मारुति WagonR, Alto K10, S‑Presso जैसी कारें बनाना बंद कर देगी? वजह CAFE-3 नियम होंगे
मारुति सुजुकी इंडिया के एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि अगर कार्बन उत्सर्जन के मानकों में बदलाव नहीं किया गया तो कंपनी 909 किलोग्राम से कम वजन वाली छोटी कारों को बनाना और बेचना बंद कर देगी.
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क्या मारुति की सबसे ज्यादा बिकने वाली छोटी कारें, जैसे आल्टो (Alto K10) की बिक्री बंद हो जाएगी? क्या वैगन आर (WagonR) , एस-प्रेसो (S‑Presso), इग्निस (Ignis) और सिलेरियो (Celerio) बंद होने वाली हैं? देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी के अधिकारी का एक बयान तो इसी तरफ इशारा कर रहा है.
दरअसल, बिजनेस स्टैंडर्ड के पत्रकार दीपक पटेल की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मारुति सुजुकी इंडिया (MSIL) के एक वरिष्ठ अधिकारी (कारपोरेट अफेयर्स) राहुल भारती का कहना है कि आगामी CAFE-3 नियम ‘अवैज्ञानिक और अनुचित’ हैं. राहुल ने कहा कि अगर कार्बन उत्सर्जन के मानकों में बदलाव नहीं किया गया तो कंपनी 909 किलोग्राम से कम वजन वाली छोटी कारों को बनाना और बेचना बंद कर देगी.
क्या है इस विवाद की जड़ ?
ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी (BEE) ने जून 2024 में CAFE -3 नियमों का ड्राफ्ट जारी किया था. CAFE का पूरा नाम है- कारपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी. इसके तहत कार कंपनियों को औसत ईंधन खपत और कार्बन उत्सर्जन से जुड़े नियम कायदों का पालन करना होता है. इसके पीछे मंशा ये रहती है कि गाड़ियों की ईंधन खपत कम हो और पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे. अगर वाहन बनाने वाली कोई कंपनी नियमों का पालन ठीक से नहीं करती, तो ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी ऐसी कंपनियों पर मोटा जुर्माना लगा सकता है. CAFE-3 के ये नियम अप्रैल 2027 से लागू होंगे.
लेकिन इन नियमों के लागू होने से पहले मारुति सुजुकी ने CAFE का दरवाजा खटखटाया और वजन के आधार पर छोटी कारों के लिए राहत मांगी थी. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद 25 सितंबर, 2025 को बीईई ने मारुति की मांग पर पहली बार वजन के आधार पर छूट को शामिल करते हुए एक और ड्राफ्ट जारी किया. नए मसौदे नियमों के मुताबिक, कुल कार्बन डाईऑक्साइड (CO₂) उत्सर्जन को 113 ग्राम प्रति किलोमीटर से घटाकर 91.7 ग्राम प्रति किलोमीटर करने का लक्ष्य रखा गया. इसके अलावा चार मीटर से छोटी, 909 किलोग्राम वजन से कम और 1,200 सीसी से कम क्षमता वाली पेट्रोल कारों को (CO₂) उत्सर्जन की गणना में 3 ग्राम की छूट दी जाएगी.
हालांकि मारुति इस छूट से संतुष्ट नहीं दिखती. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मारुति सुजुकी का कहना है कि जितनी छूट की मांग की गई थी बीईई ने उतनी छूट नहीं दी. अब मारुति सुजुकी के सीनियर अधिकारी राहुल भारती ने कहा है कि 3 ग्राम प्रति किलोमीटर की छूट का कोई मतलब नहीं है. कंपनी ने मांग की थी कि छोटी कारों के लिए बीईई को अलग से नियम बनाने चाहिए. हालांकि भारती ने ये नहीं बताया कि मारुति ने इससे ज़्यादा कितनी छूट की मांग की थी.
उधर, कई वाहन कंपनियों ने इस वजन-आधारित छूट का विरोध करना शुरू कर दिया. इन कंपनियों का कहना है कि इस नियम से उन वाहन कंपनियों को फायदा मिलेगा जिनकी गाड़ियों का बड़ा हिस्सा 909 किलो से नीचे है. इस बारे में टाटा मोटर्स और महिंद्रा ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को एक पत्र भी लिखा था. इस पत्र में प्रस्तावित वजन-आधारित उत्सर्जन छूट को "मनमाना" बताया गया था.
हाल ही में टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स (TMPV) के एमडी और सीईओ शैलेश चंद्रा ने कहा था कि CAFE-3 में बदलाव करने या कारों की किसी भी कैटेगरी को रियायत देने का औचित्य नहीं बनता है. मौजूदा CAFE-2 नियम, जो कि मार्च 2027 तक लागू हैं, इनमें छोटी कारों के लिए कोई अलग मानक नहीं है.
इस पर पलटवार करते हुए मारुति सुजुकी के कारपोरेट अफेयर्स विभाग के सीनियर अधिकारी राहुल भारती ने कहा, “कुछ बड़ी गाड़ियां बनाने वाली और ज्यादा तेल की खपत करने वाली कंपनियां गलत जानकारी फैलाकर अपनी बड़ी कारों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही हैं. सुनने में आ रहा है कि ये कंपनियां झूठा प्रचार कर रही हैं कि छोटी कारों के लिए कैफे-3 नियमों में छूट दी गई है."
उन्होंने आगे कहा, “दुनिया के 90% से ज्यादा देशों में छोटी कारों को छूट दी जाती है.”
राहुल ने कुछ उदाहरण देते हुए समझाया कि चीन में 1,090 किलोग्राम से कम वजन वाली छोटी कारों को CAFE के तहत छूट मिलती है. यूरोप में 1,115 किलोग्राम से कम वाली कारों के लिए उत्सर्जन के मानक आसान किए गए हैं, जबकि दक्षिण कोरिया में यह सीमा 1,100 किलोग्राम है. इसके अलावा जापान में कार के वजन बढ़ने के साथ उत्सर्जन लक्ष्य में मिलने वाली राहत धीरे-धीरे कम होती जाती है.
अमेरिका वजन की जगह कार के आकार (फुटप्रिंट) को आधार बनाता है. अगर किसी कार की ग्राउंड क्लेयरेंस 41 वर्ग फीट से कम है, तो उसे छोटे वाहन के रूप में माना जाता है और कुछ राहत दी जाती है.
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