आप सनरूफ को कोस रहे, कारों के ये गजब फीचर्स भी भारत में किसी काम के नहीं!
Useless features in a car: मॉडर्न कारें एक चलते-फिरते फोन की तरह हैं. इनमें इतने फीचर्स दिए जाते हैं कि कई वाहन मालिकों को इनका पता ही नहीं होता है. हालांकि भारत में इन फीचर्स का होना न होना एक बराबर है. आज कुछ ऐसे फीचर्स की बात करेंगे, जो कार में 'बे-कार' के हैं.
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आजकल की कारें एक चलता-फिरता ‘फोन’ हैं. मतलब इतने फीचर्स कारों में दिए जाने लगे हैं कि ओनर कुछ साल चलाकर बेच भी देते हैं लेकिन उन्हें पता नहीं लगता कि उनकी गाड़ी फीचर्स कौन-कौन से थे. कुछ फीचर्स तो ऐसे हैं, जिनका गुणगान तो बहुत होता है. लेकिन अक्सर वो काम के नहीं होते. या कहें भारतीय सड़कों पर काम नहीं आते हैं. आज ऐसे ही कुछ फीचर्स के बारे में बात करते हैं.
कंट्रोल्स सिर्फ टचस्क्रीनजब मॉडर्न कारों की बात हो रही है और उन्हें फोन कहा जा रहा है. तो समझ जाइए कि यहां बटन को हटाकर सब टचस्क्रीन हो गया है. AC चलाना है, तो टचस्क्रीन. गाने की वॉल्यूम बढ़ानी है, तो टचस्क्रीन. सब कुछ ही स्क्रीन पर टच करके करना होता है. कभी-कभी के लिए ये ठीक भी है. पर गाड़ी चलाते हुए कई बार ये टेक्नोलॉजी ड्राइवर का सड़क पर से ध्यान भी भटकाती है. क्योंकि मैनुअल बटन में एक समय बाद उंगलियां खुद समझ जाती है कि कॉल उठाना है, तो कौन-सा बटन दबेगा. AC चलाने के लिए कौन सा बटन दबाना है. पर आजकल कारों में आने वाली टचस्क्रीन कई बार कन्फ्यूजन पैदा कर देती है. ऊपर से अगर हाथ गीले हुए, तो ये काम भी नहीं करते हैं.
ADAS काम का है, पर…ADAS यानी एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम. ऑटो कंपनियों के लिए ये एक सेलिंग प्वाइंट बन चुका है. अक्सर नई कार लॉन्च पर कहा जाता है, हमारी गाड़ी में लेवल 1 ADAS है. लेवल 2 ADAS है. यहां तक कि टू व्हीलर में भी ADAS दिया जाने लगा है. इसमें कोई शक भी नहीं कि ये दुर्घटना को भांपकर ड्राइवर को अलर्ट कर देता है. ऑटोमेटिक ब्रेक लगा देता है. लेकिन जहां भारतीय सड़क पर कोई भी व्यक्ति कैसे भी दूसरी गाड़ी को टेक-ओवर कर देता है. कोई भी चलते हुए गाड़ी के सामने आ जाता है, तो वहां इस फीचर को कई बार ऑफ ही करके रखना पड़ सकता है.

जिन लोगों को पार्किंग में समस्या आती है, उनके लिए ऑटोमेटिक कार पार्किंग फीचर 'वरदान' जैसा है. क्योंकि दो गाड़ी में बिना टक्कर मारे ये फीचर कार को पार्क कर सकता है. लेकिन यहां भी एक पेच है. इंडियन रोड पर अक्सर जहां लोग ‘नो पार्किंग एरिया’ में कार पार्क करते हैं. कैसे भी कार पार्क करते हैं. वहां ये फीचर कैसे सही से काम करेगा? ये भी कार पार्क के लिए सही से स्पेस की मांग करता है. ऊपर से अगर ये कार को पार्क कर भी रहा है, तो समय भी लेता है.
ऑटो स्टॉर्ट-स्टॉप फ्यूल बचाता है!जब ये फीचर सुनने में आता है, तो लगता है कि 'भाई फ्यूल बचेगा'. इंजन खुद ही बंद हो जाएगा. बार-बार खुद से गाड़ी बंद करने की जरूरत नहीं. लेकिन एक बिना ऑटो स्टॉप-स्टार्ट वाली कार अगर अपनी पूरी लाइफ में 5 हजार पर बंद-चालू हो रही है, तो इस फीचर के साथ एक गाड़ी लगभग 50 हजार बार ऑन-ऑफ होती है. और जब-जब इंजन रेड लाइट या ट्रैफिक में बंद होकर चालू होता है, तब-तब ये इंजन पर दबाव भी उतना ही बनाता है. इस वजह से कई लोग इस फीचर को ऑफ ही करके रखते हैं.
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वायरलेस चार्जर से वायर अच्छी?ये फीचर सुनने में काफी रिलैक्सिंग लगता है. माने कि केबल की जरूरत ही नहीं है. बस फोन को चार्जिंग पैड पर रखना है और फोन चार्ज होना शुरू. लेकिन ये फीचर मोबाइल को चार्ज करने में काफी समय लेता है, ऊपर से फोन गर्म भी कर देता है.
इसके अलावा भी कई फीचर्स हैं, जो गाड़ियों में कम ही इस्तेमाल होते हैं. जैसे की सनरूफ. ये सिर्फ देखने भर के लिए सही है. लेकिन हर जगह गाड़ी की छत भी नहीं खोली जाती है. शायद ही ऐसे कुछ लोग होंगे, जो सनरूफ को हमेशा ओपन करके रखते हैं. ऊपर से ये सेफ्टी के लिहाज से भी थोड़ी रिस्की है.
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