The Lallantop
Advertisement

एक जगह टिककर नहीं बैठता बच्चा? उसे ADHD हो सकता है!

ADHD बच्चों में पाया जाता है. यह दिमाग से जुड़ी बीमारी है. इसे डायग्नोज करने के लिए किसी तरह के टेस्ट की ज़रूरत नहीं पड़ती. ADHD बच्चों के व्यवहार में दिख जाता है.

Advertisement
what is adhd and how to treat it
ADHD से ग्रस्त बच्चों का किसी काम में मन नहीं लगता. (सांकेतिक तस्वीर)
16 अप्रैल 2024
Updated: 16 अप्रैल 2024 18:45 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

हमारे एक पाठक हैं राकेश. उनका 12 साल का बेटा किसी काम में मन नहीं लगाता. न पढ़ाई में, न किसी और चीज़ में. हर समय बस घर में इधर-उधर भाग-दौड़ करता रहता है. कभी सांप-सीढ़ी खेलता है. कभी कुछ. हर समय वह किसी जल्दी में रहता है. राकेश जब भी उसे टिकाकर कोई काम कराने की कोशिश करते हैं, नाकाम होते हैं. बेटे के ऐसे बर्ताव से जब राकेश परेशान हो गए तो उसे डॉक्टर के पास लेकर गए. डॉक्टर ने उसके बिहेवियर और लाइफस्टाइल को परखा. फिर राकेश को बताया कि उनके बच्चे को ADHD है. तो, आज डॉक्टर से जानिए कि ADHD क्या होता है? इसके लक्षण क्या हैं? और इससे पीड़ित बच्चों का स्किल डेवलेपमेंट कैसे किया जा सकता है? 

ADHD क्या होता है? 

ये हमें बताया राकिब अली ने.

राकिब अली, कंसल्टेंट क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, बीएलके-मैक्स हॉस्पिटल, फाउंडर CUBBE क्लिनिक्स

ADHD यानी अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर. यह एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है. यानी हमारे दिमाग से जुड़ा विकार. ADHD बच्चों में पाया जाता है. 6 साल की उम्र तक इसे डायग्नोज किया जा सकता है. इसे डायग्नोज करने के लिए किसी तरह के टेस्ट की ज़रूरत नहीं है. ADHD बच्चों के व्यवहार में दिख जाता है. इसे तीन तरह के लक्षणों से पहचान सकते हैं. पहला लक्षण है- इनअटेंशन यानी बच्चों के ध्यान में कमी. जैसे बच्चा एक काम टिककर नहीं कर रहा है या बार-बार नई चीज़ें मांग रहा है. 

कई बार बच्चे लिखने से मना कर देते हैं क्योंकि उसमें ध्यान देना पड़ता है. जो चीज़ें उन्हें आती हैं, उसमें भी बच्चे कई बार गलती कर जाते हैं. दूसरा लक्षण है- हाइपरएक्टिविटी यानी बहुत अधिक सक्रियता. ADHD से ग्रस्त बच्चे एक जगह सहज रूप से बैठ नहीं पाते. क्लासरूम में भी वो अपनी सीट बदलते रहते हैं. तीसरा लक्षण है- इंपल्सिविटी यानी बिना सोचे-समझे काम करना. हालांकि, बच्चे ऐसा जानबूझ कर नहीं करते हैं. अमूमन ADHD वाले बच्चों में या तो इनअंटेशन के लक्षण होते हैं या हाइपरएक्टिविटी- इंपल्सिविटी वाले. इस तरह ADHD को हम तीन भागों में बांट सकते हैं. पहला इनअटेंटिव टाइप, दूसरा हाइपरएक्टिव- इंपल्सिव टाइप और तीसरा मिक्स्ड टाइप. ज़्यादातर बच्चों में मिक्स्ड टाइप का ADHD होता है.

ADHD से ग्रस्त बच्चे कुछ खास थेरेपी के बाद ठीक हो सकते हैं
ADHD का इलाज क्या है?

ADHD के इलाज में सबसे प्रभावी व्यावहारिक थेरेपी है. जो बच्चे ADHD से कम ग्रस्त होते हैं, उन्हें व्यावहारिक थेरेपी दी जाती है. जिन बच्चों में दिक्कत ज़्यादा होती है, उन्हें थेरेपी के साथ दवाई भी दी जाती हैं.

स्किल डेवलेपमेंट कैसे हो?

ADHD से पीड़ित बच्चों के कौशल विकास के लिए कई एक्टिविटीज़ की जा सकती हैं. जैसे बचपन से ही उन्हें अटेंशन एन्हांसमेंट एक्टिविटीज़ कराना. मसलन कई तरह की दालों को मिक्स कर उनसे दालों को अलग-अलग करवाना. पेपर-पेंसिल से जुड़ी एक्टिविटीज़ बच्चों का ध्यान बढ़ाने में मदद करती हैं. कलरिंग एक्टिविटी भी कराई जा सकती है. जैसे मंडाला आर्ट. वहीं थोड़े बड़े बच्चों का स्किल डेवलपमेंट सोचने-समझने के लेवल पर भी होता है. जैसे Stop, Think And Act सिखाना. उन्हें अपने विचारों को पढ़ना सिखाना. किसी भी चीज़ से पहले ब्रेक लेना सिखाना. अपनी दिनचर्या मैनेज करना सिखाना. 

ADHD से पीड़ित बच्चों के लिए रिवॉर्ड वाली एक्टिविटीज़ भी कराई जा सकती हैं यानी बच्चों के कौशल से उनके इनाम को जोड़ना. जैसे अगर उन्होंने स्कूल का काम अच्छे से कर लिया तब वो साइकिल चलाने जा सकते हैं. ADHD से ग्रस्त बच्चों के लिए बहुत सारी एक्टिविटीज़, खिलौने और गेम्स मौजूद हैं. पैरेंट्स को भी ट्रेनिंग दी जा सकती है ताकि वो बच्चों को सही से संभाल सकें. बच्चों को मार्शल आर्ट, स्विमिंग और फुटबॉल जैसे खेल भी खिलाए जा सकते हैं. उन्हें थिएटर कराया जा सकता है. ये बच्चे अच्छे आर्टिस्ट भी बन सकते हैं. ज़रूरी है कि इन बच्चों का टैलेंट पहचाना जाए, फिर उसी फील्ड में उन्हें अच्छी ट्रेनिंग दी जाए.

ADHD से ग्रस्त बच्चे आम बच्चों की तरह ही अपनी ज़िंदगी जी सकते हैं. ज़रूरी है कि बच्चे से लगातार बातचीत की जाए. उसकी पसंद-नापसंद को समझा जाए. बच्चे से क्रिएटिव काम कराए जाएं और उसकी तारीफ भी हो. साथ ही, ADHD के लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द उसकी काउंसलिंग भी शुरू कराई जाए.  

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

वीडियो: सेहत: दिल के लिए खतरनाक है इंटरमिटेंट फास्टिंग? डॉक्टर्स से सुनिए

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement