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Budget 2021: बैंकों के डूबे पैसों की उगाही के लिए सरकार ने बनाया है ये खास प्लान

इसके लिए सरकार ने 20 हजार करोड़ की व्यवस्था की है.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण. (फाइल फोटो)
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Varun Kumar
1 फ़रवरी 2021 (Updated: 1 फ़रवरी 2021, 02:17 PM IST) कॉमेंट्स
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लगातार बढ़ते NPA (नॉन परफोर्मिंग असेट्स) से परेशान बैंकों के लिए बजट में वित्तमंत्री ने बड़ी घोषणा की. निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में 'बैड बैंक' बनाने की घोषणा की. इस 'बैड बैंक' को DFI यानी डेवलपमेंट फाइनेंस इंस्टीट्यूशन के नाम से जाना जाएगा. इसके लिए बजट में 20 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. पिछले काफी वक्त से बैड बैंक (Bad Bank) की मांग हो रही थी. मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने कहा था कि बैड बैंक बनाने के लिए कई तरह की सावधानियों की जरूरत है. उन्होंने निजी क्षेत्र के नेतृत्व में बैड बैंक की वकालत की थी. हालांकि अब सरकार ने जो फैसला किया है उसके मुताबिक बैड बैंक सरकार की अगुवाई में बनेगा. कुछ दिन पहले ही रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा था कि RBI बैड बैंक के प्रस्ताव पर विचार कर सकता है. ये बैड बैंक आखिर है क्या बला? लोन देने वाले संस्थान काफी वक्त से बैड बैंक की मांग कर रहे हैं. दुनिया के कई देशों में बैड बैंक सक्रिय हैं लेकिन भारत में अभी तक ऐसा कोई सिस्टम नहीं था. बैड बैंक का मतलब ऐसे संस्थान से है जो बैंकों के डूबे पैसों की उगाही करेगा. मतलब NPA की उगाही करेगा. अगर किसी ने बैंक से पैसा लिया है और वापस नहीं किया तो बैड बैंक उससे उगाही करेगा. बैड बैंक इसके लिए हर मुमकिन कोशिश करेगा. मान लीजिए कि बैंक ने अपना काफी पैसा लोन पर दिया लेकिन कर्ज लेने वालों ने पैसा वापस नहीं किया. यानी NPA (Non-performing loan) हो गया. अब ऐसे में बैड बैंक वसूली का ठेका ले लेता है. सबसे पहले वो NPA खरीदता है. यानी बैंक को कुछ पैसे दे देता है. बैंक और बैड बैंक के बीच तय हो जाता है कि वसूली किए गए पैसे में से कुछ अमाउंट बैड बैंक को मिलेगा. आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने ‘बैड बैंक’ के पूरे कॉन्सेप्ट को ‘मोरल हेज़र्ड’ कहा था. यानी ऐसा हो सकता है कि बैंक इसके बाद और खुल कर लोन देने लगें. आखिर बैंकों की कमाई लोन के ब्याज से ही तो होती है. ऐसे में सवाल तो ये भी है ना कि अगर बैड बैंक कोई NPA खरीदे और वसूली ना कर पाए, तो क्या होगा? लेकिन बैंक पहले ही प्रोविजन का प्रावधान रखते हैं यानी ये मान कर चलते हैं कि हमारा कुछ अमाउंट NPA में जा सकता है.

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