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RBI की इस पहल से सभी एटीएम से बिना कार्ड कैश निकलेगा!

बिना डेबिट कार्ड के एटीएम से पैसे निकालने की सुविधा सभी बैंकों में दी जाएगी. यूपीआई बेस्ड कस्टमर ऑथराइजेशन और बैंकिंग नेटवर्क की मदद से इस सुविधा का विस्तार इस तरीके से किया जाएगा कि सभी बैंक और उनके एटीएएम इसकी जद में आ जाएं.

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RBI
आरबीआई और एटीएम की सांकेतिक तस्वीर
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8 अप्रैल 2022 (Updated: 4 मई 2022, 16:34 IST)
Updated: 4 मई 2022 16:34 IST
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एटीएम कार्ड के खोने, चोरी होने या किसी ठगी का शिकार होने की टेंशन तो हर किसी को होती है, लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की एक पहल रंग लाई तो हर बैंक के एटीएम से बिना कार्ड केवल यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए कैश निकाला जा सकेगा.

शुक्रवार 8 अप्रैल को RBI मॉनेटरी कमेटी की बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अब बिना डेबिट कार्ड के एटीएम से पैसे निकालने की सुविधा सभी बैंकों में दी जाएगी. यूपीआई बेस्ड कस्टमर ऑथराइजेशन और बैंकिंग नेटवर्क की मदद से इस सुविधा का विस्तार इस तरीके से किया जाएगा कि सभी बैंक और उनके एटीएएम इसकी जद में आ जाएं.

अभी तक सिर्फ कुछ बैंको में ही चुनिंदा सेंटर्स पर बिना कार्ड के एटीएम से पैसे निकालने की सुविधा है. RBI की इस मुहिम का मकसद आपको न केवल कार्ड लेकर चलने और उसे सुरक्षित रखने की चिंता से मुक्त करना है, बल्कि कार्ड क्लोनिंग, स्कीमिंग और कई दूसरे तरह के फ्रॉड की आशंका भी खत्म करना है.

गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि इस प्रस्ताव पर काम चल रहा है. सभी बैंकों और ATM नेटवर्क/ऑपरेटरों को कार्डलेस नकद निकासी को प्रोत्साहित करने और UPI के जरिए कस्टमर ऑथराइजेशन कंप्लीट करने को कहा गया है. इसके लिए NPCI, एटीएम नेटवर्क और बैंकों के लिए जल्दी ही अलग-अलग निर्देश जारी किए जाएंगे. माना जा रहा है कि यूपीआई बेस्ड एटीएम ट्रांजैक्शन से कैश निकासी से जुड़ी धोखाधड़ी और अपराधों में काफी कमी आएगी.

नहीं बदलेंगी आपकी किस्तें

RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने सभी अटकलों और आशंकाओं को विराम देते हुए पॉलिसी रेट्स में कोई इजाफा नहीं किया है. शुक्रवार को हुई एमपीसी की बैठक में रेपो रेट पहले की तरह 4 पर्सेंट और रिवर्स रेपो रेट 3.35 पर्सेंट पर बरकरार रखा गया. रेपो रेट वो ब्याज दर है, जिस पर कमर्शियल बैंक RBI से लोन लेते हैं. रिवर्स रेपो रेट वो रेट है, जिस पर रिजर्व बैंक कमर्शियल बैंकों से लोन लेता है.

रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि बैंकों को लोन महंगा मिलेगा. जब उन्हें लोन महंगा मिलेगा तो वो आपको भी महंगा लोन ही देंगे. तो मोटे तौर पर ये समझिए कि रेपो रेट नहीं बढ़ने से फिलहाल आपके होम लोन, पर्सनल लोन या एजुकेशन लोन की किस्तें महंगी नहीं होने जा रहीं. हालांकि इसका दूसरा पहलू ये है कि बैंक में जमा आपके पैसे पर मिलने वाला ब्याज भी नहीं बढ़ने जा रहा, यानी वहां आपको रिटर्न मौजूदा दर पर ही मिलता रहेगा.

ग्रोथ बनाम महंगाई

RBI कमेटी ने पॉलिसी रेट्स को लेकर अपने रुख को एकोमोडेटिव बताया है. एकोमोडेटिव रुख का मतलब है कि RBI ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए सिस्टम में लिक्विडिटी बनाए रखने के हक में है. यानी मार्केट में ज्यादा से ज्यादा पैसा रहे. लोग ज्यादा लोन लें. डिमांड बढ़ती रहे और जीडीपी ग्रोथ को ताकत मिले. तो क्या RBI महंगाई पर ग्रोथ को तरजीह देना चाहता है? लेकिन RBI गवर्नर का तो कुछ और ही कहना है.

शक्तिकांत दास कह रहे हैं कि RBI भी महंगाई को लेकर चिंतित है और ग्रोथ के मुकाबले महंगाई काबू करने पर उसका भी जोर है. ये कैसे संभव होगा, इसके लिए एक कदम जरूर उठाया गया है. शुक्रवार को मॉनेटरी कमेटी ने लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF) कॉरिडोर को बढ़ाकर 50 bps यानी 0.50 पर्सेंट कर दिया है. अब ये कोरोना वायरस संक्रमण के पहले के लेवल पर पहुंच गया है.

माना जा रहा है कि इसके जरिए भी सिस्टम से लिक्विडिटी सोखने में मदद मिलेगी. यानी धीरे-धीरे ही सही महंगाई घटाने के लिए बाजार में नकदी कम करने की कवायद यहां भी शुरू हो गई है. ये देखना होगा कि छह फीसदी से ऊपर चली आ रही रिटेल महंगाई से RBI कैसे निपटता है.

मई 2020 में हुई थी कटौती

कमेटी ने आखिरी बार पॉलिसी रेट्स में कटौती मई 2020 में की थी. कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन से धराशायी इकॉनमी को सहारा देने के लिए फरवरी 2019 से लेकर मई 2020 तक RBI ने रेपो रेट में 2.50 पर्सेंट की कटौती की थी. रेट घटने या बढ़ने से इकॉनमिक ग्रोथ का क्या रिश्ता है, इसे भी मोटे तौर पर समझते चलिए. जब ब्याज दरें घटती हैं, तब ज्यादा लोन लिए जाते हैं. यानी मार्केट या फाइनेंशल सिस्टम में ज्यादा पैसा आ जाता है. इससे डिमांड बढ़ती है. फिर इकनॉमिक गतिविधियां तेज होती हैं और आप कह सकते हैं कि देश की जीडीपी बढ़ती है. RBI ने वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7.2 पर्सेंट किया है. RBI का लक्ष्य महंगाई दर को 4 पर्सेंट से 6 पर्सेंट के बीच में रखने का है. एमपीसी की अगली बैठक 6 से 8 जून को होगी.

दुनिया भर में बढ़ रहे रेट

RBI का पॉलिसी दरों को नहीं बढ़ाना इस मायने में अहम है कि पूरी दुनिया में बढ़ती महंगाई को काबू करने के मकसद से वहां के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. अमेरिका ने पिछले महीने ही ऐतिहासिक बढ़ोतरी की शुरुआत की है. पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक ने तो एक दिन पहले ही बेंचमार्क ब्याज दरों में एक झटके में ही रिकॉर्ड 250 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करते हुए पॉलिसी रेट्स को 12.25 फीसदी तक पहुंचा दिया.

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दो दिन पहले ही कहा है कि वो अपनी बैलेंस शीट को छोटा करेगा. यानी अपने एसेट्स तेजी से बेचेगा. इससे मार्केट में लिक्विडिटी सोखने की प्रक्रिया तेज होगी. हम इस फैसले का जिक्र यहां इसलिए कर रहे हैं कि क्योंकि आज के RBI के फैसले के बाद ये और अहम हो जाता है. एक तरफ अमेरिका में लिक्विडिटी टाइट होगी, यानी डॉलर मजबूत होगा. रुपया कमजोर होगा. भारत का इम्पोर्ट बिल बढ़ेगा. ऐसे में भारत में ब्याज दरों को बहुत दिनों तक मौजूदा स्तरों पर कायम रखना संभव नहीं हो सकेगा. इसका हमारे इंटरनेशनल ट्रेड और करंट अकाउंट पर तो बुरा असर होगा ही, महंगाई को लेकर भी दोहरी चुनौती पेश आएगी.

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