The Lallantop
Advertisement

200 करोड़ की संपत्ति दान कर संन्यासी बने गुजरात के दंपती, बच्चे पहले ही छोड़ चुके 'मोह-माया'

यह कहानी है गुजरात के हिम्मतनगर के रहने वाले भावेश भाई भंडारी की. उन्होंने और उनकी पत्नी ने जैन धर्म में दीक्षा लेने का फैसला लिया है.

Advertisement
gujarat businessman bhavesh bhandari wife donate rs 200 crore wealth to become jain monks
बिजनेसमैन भावेश भाई ने अपनी 200 करोड़ की संपत्ति दान कर खुद संन्यास लेने का फैसला किया है. (तस्वीर- PTI)
15 अप्रैल 2024
Updated: 15 अप्रैल 2024 19:43 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

हम सभी ने फिल्मों-कहानियों में मोह-माया को त्यागने वाली बातें खूब सुनी-देखी हैं. लेकिन रियल लाइफ में ऐसा होते बहुत कम देखते हैं. गुजरात में ऐसा हुआ है. यहां के एक अरबपति बिजनेसमैन ने जीवन भर कमाई करोड़ों की संपत्ति दान कर दी है और पत्नी संग संन्यास का रास्ता अपना लिया है. दंपती के बच्चे पहले ही सांसारिक मोह-माया छोड़ चुके हैं.

यह कहानी है गुजरात के हिम्मतनगर के रहने वाले भावेश भाई भंडारी की. उन्होंने और उनकी पत्नी ने जैन धर्म में दीक्षा लेने का फैसला लिया है. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक इस मार्ग पर जाने से पहले दंपती ने अपनी 200 करोड़ रुपये की संपत्ति दान कर दी है. भावेश भाई के दो बच्चे हैं. एक बेटा और एक बेटी. बेटे की उम्र अभी 16 साल है जबकि बेटी की उम्र अभी 19 साल है. वे पहले ही संन्यास ले चुके हैं. अब माता-पिता ने भी बच्चों की तरह संन्यास का फैसला लिया है.

भावेश भंडारी का जन्म गुजरात के हिम्मतनगर के एक समृद्ध परिवार में हुआ था. वह कंस्ट्रक्शन समेत कई तरह का बिजनेस चला रहे थे. अभी अहमदाबाद में उनका बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का अच्छा काम चल रहा था. हालांकि अब उन्होंने काम-धंधे से खुद को दूर कर लिया है और जैन धर्म में दीक्षा लेकर दीक्षार्थी बनने का फैसला लिया है.

दीक्षा के मौके पर एक शोभायात्रा निकाली गई. हिम्मतनगर से निकली 4 किलोमीटर की इस शोभायात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. बताया जा रहा है कि उन्हें औपचारिक रूप से 22 अप्रैल को दीक्षा दी जाएगी. उस दिन हिम्मतनगर रिवर फ्रंट पर एक साथ 35 लोगों को औपचारिक रूप से दीक्षा मिलने वाली है, जिनमें भावेश भंडारी और उनकी पत्नी भी शामिल होंगी.

ये भी पढ़ें- दिल्ली में क्यों जुटे जैन धर्म के लोग, झारखंड सरकार के किस फैसले पर है विवाद?

22 अप्रैल को प्रतिज्ञा लेने के बाद दंपती को सभी पारिवारिक रिश्ते तोड़ने होंगे. उन्हें कोई भी 'सांसारिक वस्तु' रखने की अनुमति नहीं होगी. इसके बाद वो पूरे भारत में नंगे पैर यात्रा करेंगे और केवल भिक्षा पर जीवित रहेंगे. उन्हें केवल दो सफेद वस्त्र, भिक्षा के लिए एक कटोरा और एक 'राज्यारोहण' रखने की अनुमति होगी. ये एक झाड़ू है जिसका इस्तेमाल जैन भिक्षु बैठने से पहले जगह साफ करने के लिए करते हैं - यह जैन धर्म में अहिंसा के मार्ग का प्रतीक मानी जाती है.

वीडियो: जैन धर्म के लोग झारखंड सरकार के किस फैसले से नाराज, जिस पर विवाद चल रहा

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement