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मुस्लिम औरतों के लिए हलाल सेक्स गाइड आई है

और ये अच्छी बात है.

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सांकेतिक फोटो (रॉयटर्स)
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13 फ़रवरी 2018 (Updated: 14 फ़रवरी 2018, 05:16 IST)
Updated: 14 फ़रवरी 2018 05:16 IST
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''मुसलमानों की आबादी झामफाड़ तरीके से बढ़ रही है. एक दिन ये हमसे ज़्यादा हो जाएंगे.''

तो इन औरतों की मदद के लिए एक किताब आई है 'द मुस्लिमाह सेक्स मैन्युअलः अ हलाल गाइड टू माइंड ब्लोइंग सेक्स.' ब्रिटेन में छपी ये किताब मुस्लिम औरतों को सेक्स से जुड़ी बातें समझाती है. इसे दुनिया की पहली हलाल सेक्स गाइड कहा जा रहा है.

हिंदुस्तान से लेकर ब्रिटेन तक के लोगों को ये डर सता रहा है. बेज़ा डर है. लेकिन ये सच है कि मुसलमानों की आबादी दूसरे समाजों की बनिस्बत थोड़ी तेज़ी से बढ़ रही है. इसके अलग-अलग कारण हैं, जिन पर पर्याप्त चर्चा हो चुकी है. पर एक बात तय है आबादी तभी बढ़ सकती है, जब लोग सेक्स करें. और ये बात किसी से छुपी नहीं है कि कई मुस्लिम औरतों के लिए (और बाकियों के लिए भी) सेक्स बच्चे पैदा करने से आगे जा ही नहीं पाता. उसमें आनंद का कॉन्सेप्ट बहुत पहले नकार दिया गया था.  
फोटोः एमेज़ॉन
फोटोः एमेज़ॉन


एक वक्त था जब मुसलमानों के लिए सेक्स टैबू नहीं था

आज मुसलमानों और सेक्स को लेकर चाहे जो कहा जाए, एक वक्त था जब मुस्लिम दुनिया में सेक्स को लेकर इतना सहज माहौल था कि वहां पहुंचने वाले यूरोपियन सौदागर तक दंग रह जाते थे. मिसाल के लिए टेलिग्राफ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद साहब के समय में सेक्स को लेकर खुल कर बातें होती थीं. सेक्स के दौरान आनंद को शादीशुदा ज़िंदगी का अटूट हिस्सा समझा जाता था. सेक्शुअल ज़रूरतों का पूरा होना एक औरत का हक समझा जाता था. अगर किसी का पति ऐसा न कर पाता, तो उस औरत को आज़ादी होती थी कि वो उसे तलाक दे दे. लेकिन समय के साथ सेक्स को लेकर एक अजीबोगरीब शर्म का माहौल तैयार हो गया. धीरे-धीरे सेक्स टैबू माना जाने लगा.
जैसे-जैसे पुरुषवादी सोच का ज़ोर बढ़ा, औरतों की ज़िंदगी पर नियंत्रण बढ़ता रहा. पहले कपड़ों बदले, फिर हाव-भाव को लेकर गाइडलाइन आईं. एक बहिश्ती ज़ेवर नाम से एक पूरी किताब है जो ये बताती है कि एक 'सुशील' मुस्लिम औरत का बर्ताव कैसा होना चाहिए. ये सब वहां तक जाता है, जहां आखिर में सेक्स तक में उन्हें एक पैसिव रोल में समेट दिया जाता है. ये सब इतने लंबे समय से चला आ रहा है कि कई औरतें ये जान ही नहीं पातीं कि सेक्स एक ऐसी क्रिया है, जिसमें औरत और मर्द बराबर के भागीदार होते हैं, बराबर का आनंद बांट सकते हैं. इसलिए कई औरतें हैं, जो खुश नहीं हैं, लेकिन इसको लेकर क्या करें, नहीं जानतीं. यही हालत कई मर्दों के साथ भी है.
 
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ऐसे में कोई ऐसी किताब जो सेक्स के इर्द-गिर्द के मिथक तोड़ती हो, बेहद ज़रूरी हो जाती है. पूर्वाग्रहों की दुनिया में 'मुस्लिम औरत' पिछड़ेपन का रूपक है और 'ब्रिटेन' आधुनिकता का. ये किताब एक ब्रिटिश मुस्लिम औरत ने उम मुलादत नाम से लिखी है. तो ये पहचान के दोराहे पर खड़े होकर लिखी गई है. ये बात इसमें दिलचस्पी बढ़ाती है.

क्या है किताब में?

उम मुलादत अपनी असल पहचान नहीं ज़ाहिर करना चाहतीं. लेकिन हम उनके बारे में इतना जानते हैं कि वो अमरीका में पैदा हुईं और साइकोलॉजी में ग्रैजुएट हैं. एमेज़ॉन पर उपलब्ध प्रॉडक्ट डिस्क्रिपशन के मुताबिक मुलादत को किताब लिखने का आइडिया अपनी एक दोस्त से हुई बातचीत के बाद आया. वो एक धार्मिक लड़की थी. उसने शादीशुदा ज़िंदगी को लेकर धार्मिक शिक्षा भी ली थी. लेकिन वो खुश नहीं थी. तो उन्होंने मुलादत ने अपने अनुभव के आधार पर उसे कुछ टिप्स दीं. इन्हीं टिप्स को बाद में एक किताब की शक्ल दे दी गई.
किताब के इंडेक्स में सेक्शुअल पोज़ीशन के साथ ही हाइजीन, बर्थ कंट्रोल और बॉडी इमेज जैसे चैप्टर नज़र आते हैं. हलाल सेक्स क्या होता है, और मुलादत ने उसे कैसे परिभाषित किया है, ये किताब पढ़कर ही बताया जा सकेगा. बावजूद इसके, सेक्स को लेकर दब्बू या पिछड़े समझे जाने वाले समाज में इस बारे में खुलकर बात की पहल अच्छी ही लगती है.

ऐसी किताबों का स्वागत किया जाना चाहिए.




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