अडानी से टकराने वाला शख्स कौन है?
वो 16 कंपनियां जिनको हिंडनबर्ग ने निपटा दिया!
अमेरिका की एक इनवेस्टमेंट रिसर्च फर्म जिसने दुनिया के तीसरे सबसे अमीर आदमी गौतम अडानी को हिला दिया है. इस रिसर्च फर्म ने अडानी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अडानी समूह की कंपनियां गले तक कर्ज में डूबी हुई हैं. साथ ही ये भी कहा गया है कि अडानी समूह दशकों से स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड में शामिल है. इस रिपोर्ट के आने के बाद अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट का दौर जारी है.
आज के खर्चा-पानी में इसी पर कंपनी के बारे में विस्तार से बात करेंगे. जानेंगे कि अडानी समूह पर कई तरह के खुलासे करने वाली इस रिसर्च फर्म का इतिहास और भूगोल क्या है? इसका कर्ताधर्ता कौन है? ये फर्म काम क्या करती है? ये भी जानेंगे कि ये कंपनी अब तक कितनी कंपनियों का कच्चा चिठ्टा सामने ला चुकी है?
मार्केट कैप 4.2 लाख करोड़ घटाअमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने अडानी समूह के शेयरों में भूचाल मचा रखा है. बुधवार, 25 जनवरी को 8 फीसदी तक फिसलने के बाद शुक्रवार, 27 जनवरी को भी अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली. आज अडानी समूह के शेयरों में 20 फीसदी तक की गिरावट आई है. शुक्रवार दोपहर तक अडानी समूह का मार्केट कैप 3.4 लाख घट गया और अगर मंगलवार 24 जनवरी की गिरावट को भी इसमें जोड़ लिया जाये, तो मोटा-मोटी अडानी समूह की कंपनियों का कुल मार्केट कैप 4.2 लाख करोड़ साफ हो गया है.
हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी क्या काम करती है?हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी दावा करती है कि वह फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च में एक्सपर्ट है. कंपनी की बेवसाइट के मुताबिक ये कंपनी शेयर, क्रेडिट और डेरेवेटिव्स का विश्लेषण करती है. कंपनी ने अपनी बेवसाइट पर लिखा है कि वो मैन मेड डिजास्टर्स यानी कंपनी के बहीखातों की गड़बड़ियां, कंपनियों के भीतर जारी मिसमैनजमेंट और कंपनी के उन लेनदेन को उजागर करती है, जिन्हें कंपनियां अक्सर छुपाती हैं.
इसके अलावा ये कंपनी खुद भी निवेश करती है. कंपनी की प्रोफाइल के मुताबिक, ये कंपनी एक एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर है. अब शॉर्ट सेलर को समझने के लिए पहले समझते हैं कि शॉर्ट सेलिंग क्या होती है. किसी शेयर को कम भाव पर खरीदकर उसे चढ़ने पर बेचना आमतौर पर शेयर मार्केट में मुनाफा कमाने का हिट फार्मूला माना जाता है. कारोबार की दुनिया में इसे लॉन्ग पोजीशन कहते हैं. ये तरीका आमतौर पर निवेशक तब अपनाते हैं, जब मार्केट में तेजी की संभावना होती है. यानी बाजार बुलिश रहने की संभावना होती है. लेकिन, इसके उलट जब बाजार में मंदी (बियर) की आशंका चल रही होती है और किसी कंपनी के शेयर के भाव में गिरावट का अनुमान होता है, तब शॉर्ट पोजीशन का तरीका अपनाया जाता है. मतलब, निवेशक को लगता है कि भविष्य में शेयर की कीमतें गिरेंगी और इससे फायदा होगा. एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर निवेशकों को समझाते रहते हैं कि कंपनी ओवरवैल्यूड (कर्ज में डूबी) है. जिस कंपनी पर ये शॉर्ट सेलर फोकस करते हैं, उसके बारे में इस तरह की खबरें आने के बाद कई बार कंपनी का शेयर रसातल पर पहुंच जाता है और शॉर्ट सेलर पैसा कमाता है.
नाथन एंडरसन के बारे मेंहिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टीकट में पढ़ने वाले एंडरसन ने एक डेटा कंपनी फैक्टसेट रिसर्च से अपने करियर की शुरुआत की थी. यहां उनका काम इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट कंपनियों से संबंधित था. फिर उन्होंने साल 2017 में अपनी शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च को शुरू किया था. हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन पहले इजराइल में एंबुलेंस के ड्राइवर भी रह चुके हैं. वे हैरी मार्कपोलोस को अपना रोल मॉडल मानते हैं. हैरी मार्कपोलोस एक एनालिस्ट हैं और बर्नी मेडॉफ की फ्रॉड स्कीम का पर्दाफाश करने के लिए जाने जाते हैं. कंपनी के फाउंडर के मुताबिक हिंडनबर्ग नाम एक हादसे से लिया गया है. यह नाम 6 मई 1937 में न्यू जर्सी के मैनचेस्टर टाउनशिप में हुए हिंडनबर्ग एयरशिप एक्सीडेंट के नाम पर रखा गया है.
16 कंपनियों को लेकर खुलासे किएइस बारे में हमने मार्केट एनालिस्ट शैलेन्द्र भटनागर से बात की. आइए सुनते हैं...
अडानी समूह पर खुलासा करने से पहले हिंडनबर्ग रिसर्च ने पहले कई कंपनियों को लेकर ऐसी रिपोर्ट जारी की हैं. इन रिपोर्ट की वजह से उन कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट भी आई थी. साल 2017 में अपनी शुरुआत के बाद अब तक ये फर्म लगभग 16 कंपनियों में कथित गड़बड़ी से संबंधित बड़े खुलासे कर चुकी है. Twitter को लेकर भी इस रिसर्च फर्म ने एक रिपोर्ट जारी की थी. ये रिपोर्ट भी खूब चर्चा में रही थी. 2020 में इसने निकोला को लेकर खुलासा किया था. इससे कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. Nikola एक इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी थी, जिसने निवेशकों को अपने नए व्हीकल्स के बारे में बताते हुए ठगा था, जबकि हकीकत में उसके पास गाड़ियां थीं ही नहीं. 2016 से लेकर अब तक हिंडनबर्ग रिसर्च ऐसी दर्जनों रिपोर्ट जारी कर चुका है, जिसमें उसने किसी न किसी तरह का खुलासा किया है, जिससे कई कंपनियों के शेयर बुरी तरह टूटे हैं. विंस फाइनेंस, चाइन मेटल रिसोर्सेज , एचएफ फूड्स और Riot Blockchain के खिलाफ भी रिसर्च रिपोर्ट जारी कर चुकी है.
हिंडनबर्ग कैसे काम करती है?हिंडनबर्ग में किसी भी कंपनी में हो रही गड़बड़ी का पता लगाकर उस पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाती है और फिर उसे पब्लिश किया जाता है. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार वो सूत्रों से मिली जानकारियों के आधार पर शोध करती है, जिसे ढूंढना बेहद मुश्किल होता है. यह रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग कॉरपोरेट वर्ल्ड में सभी गलत कामों का लेखा-जोखा रखती है और फिर इन कंपनियों के शेयरों की शार्ट सेलिंग से पैसा कमाती है.
अडानी पर क्या खुलासे किए?आपको बता दें कि हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप की शेयर बाजार में लिस्टेड अहम कंपनियों पर काफी कर्ज है. आसमान छूते वैल्यूएशन वाले इन शेयरों को गिरवी रखकर कर्ज लिया गया है, जिससे पूरे ग्रुप की वित्तीय स्थिति मुश्किल में पड़ सकती है. शॉर्ट टर्म में कंपनी को कैश फ्लो के मामले में दिक्कत हो सकती है. अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर बहुत महंगे हैं. इनका वैल्यूएशन आसमान पर है. इसलिए फंडामेंटल एनालिसिस के हिसाब से इनमें 85 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ 4 बड़ी जांच हो चुकी हैं. जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी और करप्शन जैसे आरोप लगे थे. अडानी परिवार के सदस्यों पर कथित तौर पर टैक्स हेवेन, जैसे- मॉरिशस, यूएई, कैरिबियाई द्वीप समूहों में फर्जी कंपनियां खोलने के भी आरोप हैं. हालांकि, अडानी समूह ने इसे पूरी तरह से भ्रामक रिपोर्ट करार दिया है.
वीडियो: खर्चा पानी: हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए