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Lok Sabha Election: दूसरे चरण में बिहार की 5 सीटों का लेखा-जोखा, पूर्णिया में पप्पू यादव कितने मजबूत?

Lok Sabha Election 2024: दूसरे चरण के तहत Bihar के Purnia, Kishanganj, Bhagalpur, Katihar और Banka में वोटिंग होनी है. इन सीटों पर किन उम्मीदवारों की मजबूत पकड़ है, जानते हैं.

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Pappu Yadav Bima Bharti and Akhtarul Iman
26 अप्रैल को दूसरे फेज की वोटिंग होनी है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे/सोशल मीडिया)
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23 अप्रैल 2024 (Updated: 23 अप्रैल 2024, 20:15 IST)
Updated: 23 अप्रैल 2024 20:15 IST
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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) के लिए पहले फेज की वोटिंग हो गई है. दूसरे फेज की वोटिंग होनी है 26 अप्रैल को. इस दिन देश भर की 89 लोकसभा सीटों पर मतदान होगा. इनमें बिहार (Bihar) की भी 5 सीटें भी शामिल हैं- किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका. जानते हैं इन सीटों पर मुकाबला किनके बीच है और यहां का चुनावी समीकरण क्या है.

Purnia में Pappu Yadav

पूर्णिया की सीट सुर्खियों में बनी हुई है. वजह हैं- पप्पू यादव. उन्होंने अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया. पप्पू यादव काफी समय पहले से पूर्णिया से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन RJD ने मामला फंसा दिया. बकौल पप्पू यादव कांग्रेस में पार्टी का विलय करने से पहले उन्होंने लालू यादव (Lalu Yadav) और तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) से मुलाकात की थी. मुलाकात में पप्पू यादव से कहा गया कि वो अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में ना करके RJD में करें. बदले में उनसे मधेपुरा और सुपौल की सीट देने का वादा किया गया. पप्पू यादव नहीं माने. बाद में RJD ने JDU से आईं बीमा भारती (Bima Bharti) को पूर्णिया से टिकट दे दिया.

पप्पू यादव फिर भी नहीं माने. उन्होंने भी पूर्णिया से पर्चा भर दिया, निर्दलीय. वो दावा कर रहे हैं कि उन्हें कांग्रेस का आशीर्वाद प्राप्त है. लेकिन कांग्रेस RJD के साथ गठबंधन में है और इस गठबंधन की उम्मीदवार हैं, बीमा भारती. वो जेल में बंद अवधेश मंडल की पत्नी हैं.

ये भी पढ़ें: पप्पू यादव को किसने धोखा दिया, लालू यादव या कांग्रेस पार्टी? इनसाइड स्टोरी जान लीजिए

पप्पू यादव पूर्णिया से तीन बार सांसदी का चुनाव जीत चुके हैं. 1991, 1996 और 1999 में. 2004 और 2014 में RJD ने मधेपुरा से टिकट दिया था. वहां से भी उन्हें जीत मिली थी. इससे पहले 1990 में उन्होंने मधेपुरा जिले की सिंहेश्वर सीट से विधायक का चुनाव जीता था.

लंबे राजनीतिक अनुभव के साथ पप्पू यादव की चर्चा ‘जनता में मौजूदगी’ के कारण भी होती है. क्या ये चुनाव में उनका फायदा कराएगी, ये तो वोटिंग के बाद परिणाम सामने आने पर ही पता चलेगा. 

Bima Bharti Pappu Yadav Santosh Kumar Purnia
बीमा भारती, पप्पू यादव और संतोष कुमार (तस्वीर साभार: ECI)

चुनाव में पप्पू यादव को चुनौती दे रहे हैं JDU के संतोष कुमार और RJD के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं बीमा भारती. संतोष कुमार (Santosh Kumar) पूर्णिया से 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. इससे पहले 2010 में संतोष BJP के टिकट पर पूर्णिया जिले की बायसी विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. जानकार बता रहे हैं कि यहां बीमा भारती मुकाबले से बाहर हैं. उनका मानना है कि मेन लड़ाई पप्पू यादव और संतोष कुमार के बीच है. 

उधर बीमा भारती के लिए खुद तेजस्वी यादव खड़े हैं. कहा जा रहा है कि पप्पू यादव प्रकरण के बाद लालू परिवार नहीं चाहेगा कि इस सीट पर पप्पू यादव को जीत मिले. तेजस्वी ने तो अपने एक हालिया बयान में लोगों से यहां तक कह दिया है कि अगर आप बीमा भारती को वोट नहीं दे रहे तो NDA को दे दीजिए. बिहार की राजनीति पर नजर रखने वाले इंडिया टुडे के पत्रकार पुष्य मित्र कहते हैं,

"लड़ाई पप्पू यादव और संतोष कुशवाहा के ही बीच है. बीमा भारती रेस से बाहर तो हैं लेकिन तेजस्वी उनके लिए पूरा जोर लगा रहे हैं. फिलहाल कुशवाहा ही आगे दिख रहे हैं." 

पप्पू यादव और संतोष कुमार के लिए पूर्णिया लोकसभा सीट की राजनीति नई नहीं है. दोनों यहां से जुड़े हैं. चुनाव लड़ चुके हैं, जीत भी चुके हैं. 

वहीं इनकी तुलना में बीमा भारती के लिए पूर्णिया लोकसभा सीट की राजनीति नई है. हालांकि वो इस जिले की राजनीति से पूरी तरह दूर नहीं रही हैं. भारती पूर्णिया जिले और लोकसभा क्षेत्र के अंदर आने वाली रुपौली विधानसभा सीट से पांच बार की विधायक हैं. पिछले चार विधानसभा चुनावों में तो उनको लगातार जीत मिली है. साल 2000 में उन्हें यहां से निर्दलीय जीत मिली थी. 2005 में RJD की टिकट पर जीत मिली. फिर 2010, 2015 और 2020 में JDU की टिकट पर विधायक बनीं. अब पहली बार RJD के टिकट पर लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रही हैं.

Kishanganj में AIMIM ने लगाया दांव

बिहार का किशनगंज मुस्लिम बहुल लोकसभा सीट है. यहां मुसलमान वोटर ही उम्मीदवारों की जीत और हार तय करते हैं. कांग्रेस, JDU और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के बीच मुकाबला है. कांग्रेस ने मौजूदा MP मोहम्मद जावेद, JDU ने मुजाहिद आलम और AIMIM मे अख्तरुल ईमान को टिकट दिया है.

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पिछले तीन लोकसभा चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस को जीत मिली है. 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की एकमात्र इसी सीट पर कांग्रेस को जीत मिल पाई थी. इसके पहले 2014 और 2009 में भी कांग्रेस को किशनगंज में जीत मिली थी. 

Mohammad Jawed Akhtarul Iman and Mujahid Alam
मोहम्मद जावेद, अख्तरुल ईमान और मुजाहिद आलम (तस्वीर साभार: ECI)

AIMIM के अख्तरुल ईमान अमौर से विधायक हैं. वो AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. 2005 में RJD के टिकट पर किशनगंज विधानसभा सीट पर उन्हें जीत हासिल हुई थी. अख्तरुल 2010 में RJD के ही टिकट पर कोचाधामन से भी विधायक रह चुके हैं. कोचाधामन, किशनगंज जिले में ही पड़ता है. 2008 में इसे विधानसभा क्षेत्र बनाया गया था.

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM को 5 सीटों पर जीत मिली थी. हालांकि, बाद में 4 विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया था. इकलौते अख्तरुल ईमान पार्टी में रह गए. इस चुनाव के बाद से वो चर्चा में आ गए थे. अख्तरुल 2019 में भी AIMIM की टिकट पर यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन हार गए थे. इससे पहले 2014 में भी यहीं से JDU के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़े थे. तब भी हार का सामना करना पड़ा था. 

नीतीश कुमार की JDU को यहां अभी तक एक बार भी लोकसभा चुनाव में जीत नहीं मिली है. इस बार पार्टी ने पूरा जोर लगाया है. JDU उम्मीदवार मुजाहिद आलम भी अख्तरुल ईमान की तरह कोचाधामन से विधायक रह चुके हैं. उन्हें 2014 के उपचुनाव में JDU के सिंबल पर जीत मिली थी. 2010 और 2015 में उनको किशनगंज विधानसभा सीट पर भी जीत मिली थी.

अब लोकसभा चुनाव 2024 में इस त्रिकोणीय मुकाबले के बारे में पत्रकार पुष्य मित्र कहते हैं,

"मोहम्मद जावेद की पहचान एक सेक्युलर नेता की है. उन्हें सभी वर्ग के लोग पसंद करते हैं. उनकी तुलना में मुजाहिद आलम और अख्तरुल ईमान की पहचान पूरी तरह से सेक्युलर नेता के रूप में नहीं है. मुजाहिद आलम की हिंदू वर्ग में बहुत ज्यादा पकड़ नहीं है. अख्तरुल ईमान अच्छे नेता हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में AIMIM के साथ लोगों ने जो प्रयोग किया था उससे उन्हें बहुत ज्यादा फायदा होता हुआ नहीं दिखा. इसलिए ये बात उनके फेवर में नहीं जा रही है."

Bhagalpur में Congress बनाम JDU

2019 में भागलपुर लोकसभा सीट पर JDU को जीत मिली थी. JDU ने अजय कुमार मंडल को फिर से रिपीट किया है. मंडल भागलपुर के ही नाथपुर विधानसभा सीट से 2010 और 2015 में JDU के टिकट पर विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. इससे पहले 2005 में वो कहलगांव से विधायक बने थे.

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1984 के बाद से कांग्रेस को इस लोकसभा सीट पर सफलता नहीं मिली है. उससे पहले यहां कांग्रेस की मजबूत पकड़ थी. इस बार पार्टी ने भागलपुर से अजीत शर्मा को टिकट दिया है. वो लगातार तीन बार से भागलपुर विधानसभा सीट से जीत रहे हैं. चर्चा थी कि इस बार वो अपनी बेटी और बॉलीवुड एक्ट्रेस नेहा शर्मा को यहां से लोकसभा का चुनाव लड़वाएंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उन्होंने BBC को बताया कि वो चाहते थे कि नेहा चुनाव लड़ें. लेकिन इसके लिए नेहा को पहले से तैयारी करनी चाहिए थी. नेहा शर्मा अपने पिता के लिए विधानसभा चुनाव में प्रचार कर चुकी हैं और इस चुनाव में भी कर रही हैं. 

Ajay Mandal and Ajit Sharma
अजय मंडल और अजीत शर्मा (तस्वीर साभार: ECI)

जानकार बता रहे हैं कि 40 साल बाद कांग्रेस यहां जीत सकती है. पुष्य मित्र का कहना है कि भागपुर में BJP कार्यकर्ता ठंडे पड़ गए हैं और अजय मंडल के साथ एन्टी इनकंबेंसी है. उन्होंने कहा,

"यहां BJP तीन धड़ों में बंट गई है. BJP के ही कुछ नेता नहीं चाहते कि अजय मंडल जीतें. JDU नेता गोपाल मंडल को यहां से टिकट नहीं मिला. उनकी नाराजगी भी अजय मंडल को नुकसान पहुंचा सकती है."

Katihar में दुलालचंद्र बनाम अनवर

यहां JDU ने सीटिंग MP दुलालचंद्र गोस्वामी को रिपीट किया है. वहीं कांग्रेस ने यहां से 5 बार सांसद रहे तारिक अनवर को टिकट दिया है. 2019 में तारिक अनवर हार गए थे. लेकिन उससे पहले 1980, 1984, 1996, 1998 और 2014 में उन्हें जीत मिली थी. 

Dulalchandra and Tariq Anwar
दुलालचंद्र गोस्वामी और तारिक अनवर (तस्वीर साभार: ECI)

स्थानीय राजनीति के जानकार पुष्य मित्र बताते हैं कि अब तक चीजें अनवर के फेवर में हैं. उन्होंने कहा,

“अभी तक तो तारिक अनवर ही आगे दिख रहे हैं. BJP के एक स्थानीय नेता ने भी उनको समर्थन दे दिया था. लेकिन अब खबर आई है कि उनको गृह मंत्री अमित शाह ने फोन किया था. ऐसे में अगर अब हालात बदलते हैं तो कुछ कहना मुश्किल होगा.”

Banka

बांका में मुकाबला RJD और JDU के बीच है. JDU ने मौजूदा MP गिरधारी यादव को टिकट दिया है. वो यहां से 1996 और 2004 में भी सांसद रह चुके हैं.

Jay Prakash Yadav and Giridhari Yadav
जयप्रकाश यादव और गिरीधारी यादव (तस्वीर साभार: ECI)

उनके सामने हैं RJD के जयप्रकाश नारायण यादव. उन्हें 2014 में यहां से जीत मिली थी. पिछले चुनाव में हार गए थे. जानकार बता रहे हैं कि बांका में गिरधारी यादव दूसरे उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.

इस क्षेत्र में यादव और राजपूत वोटर्स की सबसे ज्यादा संख्या है. पूर्व सीएम चंद्रशेखर सिंह, महाराष्ट्र के रहने वाले समाजवादी नेता मधु लिमये भी यहां से चुनाव जीते चुके हैं. देश के पूर्व रक्षा मंत्री और दिग्गज राजनेता दिवंगत जॉर्ज फर्नांडिस ने भी यहां से दो बार चुनाव लड़ा था. हालांकि दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

19 अप्रैल को बिहार की जमुई, औरंगाबाद, नवादा और गया सीट पर वोटिंग पूरी हो गई. मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारों की मानें तो बिहार में पहले चरण की वोटिंग के बाद NDA कुछ इत्मिनान में दिखा, लेकिन दूसरे फेज में टक्कर देखने को मिल सकती है.

2019 का चुनाव परिणाम

2019 में बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 NDA के खाते में गई थीं. भाजपा ने 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और इन सारी सीटों पर जीत हासिल की. नीतीश कुमार ने भी 17 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. उन्हें सिर्फ एक सीट पर हार मिली. 16 सीटों पर JDU के उम्मीदवार जीत गए. लोजपा के लिए भी ये चुनाव सफल साबित हुए थे. पार्टी ने 6 सीटों पर अपने कैडिडेट्स उतारे और सभी पर जीत हासिल की.

कांग्रेस को सिर्फ किशनगंज सीट पर जीत मिली. जबकि पार्टी ने 9 सीटोें पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. 2014 में भी पार्टी को इसी सीट पर जीत मिली थी. राजद ने 2019 में 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था. जीत एक पर भी नहीं मिली.

वीडियो: नेता नगरी: लोकसभा चुनाव में पहले चरण की वोटिंग के बाद कौन आगे, किसकी सीट फंसी?

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