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पूजा खेडकर विवाद के बाद सरकार ने बदले UPSC के नियम, फर्जी सर्टिफिकेट वालों को ऐसे पकड़ा जाएगा

UPSC Certificates Rules: पिछले साल Puja Khedkar पर फर्जी सर्टिफिकेट जमा करने के आरोप लगे थे. सरकार ने अब UPSC परीक्षा से जुड़े नियमों में बदलाव किया है.

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Puja Khedkar
UPSC के नियमों में बदलाव किए गए हैं. (फाइल फोटो)
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रवि सुमन
24 जनवरी 2025 (Published: 01:27 PM IST)
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पूजा खेडकर विवाद के बाद UPSC पर कई सवाल (Pooja Khedkar Controversy) उठे. केंद्र सरकार ने अब सिविल सेवा की परीक्षाओं (UPSC Exam) को लेकर नियमों में कुछ अहम बदलाव किए हैं. सरकार के नए नोटिफिकेशन के मुताबिक, एजुकेशन, जाति और विकलांगता से जुड़े अनिवार्य सर्टिफिकेट्स को अब UPSC के प्री-एग्जाम के स्टेज पर ही अपलोड करना होगा. इससे पहले, ये सर्टिफिकेट्स प्री-एग्जाम के बाद तब जमा कराने होते थे, जब कैंडिडेट मेन्स की परीक्षा के लिए क्वालीफाई कर जाते थे.

मिनिस्ट्री ऑफ पर्सोनेल ने इस नोटिफिकेशन को जारी किया है. इसमें आगे कहा गया है,

जो भी उम्मीदवार सिविल सर्विस एग्जामिनेशन (CSE) के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उन्हें ऑनलाइन आवेदन करना होगा. UPSC की ओर से मांगे गए सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट्स को भी ऑनलाइन अपलोड करना होगा. जैसे जन्म तिथि, कैटेगरी (जाति), PwBD (विकलांगता), आर्थिक रूप से कमजोर (EWC), भूतपूर्व सैनिक, एजुकेशन, सेवा वरीयता आदि से जुड़े डॉक्यूमेंट्स जमा कराने होंगे.

नोटिफिकेशन में ये भी कहा गया है कि सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट्स अपलोड ना करने की स्थिति में उम्मीदवारी रद्द कर दी जाएगी.

ये भी पढ़ें: शिक्षकों की सैलरी पर मनीष सिसोदिया की ये बात कई UPSC एस्पिरेंट का मन बदल देगी

मंत्रालय ने बताया है कि इस साल UPSC की परीक्षा 979 पदों के लिए होनी है. इस बार के पदों की संख्या पिछले तीन सालों में सबसे कम है.

Puja Khedkar विवाद क्या है?

पिछले साल जून में एक ट्रेनी IAS पूजा खेडकर पर फर्जी दस्तावेज दाखिल करने के आरोप लगे थे. इसके बाद खेडकर को बर्खास्त कर दिया गया. उन पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. फिलहाल वो जमानत पर बाहर हैं. 

15 जनवरी को खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली सरकार और UPSC को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. सर्वोच्च अदालत ने अगली सुनवाई तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. 14 फरवरी को इस मामले में अगली सुनवाई होनी है.

सुप्रीम कोर्ट में जाने से पहले खेडकर दिल्ली हाई कोर्ट में पहुंची थीं. दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि ये केवल एक संवैधानिक संस्था से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि ये पूरे समाज और राष्ट्र के साथ धोखाधड़ी का एक बड़ा उदाहरण है.

खेडकर विवाद के बाद डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनेल एंड ट्रेनिंग (DoPT) ने 6 ब्यूरोक्रेट्स के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे. इनमें एक ट्रेनी ब्यूरोक्रेट भी शामिल है. इनके विकलांगता से जुड़े दावों और आयोग के मानदंडों की फिर से जांच की जानी है.

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