अब आपके बैंक खाते, ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट तक देख सकेंगे इनकम टैक्स अधिकारी
आयकर अधिनियम 2025 (Income Tax Bill, 2025) में इनकम टैक्स अधिकारियों को आपकी इन सभी निजी जानकारियों तक पहुंचने का कानूनी अधिकार मिल जाएगा.
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अगले वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल, 2026 से इनकम टैक्स अधिकारी आपके बैंक खाते, ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी, क्लाउड स्टोरेज और ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तक में ताक झांक कर सकते हैं. इंडिया टुडे की पत्रकार दिव्या भाटी की एक खबर में बताया गया है कि नए आयकर अधिनियम, 2025 (Income Tax Act, 2025) में इनकम टैक्स अधिकारियों को आपकी इन सभी निजी जानकारियों तक पहुंचने का कानूनी अधिकार मिल जाएगा.
इसका मतलब ये हुआ कि इनकम टैक्स के अधिकारी आपके बैंक अकाउंट की डिटेल देख सकेंगे. जैसे आपके खाते में कितना पैसा है, ये पैसा कहां से आया, किसने भेजा, वगैरा-वगैरा. आपके ई-मेल को चेक कर सकेंगे. आपके सोशल मीडिया अकाउंट्स पोस्ट के जरिये ये पता लगा सकेंगे कि आपने कौन सी गाड़ी खरीदी या किस शहर में कौन- सी प्रॉपर्टी खरीदी आदि.
आपके क्लाउड स्टोरेज, जैसे Google Drive, iCloud और Dropbox वगैरा में रखी फाइलें देख सकेंगे. इसके अलावा आपके ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट्स की जानकारी, जैसे कि आपने किस कंपनी के शेयर खरीदे हैं, कितने शेयर खरीदें हैं, क्रिप्टोकरेंसी में कितना पैसा लगाया है या म्यूचुअल फंड में कितना निवेश किया है, ये सब जानकारी भी ले सकेंगे.
इस खबर में कहा गया है कि नए कानून आयकर विभाग को ज्यादा अधिकार मिलने वाले हैं. रिपोर्ट के मुताबिक अगर अधिकारियों को लगता है कि आपने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को अपनी इनकम के बारे में ठीक से जानकारी नहीं दी है. माने विभाग को शक है कि आपने टैक्स चोरी की है तो अधिकारियों को आपकी ये सब जानकारियां चेक करने का अधिकार होगा. अभी तक इनकम टैक्स विभाग अधिकारी छापेमारी के दौरान कैश, गहने और कागजी दस्तावेज कब्जे में ले सकते हैं.
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अभी इनकम टैक्स की छापेमारी इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 132 के तहत की जाती है. अगर टैक्स अधिकारियों के पास किसी व्यक्ति या संस्था की अघोषित संपत्ति या इनकम की ठोस जानकारी होती है, तो वे उसके घर, दफ्तर या अन्य जगहों पर छापा मार सकते हैं. इस दौरान इनकम टैक्स अधिकारी नकद, सोना-चांदी, ज्वेलरी, कागजी दस्तावेज और प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड जब्त कर सकते हैं. लेकिन नए कानून के तहत इनकम टैक्स अधिकारियों का दायरा अब केवल अलमारियों और लॉकरों तक सीमित नहीं रहेगा. वे आपके ईमेल में आए या भेजे गए मैसेज से लेकर बाकी आनलाइन गतिविधियां तक देख सकेंगे.
सरकार ऐसा क्यों कर रही है?
सरकार का कहना है कि आजकल पैसों का लेन-देन काफी हद तक ऑनलाइन हो चुका है. कई लोग विदेशी कंपनियों के शेयर खरीदते -बेचते हैं. कुछ लोग क्रिप्टोकरेंसी में ट्रेडिंग करते हैं. कई ऐसे लोग भी हैं जो ऑनलाइन बिजनेस करते हैं. डिजिटल वॉलेट से लेनदेन कर रहे हैं. इनमें से कई लोग ऐसे हैं जो अपनी कमाई के बारे में सरकार को ठीक से जानकारी नहीं देते हैं. इसलिए अब इनकम टैक्स डिपार्टमेंट डिजिटल स्पेस में भी अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
हालांकि ऐसा नहीं है कि कोई इनकम टैक्स अधिकारी जब चाहे तब आपके बैंक, ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट को खोल लेगा. इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों को रैंडम या खुली छूट नहीं मिलेगी. बल्कि जैसे किसी के घर पर छापा मारने से पहले वजह बतानी पड़ती है, उसी तरह किसी भी टैक्सपेयर का डिजिटल एक्सेस पाने के लिए अधिकारियों को यह साबित करना होगा कि उन्हें सच में शक है कि कोई व्यक्ति आय छुपा रहा है या टैक्स चोरी कर रहा है.
हालांकि डिजिटल सर्च को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं. कई लोगों का कहना है कि ई-मेल और सोशल मीडिया अकाउंट व्यक्ति की प्राइवेट लाइफ से सीधे जुड़े होते हैं, इसलिए अगर ठीक से निगरानी नहीं हुई, तो इन अधिकारों का दुरुपयोग भी हो सकता है. इस रिपोर्ट ये भी कहा गया है कि अगर कोई आदमी ठीक तरीके से इनकम टैक्स रिटर्न भरता है. अपनी इनकम के बारे में ठीक जानकारी देता है , तो घबराने की जरूरत नहीं है.
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