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होटल बुक करने पर GST दी? अब बुकिंग कैंसिल पर भी GST दो

कैंसिलेशन पर उतना ही GST चुकाना पड़ेगा, जितना बुकिंग के टाइम दिया था.

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बुकिंग कैंसिलेशन पर भी GST देना होगा. (फोटो: सोशल मीडिया)
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मुरारी
5 अगस्त 2022 (Updated: 5 अगस्त 2022, 04:30 PM IST)
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अगर आपने होटल या ट्रेन का टिकट (Train Ticket) बुक कराया और आपका मन बदल गया या किसी और वजह से आपने बुकिंग कैंसिल करा दी, तो अब ये आपकी जेब पर भारी पड़ेगा. दरअसल, सरकार ने साफ कर दिया है कि होटल या ट्रेन का टिकट कैंसिल कराने पर आपको जीएसटी (GST) चुकाना होगा. जीएसटी की दर वही रहेगी, जो बुकिंग के समय आपने चुकाई थी. 

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय के टैक्स रिसर्च यूनिट ने इस बारे में एक सर्कुलर जारी किया है. सर्कुलर में कहा गया है कि फर्स्ट क्लास या एसी कोच टिकट के लिए कैंसिलेशन चार्ज पर पांच फीसदी जीएसटी लगेगा, जो टिकट पर लगया जाने वाला रेट है.

इन बुकिंग पर नहीं लगेगा GST

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं कस्टम बोर्ड ने साफ किया है कि धार्मिक स्थलों से जुड़े सरायों या विश्राम गृहों में रूम किराये पर लेने पर पहले की तरह जीएसटी से छूट जारी है. साथ ही बोर्ड ने मीडिया में छपी उन खबरों को गलत बताया है, जिनमें ये यह दावा किया गया है कि धार्मिक स्थलों से जुड़े विश्राम गृहों और सरायों पर सरकार ने जीएसटी लगा दी है.

बोर्ड की तरफ से जारी ट्वीट में कहा गया है कि जीएसटी काउंसिल की चंडीगढ़ में हुई 47वीं बैठक में जो फैसला लिया गया, उसके मुताबिक अगर किसी साधारण होटल या विश्राम गृह में एक हजार रुपये से कम किराये का कमरा बुक किया जाता है, तो उसपर जीएसटी की पहले से जारी छूट खत्म कर दी गई और 12 फीसदी जीएसटी लगाने का फैसला किया गया है. लेकिन बोर्ड के मुताबिक ये फैसला किसी धार्मिक स्थल से जुड़े विश्राम गृह पर लागू नहीं होता है.

जीएसटी काउंसिल ने चंडीगढ़ में आयोजित अपनी बैठक में फैसला किया था कि एक हजार रुपये प्रतिदिन से कम कीमत वाले होटल कमरों पर 12 फीसदी का टैक्स लगाया जाएगा. 18 जुलाई, 2022 को एक हजार रुपये से कम किराए वाले कमरे पर जीएसटी प्रस्ताव के लागू होने के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) द्वारा संचालित कुछ सरायों ने एक हजार रुपये से कम किराये वाले कमरों के लिए जीएसटी जुटाना शुरू कर दिया था.

वीडियो- बंपर GST कलेक्शन के बावजूद राज्यों को पैसा देने से क्यों करता रहा केंद्र?

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