. महिलाओं के खाते में 10 हजार भेजने की नीतीश सरकार की योजना पर अनवर ने कहा,

चुनाव से पहले पैसे देने की जांच होनी चाहिए. यह वोट खरीदने जैसा है. चुनाव आयोग को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए. उन्हें ये कहना चाहिए कि चुनाव से 6 महीने पहले पार्टियां ऐसा नहीं कर सकतीं.

थरूर क्या बोले

वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी पार्टी को हार पर गंभीरता से सोचने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि पार्टी की जिम्मेदारी है कि वो ये समझे कि गलती कहां हुई? बिहार में गठबंधन में हम सीनियर साझेदार नहीं थे और आरजेडी को भी अपने प्रदर्शन पर ध्यान से नजर डालनी चाहिए. उन्होंने कहा, 

“ये बात साफ है कि NDA की बढ़त बहुत ज्यादा है. एक तो जनता का मूड होता है. फिर संगठन की ताकत और कमजोरियां मायने रखती हैं. इसके अलावा संदेश लोगों तक कितनी अच्छी तरह पहुंच रहा है, यह भी महत्वपूर्ण है. इन सारी बातों पर हमें गौर करना होगा.”

थरूर ने ये भी कहा कि वो बिहार में नहीं थे क्योंकि बिहार में प्रचार करने के लिए उन्हें बुलाया नहीं गया था. इसलिए वह अपने अनुभव के आधार पर ज्यादा कुछ नहीं कह सकते. 

‘नहीं पहुंचाई सही जानकारी’

पटना में कांग्रेस नेता कृपानाथ पाठक ने चुनाव प्रक्रिया पर भी गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान सही जानकारी नहीं दी गई और शिकायतें ऊपर तक नहीं पहुंचीं. पाठक ने कहा,

“राज्य में जिम्मेदार लोगों ने सही जानकारी नहीं दी. उन्होंने सही लोगों के बारे में सही जानकारी इकट्ठा नहीं की. चाहे यह गलती से हुआ हो या चूक से, इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई? लोग हमसे लगातार शिकायत करते रहते हैं. लेकिन हमें लगता है कि जो बातें उच्च अधिकारियों तक पहुंचनी चाहिए थीं, वे ठीक से नहीं पहुंचीं.”

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर नेतृत्व अब भी नहीं जागा तो आने वाले समय में गंभीर संकट खड़ा हो सकता है. हारने की बात हो या न हो कि हमे ये आशा नहीं थी कि खराब से खराब मौसम में भी इतनी कम सीटें आएंगी ये नहीं सोचा था.

‘संगठन कमजोर पड़ा’

पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ कांग्रेस नेता निखिल कुमार ने माना कि पार्टी की हार संगठन की कमजोरी है. उन्होंने कहा,

“यह हमारे संगठन की कमजोरी को दर्शाता है. किसी भी चुनाव में एक राजनीतिक दल अपनी संगठनात्मक शक्ति पर निर्भर करता है. अगर संगठन कमजोर है और प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकता तो कुल मिलाकर परिणाम प्रभावित होते हैं.”

उन्होंने आगे कहा कि शायद हम और भी अच्छे कैंडिडेट चुन सकते थे. संगठन को चाहिए था कि चुनाव कैसे लड़ा जाए इस पर सख्ती, होशियारी और मौजूदगी से काम करता. हर क्षेत्र में हमें मौजूद रहना चाहिए था लेकिन संगठन इसमें विफल रहा. पार्टी के जिन लोगों को टिकट मिला अगर संगठन मजबूत रहता तो उनका रिजल्ट कुछ और ही होता.

‘…इन लोगों की वजह से नहीं जीत रहे’

कांग्रेस नेता मुमताज पटेल ने हार को ‘दिल तोड़ने वाला’ बताया. उनका कहना है कि महागठबंधन जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाया. कांग्रेस की अंदरुनी हालत पर भी उन्होंने X पर टिप्पणी की और कहा,

बहाना, आरोप-प्रत्‍यारोप या आत्ममंथन नहीं. अब समय है कि हम अपने भीतर झांकें और सच्चाई को स्वीकार करें. आखिर कब तक अनगिनत वफादार जमीनी कार्यकर्ता, जो हर अच्छे-बुरे समय में पार्टी के साथ खड़े रहे, सफलता का इंतजार करते रहेंगे? 

उन्होंने आगे कहा कि पार्टी बार-बार इसलिए हार रही है क्योंकि पावर कुछ ऐसे लोगों के पास हैं, जो जमीनी हकीकत से बिल्कुल कटे हुए हैं. इसी वजह से बार-बार पार्टी को नुकसान उठाना पड़ रहा है. इन्हीं की गलतियों के कारण पार्टी की हालत बार-बार खराब होती जा रही है.

वीडियो: बिहार चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने कर दिया बड़ा खेल, कांग्रेस को भी छोड़ दिया पीछे

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