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इन फीचर्स से बनता है iPhone की सिक्योरिटी का भोकाल, एंड्रॉयड वाले कहां टिकते हैं?

आज बात iPhone के सिक्योरिटी फीचर्स की करेंगे. वो फीचर्स जो आईफोन को अभेद किले जैसा बना देते हैं. अभेद किला हमने इसलिए कहा ताकि एंड्रॉयड वाले नाराज ना हों. क्योंकि एंड्रॉयड भी एक मजबूत किले जैसा है बस सुरक्षा घेरा अलग-अलग एजेंसियों के पास है. तो कई बार कनेक्शन ढीला पड़ जाता है.

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iPhone के टॉप सिक्योरिटी फीचर्स. (सांकेतिक तस्वीर)
9 अप्रैल 2024 (Updated: 9 अप्रैल 2024, 13:42 IST)
Updated: 9 अप्रैल 2024 13:42 IST
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iPhone अच्छा या Android. काफी पुरानी बहस है, जिसका कोई अंत नहीं है. 'मुंडे मुंडे मतिर्भिन्ना'. मतलब, जितने लोग उतनी बातें. वैसे हम भी इस बहस में नहीं पड़ते मगर एक पॉइंट पर आईफोन को एज मिला है, उसकी बात करते हैं. पॉइंट है सिक्योरिटी का. आईफोन सिक्योरिटी के मामले में थोड़ा सा तो आगे है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal iPhone) वाला मामला ही देख लीजिए. उनका फोन ओपन करने के लिए ED को एप्पल से बात करनी पड़ रही है. ऐसे में ये सवाल दिमाग में कुलबुलाना जरूरी है कि आखिर सिक्योरिटी फुल प्रूफ होती कैसे है एक आईफोन में?

आज बात आईफोन के सिक्योरिटी फीचर्स की करेंगे. वो फीचर्स जो आईफोन को अभेद किले जैसा बना देते हैं. अभेद किला हमने इसलिए कहा ताकि एंड्रॉयड वाले नाराज ना हों. क्योंकि एंड्रॉयड भी एक मजबूत किले जैसा है, बस सुरक्षा घेरा अलग-अलग एजेंसियों के पास है. तो कई बार कनेक्शन ढीला पड़ जाता है. वहीं एप्पल का सारा कामकाज खुद के हाथ में है. हार्डवेयर से लेकर सॉफ्टवेयर पर एक ही एजेंसी का कंट्रोल. ऐसे ही कुछ फीचर का किला हम आज फतेह करेंगे. 

खुद का Authenticator

दुनिया जहान की तकरीबन हर सर्विस में आजकल एक फीचर होता है. Two-factor Authentication (2FA) मतलब पासवर्ड के साथ एक और जगह से यूजर के असल होने का पता करना. इसके लिए भी दो तरीके हैं. पहला SMS से और दूसरा ऑथेन्टीकेटर ऐप से. जैसे गूगल ऑथेन्टीकेटर या माइक्रोसॉफ्ट. एप्पल में भी ये फीचर होता है मगर अलग स्टाइल में. उनका खुद के सिस्टम में इन-बिल्ड ऑथेन्टीकेटर होता है. कोई ऐप या SMS का चक्कर नहीं. आपके डिवाइस की स्क्रीन पर कोड आएगा, उसे एंटर करो और एक्सेस लो. डब्बे के अंदर डब्बा वाला कार्यक्रम.  iCloud सर्विस को भी दूसरे डिवाइस पर ओपन करते समय आईफोन स्क्रीन पर ही कोड आता है. मतलब चौतरफा सुरक्षा.  

एक्टिविटी ट्रैकिंग

ये वही फीचर है जिसने फ़ेसबुक के माथे पर हथौड़ी मारी है. गूगल एण्ड कंपनी को छोड़कर iOS में मौजूद हर ऐप्स को अब यूजर से इजाजत लेना पड़ती है कि उसकी एक्टिविटी ट्रैक करे या नहीं. अगर नहीं दबा दिया तो फिर कोई जुगाड़ नहीं ये पता करने का कि यूजर कर क्या रहा है. इसके होने से एक तो विज्ञापन वाली प्रोफ़ाइल नहीं बन पाती और दूसरा अगर उस ऐप में कोई झोल हुआ तो कम से कम यूजर सुरक्षित रहेगा.

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पासवर्ड खत्म तो डेटा खत्म

अगर यूजर आईफोन का पासवर्ड भूल गया है तो वाकई में मुश्किल होती है. जितनी बार गलत पासवर्ड डालेंगे उतनी बार आईफोन ओपन होने का टाइम बढ़ता जाएगा. कुछ मिनट से लेकर कुछ साल तक. जो दस बार से ज्यादा गलत पासवर्ड डाल दिया तो सारा डेटा खुद से डिलीट हो जाएगा.

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लॉक स्क्रीन पर लॉक

वैसे तो आईफोन में लॉक स्क्रीन पर कई सारे फीचर मिलते हैं जो काम आसान करते हैं. लेकिन अगर यूजर को सुरक्षा की चिंता है तो वो कंट्रोल सेंटर में जाकर सारे फीचर्स को बंद कर सकता है. इसके बाद नेटवर्क ऑफ करने से लेकर कोई और सेटिंग से छेड़छाड़ करना असंभव हो जाता है.

पासवर्ड के लिए लाल बटन

आमतौर पर आप और हम हमेशा बेकार और कमजोर पासवर्ड ही बनाते हैं. एप्पल को इसका पता है इसलिए उसने कमान अपने हाथ में ले रखी है. फोन के पासवर्ड मैनेजर को जैसे ही लगता है कि फलां पासवर्ड कमजोर है या हैकिंग के दायरे में आया है तो वो घंटी बजाता है. बदलने को बोलता है और साथ में एक भयंकर मजबूत पासवर्ड भी सुझा देता है. कहने का मतलब अपने साथ अपने पड़ोसियों की सेफ़्टी का भी ख्याल रखता है.

Find My iPhone

ये फीचर नहीं बवाल है क्योंकि ये आईफोन स्विच ऑफ होने पर भी काम करता है. फोन चोरी होने या गुम होने पर इस फीचर की मदद से उसको ट्रैक कर सकते हैं. घंटी बजा सकते हैं और जरूरत पड़ने पर फोन को फॉर्मेट भी कर सकते हैं.

मेल का खेल

iOS का एक और तगड़ा फीचर. आपका मेल किस डिवाइस से भेजा गया है उसका आईपी एड्रैस बाहर नहीं आने देता. ये कुछ-कुछ एक्टिविटी ट्रैकिंग जैसा है. ऐसा होने से हैकर्स को आपके डिवाइस का पता-ठिकाना ढूंढने में बहुत मुश्किल होती है. इसके साथ एप्पल Hide My Email जैसा एक और बढ़िया फीचर मुहैया करवाता है. ये फीचर एक मेल अपने से बनाकर संबंधित वेबसाइट को भेज देता है. ना रहेगा ई-मेल और ना होगा असल यूजर से मेल.

लॉकडाउन मोड

कोरोना के बाद आया है ये फीचर तो लगता है शायद कंपनी ने वहीं से नाम उठा लिया होगा. ये फीचर फोन को हैकिंग और पेगासस जैसे वायरस अटैक से बचाने के लिए लाया गया है. इस फीचर को ऑन करते ही फोन अपने आप में एक कवर बना लेता है. फीचर ऑन होते ही आईफोन एक फीचर फोन जैसा हो जाता है. मतलब, अधिकतर फीचर्स बंद हो जाते हैं. इसमें आपको मैसेज और कॉल्स तो आती है , लेकिन कुछ ऐप्स की फंक्शनालिटी कम हो जाती है. सफारी और कई वेब टेक्नोलॉजी भी बंद हो जाती हैं और FaceTime कॉल को भी ब्लॉक कर दिया जाता है. 

Stolen Device Protection

हाल ही में आया ये फीचर iCloud के एक्सेस को बंद कर देता है. Apple ID मतलब वही जगह, जहां यूजर की पर्सनल जानकारी जैसे ऐप पासवर्ड, बैंकिंग डिटेल (अगर सेव किए हैं) और आईफोन का पासवर्ड सेव होते हैं. इधर दाखिल होते ही वो सबसे पहले पासवर्ड बदलेगा, Apple ID से साइन आउट करेगा इत्यादि-अनादि. लेकिन जो ‘Stolen Device Protection’ ऑन है तो ऐसा कुछ नहीं होगा. क्योंकि इसके ऑन रहने पर Apple ID में चेंज के लिए चाहिए होगा असली यूजर का फेस या फिर फिंगर प्रिन्ट.

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App Privacy Report

ये फीचर कुछ इस टाइप का है कि ऊपर जो हमने बताया वो वाकई में काम करता है या नहीं. मतलब, घोड़े सिर्फ पानी दिखाना नहीं बल्कि पानी पिलाना भी है. ऐप से लेकर फीचर्स कैसे काम कर रहे हैं, उसका पूरा कच्चा-चिट्ठा इस रिपोर्ट से पता चल जाता है.

ये वो सारे फीचर्स हैं जो एक आईफोन को या iOS को अभेद किले में तब्दील कर देते हैं. आप इनमें से कौन से इस्तेमाल करते हैं वो हमसे जरूर साझा कीजिएगा. 

वीडियो: क्या ED वाले खोल ही लेंगे अरविंद केजरीवाल का iPhone?

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