चिराग खुद को 'नमक' कहते हैं, प्रशांत किशोर के साथ 'खिचड़ी' तो नहीं पका रहे?
बिहार के चुनावी माहौल में चर्चा तेज है कि Prashant Kishor और Chirag Paswan साथ आ सकते हैं. मिल कर चुनाव लड़ सकते हैं. तो क्या पीएम Narendra Modi के हनुमान चिराग़ NDA छोड़ PK के साथ जाने वाले हैं.

चिराग पासवान इन दिनों नमक का ज़िक्र बार-बार करते हैं. खाना पकाने के संदर्भ में नहीं. बिहार की राजनीति को लेकर. चिराग़ कहते हैं कि NDA में वे नमक के बराबर हैं. नमक है तभी स्वाद है. नमक के बिना खाने का क्या स्वाद ! अभी तो वे NDA में नमक के रोल में हैं. लेकिन क्या पता इस विधानसभा चुनाव में वे प्रशांत किशोर के साथ नमक के रूप में खिचड़ी पकाने लगे. वैसे भी दोनों एक दूसरे की तारीफ़ करते नहीं थकते हैं. बिहार में इसे लल्लो चप्पो कहते हैं.
बिहार के चुनावी माहौल में चर्चा तेज है कि प्रशांत किशोर और चिराग़ पासवान साथ आ सकते हैं. मिल कर चुनाव लड़ सकते हैं. तो क्या पीएम नरेन्द्र मोदी के ‘हनुमान’ चिराग़ NDA छोड़ PK के साथ जाने वाले हैं. राजनीति में कुछ भी संभव है. गठबंधन में रहते हुए भी चिराग़ की पार्टी के नेता समय-समय पर अकेले ही सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का दम भरते रहते हैं.
प्रशांत किशोर तो पहले से ही बिहार की सभी 243 सीटों पर जन सुराज का उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं. झारखंड के अलग होने के बाद से बिहार में पिछले 25 सालों में बस एक बार कांग्रेस ही अकेले विधानसभा चुनाव में गई है. वो भी चारो खाने चित्त हो गई थी. प्रशांत किशोर ने ये हिम्मत दिखाई है. सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार ढूंढ लेना भी बड़ी चुनौती का काम है.
ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि चिराग़ और प्रशांत किशोर बहुत अच्छे दोस्त हैं. कभी साथ नज़र नहीं आते पर तार दिल और दिमाग़ से जुड़े हैं. एक ख़ास रिश्ता है दोनों में. कहा जाता है कि बीते दिनों दोनों नेताओं की मुलाक़ात भी हुई. वो भी एक बार नहीं दो-दो बार. कहा तो ये भी गया कि चिराग़ कई मुद्दों पर प्रशांत किशोर से राय मशविरा भी करते रहे हैं.
ये भी पढ़ें - तेजस्वी के करीबी संजय यादव का लालू परिवार में बढ़ा विरोध, अब रोहिणी आचार्य ने लिया निशाने पर
वैसे भी बिहार की राजनीति के लिहाज़ से देखा जाए तो प्रशांत किशोर और चिराग़ पासवान को एक दूसरे की ज़रूरत है. जो चिराग़ के पास है वो पीके के पास नहीं. जो प्रशांत किशोर के पास है वो चिराग़ के पास नहीं है. ऐसे में दोनों साथ आए तो फिर वो कमी ख़त्म हो जाएगी. प्रशांत के लिए चिराग़ दमदार चेहरा हो सकते हैं. बदले में पीके से बेहतर चिराग़ के लिए कौन इलेक्शन कैंपेन संभाल सकता है.
चिराग पासवान और प्रशांत किशोर में एक और कॉमन बात है. वो है जात पात वाला मुद्दा. दोनों नेता अलग सोच की राजनीति करते हैं. चिराग का ज़िक्र आते ही प्रशांत किशोर कहते हैं कि नया लड़का है. वो कभी जाति धर्म की बात नहीं करता है. बिहार की राजनीति में उनका आना अच्छी बात है. उधर चिराग़ पासवान कहते हैं कि प्रशांत बिहार की राजनीति में एक ईमानदार भूमिका निभा रहे हैं. जिसकी मैं सराहना करता हूं. वे दूसरे नेताओं की तरह जात पात की राजनीति में नहीं पड़ते हैं.
ये भी पढ़ें - '20000 का ATM कार्ड, पलायन और बेरोजगारी', बिहार में आखिर कौन सा खेल कर रहे प्रशांत किशोर?
अब क्या ये महज़ संयोग भर है कि चिराग पासवान और प्रशांत किशोर के मुद्दे मिलते जुलते हैं. बीजेपी के साथ रह कर भी वे नीतीश सरकार की खिंचाई से परहेज नहीं करते हैं. क़ानून व्यवस्था को लेकर बिहार सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं. मुजफ्फरपुर रेप कांड के बाद उन्होंने तो सीएम नीतीश को चिट्ठी लिख दी थी. पीके नया बिहार और नया रोज़गार की बात करते हैं. तो चिराग पासवान बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट का अभियान चलाए हुए हैं.
प्रशांत किशोर और चिराग़ पासवान का ये रिश्ता क्या कहलाता है. दोनों कई मौकों पर इसके बारे में बता चुके हैं. हाल में एक इंटरव्यू में प्रशांत से पूछा गया कि तेजस्वी यादव, सम्राट चौधरी और चिराग पासवान में अच्छा मुख्यमंत्री कौन हो सकता है. वे तपाक से बोले कि मुझे वोट देना होगा तो चिराग को दूंगा. भले ही चिराग कह रहे हैं कि अभी एनडीए में मुख्यमंत्री की कोई वैकेंसी नहीं है. लेकिन उनकी नज़र तो इसी कुर्सी पर है. प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के पास अपना कोई बेस वोट बैंक नहीं है.
चिराग के पास करीब 5 से 6 प्रतिशत वोट शेयर है. पिछली बार उनकी पार्टी 134 सीटों पर लड़ी थी और सिर्फ़ एक सीट जीत पाई थी. पीके और चिराग मिले तो एनडीए और इंडिया गठबंधन के मुक़ाबले बिहार में एक तीसरे मोर्चे की एंट्री हो सकती है.
बिहार में एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर अभी फ़ार्मूला बना नहीं है. ऊपर से चिराग़ हर दिन इसमें नया मसाला लगा देते हैं. अब वे कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में उनका स्ट्राइक रेट हंड्रेड परसेंट था. वे इस बार भी इस ट्रेंड को बनाए रखना चाहते हैं. इसलिए वे कहते हैं कि उन्हें बंटवारे में जो भी सीट मिले वो क्वालिटी की हो. क्या एनडीए से बाहर निकलने का चिराग कोई बहाना तो नहीं ढूंढ रहे हैं.
जिससे अपने दोस्त प्रशांत किशोर के पास जाने का रास्ता खुल जाए. फ़ैसला तो बस चिराग़ को करना है कि क्या वे केंद्र में मंत्री पद छोड़ने को तैयार हैं. बिहार विधानसभा में किसी भी गठबंधन को बहुमत न मिलने की हालत में उनकी भूमिका बड़ी हो सकती है.
वीडियो: राजधानी: बिहार चुनाव से पहले चिराग पासवान और प्रशांत किशोर की नजदीकियां?