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मुकेश अंबानी खोलेंगे सैलून आउटलेट्स, इस कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने वाले हैं!

एक्सपर्ट्स का कहना है कि सैलून सेगमेंट में काफी संभावनाएं हैं और रिलायंस सही समय पर इस सेगमेंट में प्रवेश कर रही है.

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Mukesh Ambani
मुकेश अंबानी. (फाइल फोटो)
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प्रदीप यादव
4 नवंबर 2022 (Updated: 4 नवंबर 2022, 21:27 IST)
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मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की अगुवाई वाली रिलायंस रिटेल (Reliance Retail) सैलून कारोबार में उतरने के लिए तैयार है. इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस रिटेल नेचुरल्स सैलून एंड स्पा में लगभग 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत कर रही है. चेन्नई स्थित नेचुरल्स सैलून एंड स्पा कंपनी, हिंदुस्तान यूनिलीवर ग्रुप के लैक्मे और अन्य रीजनल ब्रांडों जैसे एनरिच और गीतांजलि के साथ सीधे कॉम्पटिशन में है. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटी को इसकी जानकारी दी है. 

इधर, कंपनी के अधिकारी ने बताया कि रिलायंस रिटेल, नेचुरल सैलून और स्पा चलाने वाली कंपनी ग्रूम इंडिया सैलून एंड स्पा में 49 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करके एक जॉइंट वेंचर में उतरने के लिए सौदे के अंतिम चरण में है. कंपनी के अधिकारी ने इकॉनमिक टाइम्स से कहा, 

"पूरे भारत में उनके करीब 700 आउटलेट हैं और रिलायंस इसे चार-पांच गुना बढ़ाना चाहती है." 

इकॉनमिक टाइम्स की इस खबर में नेचुरल सैलून एंड स्पा के CEO सीके कुमारवेल के हवाले से कहा गया है कि बातचीत अभी शुरुआती चरण में है. उन्होंने कहा कि कोविड -19 महामारी ने हर तरह के बिजनेस को प्रभावित किया और सैलून कारोबार शायद सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है. भारत में 20,000 करोड़ रुपये के सैलून उद्योग में लगभग 65 लाख लोग जुड़े हुए हैं. इसमें बड़े ब्यूटी पार्लर और छोटी दुकानें भी शामिल हैं. इधर रिलायंस रिटेल के एक प्रवक्ता ने इस पर कोई जानकारी नहीं दी है. प्रवक्ता ने कहा कि हमारी पॉलिसी है कि हम मीडिया की अटकलों और अफवाहों पर टिप्पणी नहीं करते हैं. 

रिलायंस रिटेल ने सौंदर्य उत्पादों के लिए स्टैंडअलोन स्टोर खोलने की भी योजना बनाई है. पिछली तिमाही में, उसने मयूरी कुमकुम में बहुमत हिस्सेदारी हासिल कर ली. यह कंपनी इनसाइट कॉस्मेटिक्स की मालिक है. फ्रेंचाइज इंडिया के चेयरमैन गौरव मार्या ने कहा कि सैलून सेगमेंट में काफी संभावनाएं हैं और रिलायंस सही समय पर इस सेगमेंट में प्रवेश कर रही है. ज्यादातर सैलून फ्रैंचाइजी मॉडल पर चलते हैं और इस स्पेस में फाइनेंशियल इन्वेस्टर्स को आकर्षित करने के अलावा बड़ी संगठित कंपनियों द्वारा इस तरह के और अधिग्रहण देखे जा सकते हैं.

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