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गाड़ी चोरी होने पर ये 4 काम कर लिए तो इंश्योरेंस वाले परेशान नहीं करेंगे

Vehicle Theft: गाड़ी चोरी किसी की भी हो सकती है. इसलिए ये जानना काफी जरूरी है कि गाड़ी चोरी होने पर क्या करना चाहिए. ताकि भविष्य में आपको परेशानी भी न आए और इंश्योरेंस क्लेम करने में भी दिक्कत न हो.

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गाड़ी चोरी होने पर पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराना जरूरी है (फोटो-Pexels)
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रितिका
12 नवंबर 2025 (Published: 02:08 PM IST)
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गाड़ी चोरी होना एक कड़वा सच है. माने आप लाख कोशिश कर लें, चोर अपना कारनामा कर ही जाते हैं. पलक झपकते गाड़ियां चोरी हो जाती हैं. सारे सिक्योरिटी सिस्टम और जीपीएस मॉनिटर धरे के धरे रह जाते हैं.  आए दिन लोगों की गाड़ियां चोरी होती रहती हैं. अब इसको रोकने का कोई सालिड तरीका तो है नहीं. इसलिए कम से कम ये जान लीजिए कि गाड़ी चोरी होने पर क्या करना चाहिए. ताकि आपको आगे कोई परेशानी न आए और इंश्योरेंस क्लेम भी आसानी से मिल जाए.

पुलिस शिकायत जरूरी

गाड़ी चोरी होने पर सबसे पहला काम आपको पुलिस को सूचित करना है. जहां से गाड़ी चोरी हुई है, वहां के नजदीकी पुलिस स्टेशन में गाड़ी चोरी की रिपोर्ट दर्ज करवाइए. इंश्योरेंस कंपनी तब तक चोरी का क्लेम एक्सेप्ट नहीं करती है, जब तक पुलिस में शिकायत दर्ज न हो जाए. शिकायत की कॉपी भी अपने पास जरूर से रख लीजिए. 

इंश्योरेंस कंपनी और क्लेम

एक बार FIR दर्ज होने के बाद इंश्योरेंस कंपनी को इन्फॉर्म करें और क्लेम फाइल करें. लेकिन ये इंश्योरेंस भी कॉम्प्रिहेंसिव होना चाहिए. अगर आपने सिर्फ थर्ड पार्टी इंश्योरेंस लिया है, तो इंश्योरेंस क्लेम आप नहीं कर सकते हैं. क्योंकि ये इंश्योरेंस तीसरे पर्सन के लिए होता है. पर इतना है कि थर्ड पार्टी इंश्योरेंस में भी बीमा कंपनी को इसकी जानकारी देनी होगी. ताकि आपकी चोरी हुई कार से अगर किसी व्यक्ति या प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचता है, तो आप कानूनी परेशानी से बच सके.

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गाड़ी का इंश्योरेंस लेना जरूरी है (फोटो-Pexels)

बाकी, अगर आपके पास कंप्रिहेंसिव इंश्योरेंस है, तो बीमा कंपनी को सारी डिटेल्स बिल्कुल सटीक दीजिए. इंश्योरेंस कंपनी क्लेम को देने से पहले अच्छे से जांच करेगी. अगर आपके पुलिस रिकॉर्ड और आपके व्हीकल इंश्योरेंस के दावे के बीच कोई भी इंफॉर्मेशन ऊपर-नीचे हुई, तो आपको बीमा क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. इसलीय कोशिश करें कि गाड़ी चोरी होने के तुरंत बाद ही पुलिस में FIR दर्ज करवा लीजिए और बीमा कंपनी को भी इन्फॉर्म कर दीजिए.

एक बार आपका क्लेम पास हो गया, तो व्हीकल की IDV यानी इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू के तहत आपको क्लेम मिलेगा. वहीं, अगर आपने रिटर्न टू इनवॉइस (RTI) लिया था, तो आपको व्हीकल की ऑन रोड प्राइस मिलेगी. बाकी, IDV और RTI के बारे में अच्छे से जानने के लिए नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर लीजिए. 

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RTO को सूचित करना

पुलिस कंप्लेन और इंश्योरेंस कंपनी से बात करने के बाद सबसे जरूरी काम है अपने रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) को सूचित करना. मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के तहत ये जरूरी कदम है. इससे व्हीकल की अनधिकृत ओनरशिप ट्रांसफर या किसी भी गलत इस्तेमाल को रोका जा सकता है.

नोन-ट्रेसेबल सर्टिफिकेट

पुलिस की जांच में गाड़ी बरामद नहीं होती, तो पुलिस नॉन-ट्रेसेबल सर्टिफिकेट (NTC) जारी करेगी. ये क्लेम सेटलमेंट में ये डॉक्यूमेंट काफी जरूरी है.  गाड़ी चोरी होने के मामले आए दिन सामने आते हैं. ऊपर से इंश्योरेंस कंपनी इसमें क्लेम देने से पहले भी काफी जांच करती है. अगर इंश्योरर ने आपसे इस दौरान सर्विस की स्लिप मांगी और आप नहीं दे पाए, तब भी आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि जब इंश्योरर आपसे सवाल करें, तो आप सभी चीजों का बिल्कुल सटीक जवाब दें.
 

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