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प्राइवेट कर्मचारियों की पेंशन क्या बढ़ने वाली है? अब तो सरकार ने सब कुछ बता दिया!

EPS-95 पेंशनभोगी काफी समय से पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. फिलहाल EPS-95 के तहत न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये प्रति माह है. अब इस मसले पर सरकार का जवाब आया है.

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EPS-95 पेंशन वाला मामला संसद में उठाया गया है (फोटो क्रेडिट: Aaj tak)
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प्रदीप यादव
18 दिसंबर 2025 (Updated: 18 दिसंबर 2025, 07:52 PM IST)
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रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन बुढ़ापे की लाठी मानी जाती है. लेकिन प्राइवेट सेक्टर के लाखों रिटायर कर्मचारियों (EPS-95 पेंशनभोगियों) की पेंशन की गुत्थी अब भी सुलझती नहीं दिख रही है. अब ये मामला संसद तक भी पहुंच गया है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 दिसंबर को लोकसभा में न्यूनतम पेंशन बढ़ाने में हो रही देरी और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार पेंशन फिक्सेशन लागू न होने को लेकर सवाल उठाए गए. पेंशन फिक्सेशन का मतलब होता है रिटायरमेंट के समय किसी कर्मचारी की पेंशन को सही तरीके से तय करना यानी कर्मचारी को उसकी सैलरी, नौकरी की अवधि और दूसरे नियमों के आधार पर कितनी मासिक पेंशन मिलेगी इसका अंतिम निर्धारण.

EPS पेंशनभोगी क्या मांग कर रहे हैं?

EPS-95 पेंशन भोगी काफी समय से पेंशन की राशि बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. फिलहाल EPS-95 के तहत न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये प्रति माह है. पेंशनर्स इसे बढ़ाकर कम से कम 7500 रुपये करने की मांग कर रहे हैं. इसके साथ महंगाई भत्ता (DA), फैमिली पेंशन और मुफ्त में इलाज जैसी मांग कर रहे हैं.

EPS-95 क्या है?

EPS-95 एक कर्मचारी पेंशन योजना है. जो लोग प्राइवेट कंपनियों में काम करते हैं तो ये कंपनियां कर्मचारियों की सैलरी से हर महीने प्रॉविडेंट फंड (पीएफ) के मद में कुछ पैसा काटती हैं. मौजूदा पीएफ नियमों के मुताबिक कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता (DA) का 12% हर महीने PF के रूप में कटता है. इतनी ही राशि यानी 12% योगदान नियोक्ता (कंपनी) भी करता है. हालांकि, नियोक्ता के इस 12% हिस्से का पूरा पैसा PF खाते में नहीं जाता, बल्कि इसे दो हिस्सों में बांटा जाता है. 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना (EPS-95) में जमा होता है, जिससे रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन मिलती है, जबकि शेष 3.67% कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) खाते में जाता है. केंद्र सरकार 15,000 प्रति माह तक के वेतन पर अतिरिक्त 1.16% की सहायता देती है, जिससे पेंशन फंड बनता है. 

इसी जमा फंड से कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन दी जाती है. हमें मालूम ही है कि पीएफ की देखभाल का काम इंप्लॉयी प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (ईपीएफओ) करता है. यह पैसा इसलिए कटता है कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन मिल सके. संसद में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, देशभर में करीब 78 लाख पेंशनभोगी हैं. लेकिन इन पेंशनर्स की पेंशन साल 2014 से नहीं बढ़ी है जबकि जीवनयापन की लागत काफी बढ़ चुकी है. इसलिए पेंशनर्स की लगातार मांग है कि सरकार उनकी पेंशन की रकम बढ़ाए.

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सरकार Pension क्यों नहीं बढ़ा रही?

इंडिया टुडे में छपी में खबर बताती है कि सरकार का कहना है कि पेंशन फंड की समीक्षा हर साल की जाती है. पिछली बार की गई समीक्षा के अनुसार पेंशन फंड एक्चुअरियल घाटे में चल रहा है. जब किसी पेंशन या बीमा फंड के पास भविष्य में दी जाने वाली कुल रकम के मुकाबले पर्याप्त पैसा नहीं होता, तो उसे एक्चुरियल घाटा कहा जाता है. मान लीजिए किसी पेंशन फंड को अगले 30–40 साल में अपने सदस्यों को कुल 10,000 करोड़ रुपये पेंशन के रूप में देने हैं. लेकिन एक्चुरियल गणना बताती है कि मौजूदा योगदान और निवेश से सिर्फ 8,000 करोड़ रुपये का ही इंतजाम हो पाएगा. ये 2,000 करोड़ का अंतर ही एक्चुरियल घाटा कहलाता है. 

केंद्र सरकार ने कहा कि इस कमी के कारण न्यूनतम पेंशन में तेजी से वृद्धि करना या इसे महंगाई से जोड़ना मुश्किल हो जाता है. इस तरह से सरकार ने अपनी वित्तीय हालत स्पष्ट की है, लेकिन सरकार ने पेंशन बढ़ाने को लेकर कोई टाइम लाइन नहीं तय की है. साथ ही न महंगाई भत्ता (DA) और चिकित्सा सुविधाएं देने को लेकर कोई समय-सीमा घोषित की. EPS-95 पेंशनधारकों के लिए सरकार का ये ताजा जवाब बताता है कि तत्काल सरकार की योजना हाल फिलहाल पेंशन बढ़ाने की नहीं हैं.

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