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RO Water पीते हैं तो डॉक्टर की ये सलाह बिल्कुल भी मिस ना करें

अगर आरओ का पानी (RO Water) लंबे समय तक इस्तेमाल किया जाए तो ये हमारे शरीर के लिए फायदेमंद नहीं है. कैसे खाना बनाने में इसका नुकसान है? सब कुछ जानिए.

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why pure ro drinking water is not good for health
RO का पानी थोड़ा एसिडिक होता है.
9 मई 2024 (Updated: 12 मई 2024, 15:43 IST)
Updated: 12 मई 2024 15:43 IST
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हम सब चाहते हैं हमारे घर में पीने का पानी एकदम साफ़ आए. इसलिए अपने घरों में महंगे-महंगे RO लगवा लेते हैं. RO यानी रिवर्स ओस्मोसिस. यह एक तरह की मशीन होती है, जो मोटर के पानी की सफ़ाई करती है. स्वाद की बात करें तो RO के पानी का टेस्ट थोड़ा कड़वा होता है. अब तक हर कोई यही मानता आया है कि RO का पानी सबसे बेस्ट होता है. अब आखिर जब ये मशीन पानी को साफ़ करती है, तो एकदम शुद्ध और बढ़िया पानी ही मिलता होगा. पोषक तत्वों से भरपूर. लेकिन, ऐसा नहीं है. कई एक्सपर्ट ये कह चुके हैं कि RO के पानी में कोई भी पोषण नहीं होता है.

WHO यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन भी चेता चुका है कि RO सिर्फ पानी साफ नहीं करता. कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे एनर्जी देने वाले मिनरल्स को भी खत्म कर देता है. अगर आपके घर में RO है या फिर आप RO लगवाने की सोच रहे हैं. तो, पहले डॉक्टर से कुछ खास बातें समझ लीजिए. डॉक्टर से जानिए कि क्या RO का पीना वाकई सेहत के लिए फ़ायदेमंद है या नहीं और RO वाला पानी पीने वाले किन बातों का ध्यान रखें? 

RO का पीना सेहत के लिए कितना फ़ायदेमंद?

ये हमें बताया डॉ. आरवीएस भल्ला ने.

डॉ. आरवीएस भल्ला, डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, सर्वोदय हॉस्पिटल, फरीदाबाद

अगर लंबे समय तक हम RO वॉटर इस्तेमाल करते हैं तो ये हमारी सेहत के लिए फ़ायदेमंद नहीं है. ऐसा पाया गया है कि RO वॉटर में कैल्शियम, मैग्नीशियम और कई ट्रेस एलिमेंट्स की मात्रा कम होती है. ट्रेस एलिमेंट्स यानी वो केमिकल जो शरीर में बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं. ये मात्रा कम होने से कई चीज़ों में फर्क आता है. पानी का स्वाद बदल जाता है. पानी में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. पानी में कैल्शियम और मैग्नीशियम की कमी से जीवन के कई अहम कामों पर असर पड़ता है. जैसे मांसपेशियों का सिकुड़ना और रिलैक्स करना. एंडोक्राइन सिस्टम जो शरीर की कई ग्रंथियों का एक नेटवर्क है. ये हार्मोन बनाने के साथ उसे रिलीज करता है. उस पर भी असर पड़ता है. थायरॉयड की प्रणाली पर भी फर्क पड़ता है. ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ और हाइपोथायरॉयडिज़्म पर असर पड़ता है. क्रैंप्स और दूसरी कई बीमारियां होने का खतरा रहता है.

इसके अलावा, जब हम इस पानी का इस्तेमाल खाना बनाने में करते हैं, तब ये खाने से ज़रूरी तत्वों को हटा देता है. इससे खाना उतना पौष्टिक नहीं बनता. जो खाने के बर्तन हैं, उस पर चढ़ी परत के हानिकारक तत्व खाने में मिल जाते हैं क्योंकि इसका pH थोड़ा एसिडिक होता है. इससे भी हमें टॉक्सिसिटी हो सकती है. लंबे समय तक ऐसा पानी पीने से गैस्ट्रिक अल्सर होने की संभावना भी रहती है. इस पानी में फ्लोराइड की मात्रा भी कम होती है. इससे दांतों में इंफेक्शन होने की संभावना भी बढ़ जाती है. ये पानी कुछ समय तक के लिए ठीक है. बैक्टीरिया कम करता है लेकिन, अगर ऐसे पानी का लंबे समय तक सेवन किया जाए तो यह हमारी सेहत के लिए उतना अच्छा नहीं होता.

RO खरीदने से पहले उसका TDS हमेशा चेक करें
RO वाला पानी पीते हैं तो किन बातों का ध्यान रखें?

RO हमारे देश में काफी इस्तेमाल किया जाने वाला सिस्टम है. डैमैज को कंट्रोल या कम करने के लिए कुछ चीज़ों का ध्यान रखें. RO का टीडीएस (टोटल डिसॉल्व्ड सॉलिड्स) 200 या 250 तक हो बजाय इसके कि जिसमें टीडीएस 0 हो. इसके अलावा दूसरे विकल्प भी देखे जा सकते हैं. जैसे उबालकर ठंडा किया हुआ पानी लें. वैसे, ये सब सुनकर आपको डरने की ज़रबरत नहीं है. आप RO का पानी पीना बंद तो नहीं कर सकते. हर वक़्त पानी उबालना प्रैक्टिकल भी नहीं है. इसलिए RO का टीडीएस ज़रूर चेक करें. वही RO लें जिसका टीडीएस कम से कम 200-250 के बीच हो.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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