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'Sin, Compensation, Nil और ITC', ये चार बातें समझ लीं तो GST के सारे कंफ्यूजन दूर हो जाएंगे

GST में बड़े सुधारों का एलान किया गया है. इसके तहत 12 और 28 फीसदी के टैक्स स्लैब को हटा दिया गया है. इसके अलावा 40 फीसदी का सिन टैक्स इंट्रोड्यूस किया गया है, जो उन चीजों पर लगेगा, जो इंसानों की सेहत पर असर डालते हैं.

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Sin Goods GST
सिन गुड्स पर सरकार ने 40 फीसदी टैक्स लगाया है (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
4 सितंबर 2025 (Published: 07:39 PM IST)
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एक आयरिश लेखक हुए Oscar Wilde (ऑस्कर वाइल्ड). उन्होंने कहा था, ‘असली ‘गुनाह’ सिर्फ मूर्खता है, जिस पर अगर टैक्स लगता तो सरकार को बेहिसाब कमाई होती.’ लेकिन मूर्खता पर कोई Tax नहीं है. ‘गुनाह’ यानी ‘Sin’ पर 40 फीसदी का टैक्स (Good And Service Tax) सरकार ने लगाया है. ये गुनाह चोरी, डकैती या मर्डर नहीं है. Tax की बात आती है तो ‘गुनाह’ का मतलब कुछ और होता है. ऐसा गुनाह जिस पर सजा नहीं दी जा सकती. जिन पर सिर्फ ‘नैतिक विवाद’ (Moral Dispute) होता है. कानूनी प्रतिबंध (Legal sanction) नहीं होता. जिस पर रोक भी नहीं लगाई जा सकती. जिसे सिर्फ ‘हतोत्साहित’ किया जा सकता है. यह ‘हतोत्साह’ कैसे होता है? जागरूकता फैलाकर या ज्यादा से ज्यादा टैक्स लगाकर. 

सरकार यही दोनों काम करती भी है. यही कारण है कि GST को 5 और 18 फीसदी के स्लैब में समेटने के बाद भी कुछ चीजों पर 40 फीसदी का टैक्स लगाया गया है. इनको ‘Sin Goods’ कहा जाता है, जिसमें तंबाकू (Tobbacco) और सिगरेट (Cigarette) जैसी चीजें आती हैं.

लेकिन, सवाल है कि 'Sin' ही क्यों? क्या सरकार मानती है कि सिगरेट पीना ‘गुनाह’ है? या तंबाकू लेना ‘अपराध’ है?

नहीं. सरकार किसी पर यह 'आक्षेप' लगाने का अधिकार नहीं रखती लेकिन फिर भी इन्हें Sin Goods कहा जाता है तो इसके पीछे खास वजह है. इसके बारे में जानना है तो हमें समय की धारा में थोड़ा पीछे जाना होगा.  

‘Sin Tax’ का जब पहली बार इस्तेमाल हुआ तो इसका किसी सरकारी टैक्स से कोई लेना देना नहीं था. ‘द गार्जियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहली बार साल 1901 में इस Phrase का प्रयोग किया गया था. उस समय अमेरिका में महिलाओं की एक सोसाइटी ने Slang Words (अपशब्द) यूज करने पर जुर्माना लगाने का नियम बनाया था. एक लड़की पर इसके आरोप लगे और उसे जुर्माना भरना पड़ा. पैसे देते हुए उसने मजाक में कहा- 'ये मेरा Sin Tax है.' यहीं से इस शब्द की उत्पत्ति कही जा सकती है.

तब राजनीतिक तौर पर इसे इस्तेमाल नहीं किया जाता था. इसके बहुत बाद में तंबाकू, शराब और जुए पर टैक्स के लिए इसका प्रयोग किया गया. 

ये 1948-52 के बीच की बात है जब पहली बार अमेरिका में ड्वाइट आइजनहावर (Dwight Eisenhower) के चीफ ऑफ स्टाफ शेरमन एडम्स (Sherman Adams) ने शराब और तंबाकू जैसे उत्पादों पर टैक्स लगाना शुरू किया. उस समय वह न्यू हैम्पशायर (New Hampshire) के गवर्नर थे. 

हालांकि, सिगरेट, तंबाकू और शराब पर टैक्स की बात इससे भी पुरानी है. 

बिजनेस स्टैंडर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 1776 में अर्थशास्त्र के जनक माने जाने वाले एडम स्मिथ (Adam Smith) ने कहा था कि शराब, सिगरेट और चीनी पर टैक्स लगाना सही है. हालांकि, इसे उन्होंने Sin Tax नहीं कहा लेकिन इसका मकसद सीधे तौर पर लोगों को नुकसानदेह चीजों से दूर रखना और सरकारी रेवेन्यू बढ़ाना था. इसी मकसद से 1791 में अमेरिका के संस्थापक कहे जाने वाले अलेक्जेंडर हैमिल्टन (Alexander Hamilton) ने भी शराब पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया था ताकि सरकार की कमाई हो और इसकी खपत भी घटे. टैक्स लागू हुआ तो इसका जमकर विरोध भी हुआ. किसानों ने विद्रोह कर दिया, जिसको बलपूर्वक दबाना पड़ा.

पहली बार इस तरह के टैक्स को 'Sin' कहना कब शुरू किया गया, इस बारे में साफ-साफ नहीं कहा जा सकता लेकिन इस तरह के टैक्स को लेकर सरकार और करदाताओं के बीच खींचतान पुरानी बात है. इसका विरोध करने वाले मानते हैं कि इससे सरकार बेवजह लोगों पर नैतिक दबाव डालती है कि वो क्या करें और क्या न करें. कुछ लोग मानते हैं कि शुरुआत में यह टैक्स चीजों की खपत को कम करता है लेकिन बाद में इसके कालाबाजारी के तरीके भी निकल आते हैं. इससे समाज में अपराध की दर और बढ़ने का खतरा होता है.

‘Sin Tax’ को कुछ लोग तंज में इस्तेमाल करते हैं. उनका मानना है कि सरकार का ये काम नहीं है कि वह लोगों की ‘चीजों और हैबिट्स’ पर निगरानी रखे. कहा जाता है कि ऐसी स्कीम के विरोध में भी ‘Sin Tax’ जैसे शब्दों का चलन बढ़ा है. 

भारत में Sin टैक्स

भारत में Sin टैक्स की शुरुआत 1950 के दशक से मानी जाती है, जब शराब और तंबाकू जैसे उत्पादों पर ये टैक्स लगाया गया था. बाद में साल 2017 में जब GST लागू हुआ, तब Sin Goods को 28 प्रतिशत वाले हाइएस्ट टैक्स स्लैब में रखा गया. इसके अलावा इस पर कंपंसेशन सेस (Compenstation Cess) भी लगाया जाता था. 

कंपंसेशन सेस क्या है?

कंपंसेशन सेस एक अतिरिक्त टैक्स है. यह GST लागू होने के बाद राज्यों को रेवेन्यू में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए लगाया जाता है. सिर्फ Sin या लग्जरी गुड्स पर ये सेस लगाए जाते हैं. जब GST लागू नहीं हुआ था तब केंद्र के अलावा राज्य भी सामानों पर टैक्स लेते थे. लेकिन GST की केंद्रीय व्यवस्था आने के बाद से राज्यों का यह अधिकार छिन गया. इसकी भरपाई के लिए लग्जरी सामानों पर कंपंसेशन सेस लगाया गया. इससे जो पैसा आता है, वह राज्यों को हुए नुकसान के आधार पर वितरित किया जाता है.  

2019 में आया था Sin tax का सुझाव

अब Sin Tax पर आते हैं. सबसे पहले मार्च 2019 में अरविंद सुब्रमनियन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने भारत सरकार को सुझाव दिया था कि GST में कुछ सामानों पर 40 प्रतिशत का Sin Tax लगाया जाए. जिसे अब 6 साल बाद सरकार ने मंजूर कर लिया है. GST की नई दरों में सिन गुड्स पर 40 फीसदी का टैक्स लगा दिया गया है. जिन चीजों पर ये टैक्स लगेगा वो हैं-

पान मसाला

सिगरेट

गुटखा

तंबाकू चबाने वाला

कच्चा तंबाकू और उसका कचरा

सिगार, चेरूट, सिगारिलो

तंबाकू के तमाम ऑप्शन

सोडा वाली ड्रिंक

कार्बोनेटेड ड्रिंक (फ्रूट बेस वाली भी)

कैफीन वाली ड्रिंक

1200 सीसी से बड़ी पेट्रोल कारें या 1500 सीसी से बड़ी डीजल कारें

350 सीसी से बड़ी मोटरसाइकिलें

यॉट (नाव)

निजी इस्तेमाल के लिए हवाई जहाज

रेसिंग कारें

ऑनलाइन जुआ और गेमिंग प्लेटफॉर्म

बीमा पर NIL GST क्या है 

Sin Tax GST का सबसे उच्चतम स्लैब है, जो लग्जरी सामानों पर लगाया जाएगा. लेकिन कुछ ऐसी चीजें भी हैं, जो आम जनता के लिए बहुत जरूरी की कैटिगरी में आती हैं. जैसे, हेल्थ इंश्योरेंस. इस पर सरकार ने Nil GST का फैसला किया है. यानी, अभी तक जीवन बीमा या स्वास्थ्य बीमा लेने या उसे रिन्यूअल कराने के दौरान प्रीमियम पर 18 फीसदी का जो GST देना पड़ता था, अब वह नहीं देना पड़ेगा.

जैसे, अगर किसी की सालाना प्रीमियम 20 हजार रुपये है तो उसे इसका 18 फीसदी यानी 3 हजार 600 रुपये टैक्स के रूप में और देना पड़ता था. यानी कुल मिलाकर 23 हजार 600 रुपये खर्च करने पड़ते थे. अब छूट मिलने के बाद ग्राहक सिर्फ उतना ही प्रीमियम देंगे जितना बीमा कंपनी बताएगी. उस पर कोई GST नहीं लगेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पॉलिसी की कीमत करीब 15% तक घट जाएगी, जिससे यह ज्यादा लोगों की पहुंच में आ जाएगी और देश में बीमा लेने वालों की संख्या बढ़ेगी.

इंडिया टुडे को बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ डॉक्टर तपन सिंघल बताया कि ये ऐतिहासिक फैसला है. सरकार के इस कदम से इलाज का सुरक्षा कवच आम लोगों के लिए ज्यादा सस्ता और आसान होगा. खासकर तब जब इलाज का खर्च लगातार बढ़ रहा है.

बीमा के अलावा रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली कई और चीजों को भी टैक्स से मुक्त कर दिया है. इसमें अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर दूध, पनीर और सभी भारतीय ब्रेड जैसे रोटी, चपाती और पराठे शामिल हैं. इन पर अब कोई GST नहीं लगेगा. स्वास्थ्य क्षेत्र में भी 33 जीवनरक्षक दवाओं को 12 फीसदी से घटाकर Nil (शून्य) टैक्स स्लैब में डाल दिया गया है. साथ ही कैंसर, दुर्लभ और गंभीर बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली तीन अहम दवाओं को भी पूरी तरह से टैक्स से छूट दी गई है.

ITC क्या होता है?

GST की नई दरें आने के बाद से इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) को भी लेकर चर्चा है. यह खासतौर पर बिजनेस करने वाले लोगों के लिए है. मतलब अगर आपने बिजनेस के लिए कोई सामान खरीदा और उस पर टैक्स दिया. बाद में उसे बेचने पर दोबारा टैक्स दिया. इस पूरी प्रक्रिया में आपको नुकसान न हो और दोहरा टैक्स न देना पड़े, इसके लिए आईटीसी की व्यवस्था की गई है.

जैसे मान लीजिए आपने 100 रुपये की कोई चीज व्यापार के लिए खरीदी. उस पर 18 फीसदी का टैक्स लगाकर 118 रुपये में सामान आपको मिला. अब आप उसे 200 रुपये में बेच रहे हैं और फिर उस पर 18 फीसदी का टैक्स लगता है और कीमत 236 रुपये हो जाती है. आपको सरकार को बिक्री पर कुल 36 रुपये टैक्स देना है लेकिन आपने 18 रुपये पहले भी दिया है. ऐसे में दूसरे टैक्स में से पहले टैक्स को घटाकर जितना बचता है, वही आपको सरकार को देना होगा. यही इनपुट टैक्स क्रेडिट है.

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